27 February, 2009

आखिरी बार कहे देत हैं की ई हमार बिलोग नाही है

कल ही बाबूजी अखबार पढ़ कर बताये रहे "अब ब्लॉग लिखने वाला भी कानून के चंगुल से बाहर नहीं है"...हम पूछे कि बाबूजी जी ये बिलाग क्या होता है और अगर कोई लिख deve तो? तो हमको हमरे बाबूजी बताये रहिस कि ब्लॉग लिखे वाले को पुलिस ले जाएब ...हाय रे मुआ कोई लिखाई पढ़ाई करता ही काहे है। अब बताओ, भैंस से अंग्रेजी में बात करे से बेसी दूध देगी का? हम तो बस एक ही बार में मैट्रिक फेल हो के आराम से बैठल थे...कि इनका बुलावा आ गया, गौना करा के भेज दी हमार माई हमको। तब्बे से यहीं रोज घर का सारा साना पानी देखते हैं, चूल्हा चौका और रोज सास के पैर दबाय रहे हैं...कभी कभार बाबूजी का मन हो जाए है तो अखबार सुना देत हैं। वैसाहों अख़बार में धरा का है, रोजे एक्के चकल्लस, एकरा मार देला, ओकरा लूट लेले...औरो का। अब बतावा ये नया बखेड़ा हो गइल बिलोग वाले...ऐसाही का कम बदमास लोगन था की अब ई बिलोग वाला भी आ गइल।

हमका का है हम अपना घर गिरस्थी में ठीक बानी...हम अब तनी झाडू मार के आवतानी. हियाँ उनके कम्पूटर है...दिन भर खितिर पिटिर करह रहे...हमरो आवे है थोडा बहुत मेल उल देखे लायक...उ का कहत है, हम भी इ-लिटरेट हैं. हम चौका में रही की इ(नाम नहीं लेवे हैं मरद का) हमरा बुलाय रहे...कंप्युटर में कोई काम कर रहे, हमका दिखाए तो हम तो हाय राम मर ही गए...इ पुतुरिया कौन है जी...एकदम हमार बहिन laage है kaisan बन ठन के खड़ी है धुप चस्मा लगाय के, कौन है जी?

अब इ हमरा ऐसन डांटे सुरु किये की हम का बताएं...ई छम्मकछल्लो बन के कहाँ फोटो खिचाये रही, हमरा बतावा अभी...हमरा से छुपे के बिलागिंग करत रही, अभी तोहरा पुलिस में डाल देबे बताये है की ना? इ बिलागिन का भूत चढ़ा है...छि छि का का लिखत रही...सिगरेट, दारु...उ भी बिदेसी...दिल्ली...तोरे सात पुश्त में कोई दिल्ली देखे है? अभी बतावा वर्ना ऐसन मार लागत की सब भूते भाग जैता।

नाही जी...हमरा ई सब नहीं आवे है...ई पूजा मेमसाब कोई और रही...हम तो यही चौका बासन में खटे रही दिन भर, लिखा पढ़ी कैसे करी...हम तो मैट्रिक फेल रही ना। बहुत्ते हाथ पैर जोड़े गोसाई देवता के सौगंध खाए तब जा कर उ माने की इ हमार बिलोग नहीं है. नाही तो हम अभी थाने होते...तब इ बिलोग कौन लिखता.

हम ई आखिरी बार लिख रहे हैं की ई हमार बिलोग नाही है...ई सब जो लिखा है ऊ कोई और है...कोई पुलिस वाले भैय्या हमार गाँव नाही आये...वैसाहों बड़ी रास्ता खराब है...आप सबको हमार नाम से जो भरमाया उकार ऊँगली दुखे...माथा दुखे...ऊ चार बार मैट्रिक फेल करे।

बस...अब जावत हैं, गोसाई देवता आप सब पर किरपा करे.

30 comments:

  1. नाही जी...हमरा ई सब नहीं आवे है...ई पूजा मेमसाब कोई और रही...हम तो यही चौका बासन में खटे रही दिन भर, लिखा पढ़ी कैसे करी...हम तो मैट्रिक फेल रही ना।

    बहुत लाजवाब भाषा मे लिखा. वाकई मजा आवा.

    पर चिंता मत करिये वो सुप्रिम कोर्ट वली बात मे गलत फ़हमी शायद ज्यादा है. कुच नही होगा.

    रामराम.

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  2. लाजवाब पोस्ट. यह बोली बड़ी प्यारी लगी. पूरी की पूरी समझ में आ रही है. क्षेत्रीय बोलियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. छत्तीसगढ़ में तो उन्होंने राज काज की भाषा के रूप में छत्तीसगढ़ी को स्थापित कर ही दिया है. यह अनुकरणीय है. आभार.

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  3. ई हमार टिप्पणी ना ही है, समझ लें।
    भाषा में स्वाद है।

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  4. इसके पहले की कोई हमें ये पूछ ले की है कौन सी भाषा तो हम पहले बता देते हैं...मेरी मातृभाषा अंगिका या भागलपुरी है जिसे हम सीख नहीं पाए कभी भी...फिर ६ साल पटना में रहे और भोजपुरी और मगही में मगजमारी करते रहे...इन सबके अलावा पट्नैय्या एक अलग ही भाषा है :) तो हम ये खिचड़ी भाषा अपने जैसे कुछ भाषाई लंगड़े लूले लोगो के साथ बोलते थे.

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  5. ई तोहार बिलौग नईखे बा त तनी हमनी के एक बात बता देल जाई.. तोहार नाम का बा पूजा?? :P

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  6. ठीक बात बा. ई भोजपुरी अउर मगही दुन्नो के बिचवे के भाखा बा जी.

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  7. कमाल का स्टाइल... बस जबरदस्त.. एक ही सांस में पूरा पढ़ डाला.. बड़ा मज़ेदार है.. कुछ कुछ लाइंस तो अल्टीमेट है.. जियो जियो..

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  8. aare aare hum to samjhe thay ye poojaji ka blog hum padh rahe hai,:):),bahut hi jabardast lekh,haste haste aur padhte padhte mann naahi bhara:),lajawab.

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  9. हम तोहार रिपोरट कर दीए हैं पऊजा ! खाकी डारे आते हुंगे। अब तुम उनका पुलिसवा समझ लेउ चाहे कछु और। तैयारी करकै रख लेउ।

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  10. बहुत बढ़िया लिख डाला :) अच्छा लगा इस भाषा में पढना

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  11. ई तोहार ब्लॉग नाही ..........का कहत बा

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  12. बबुनी बड़ा अच्छा लिखले बाडू....
    मजेदार लेखन ठेठ अंदाज़ पसंद आया...

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  13. परनाम
    "नाही जी...हमरा ई सब नहीं आवे है...ई पूजा मेमसाब कोई और रही...हम तो यही चौका बासन में खटे रही दिन भर, लिखा पढ़ी कैसे करी...हम तो मैट्रिक फेल रही ना। बहुत्ते हाथ पैर जोड़े गोसाई देवता के सौगंध खाए तब जा कर उ माने की इ हमार बिलोग नहीं है."
    अब हमहु बता रहें हैं की हम ब्लॉग हम पाहिले कबहूँ नाहीं देखे रहे पर आज देख लिहे तो इहा लिख दिहे किन्तु केहू से बतैहा जिन की हम इहाँ लिखले बानी का पता आज - भियान कौनो खाकी वाला हमहु के पकर ले .
    बहुत सुन्दर लेख पढ़ के आनंद आ गया .

    लेकिन याद रखिया आखिरी बार कहे देत हैं की ई हमार टिप्पनी नाही बा है

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  14. झकास लिखे हो ...पर बिलोग ससुरा किस मर्ज की दवा है इब तक नहीं समझे ....क्या करे ...ये कम्पूटर ओर अंग्रेजी में अपना हाथ थोडा तंग है न....

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  15. ई तो हमको चार दिन पहले ही पता चल गया था। हमसे कोई पूछेगा तो हम कह देंगे कि पूजा जी ने कहा है कि ये उनका ब्‍लाग नहीं है। आप चिंता मत कीजिएगा, हम कह देंगे कि उन्‍होंने यही बोलने को कहा है।

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  16. सिम्पली सुपर्ब मतलब साधरणतया असाधारण! पिछली कुछ पोस्टों से पूजा मेम साहब दिन पर दिन बहुत बेहतरीन अंदाज में लिखने लगी हैं। ऐसे ही लिखती रहें। बहुत खूब! बधाई!

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  17. सचमुच बहुत प्यारा लिखा है.
    बिहारी भाषाओं की मिठास का तो कोई जवाब ही नहीं है
    पढ़ कर हंसते हंसते लोट-पोट हो गया.
    लाजवाब

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  18. बहुत ही बढिया........अति उत्तम

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  19. अब तुम बताये दिए हो तो हमहू बताये देत हैं की हमरा भी कोई बिलोग फिलोग नाही है!का होत है जे बिलोगवा?

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  20. आनंदित कर दिया आपने। अति उत्तम। साधू...

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  21. भई जबर्दस्त पूजा..
    मन परसन्न भईल
    जय अंगिका
    जय भागलपुरी...

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  22. हम त पहिले ही कहत रहे ई ब्लॉगिंग पर रोक लगल . पर कोई मनवै नहीं करता :)

    धाँसू पोस्ट मानी गई है जी यह !

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  23. ई टिप्पणी भी हमार नाही है, क्यूंकि हमहुं तो कभी टिपयाते ही नही हैं। मजा आ गया वाह-वाह

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  24. waah waah ...का बात है...बड़ा dhaansoo likhle baadu हो......ekdam से मन prasann हो gail ........jiyo jiyo ...

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  25. ऎ बबुनी, डेराये के नईखे । ईहाँ कनून बड़ा न सहूलियत वाला हौ.. मामला चली बरिस आ मिली दू मिनट में बेल, त चलिं घूमि आवल जाय कागज़े पर ज़ेल :)
    मीडिया त स्टार बनैबे करीऽ, त ऊ अलग से बोनस बूझ लिहल जाई ।

    एक्ठो भेद के बतिया रऊआ के बतायीं,
    जे लिखे के होखे खूब लिखीं मन खोल के लिखीं,
    आ उर परकासन सेडूल मनमाफ़िक कईके दूसर सहर में घूम फिर आयीं,
    पोस्ट देखाला पर बवाल होखे त साफ़्फ़ै कहीं ' हम रहनी ह बाम्बई में, आउर पोस्टिया निकलल हौ बन्गलौर से.. '
    बिलोगिया त हमार हौ, पोस्ट केकर हौ भाई ?
    ई सब जाके सीबीई चचा से पूछीं ..'

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  26. ऐसे कहि के कैसे छूट जैहें बीबी जी आप कि ई बिलगवा आपका नाही है -कानूनवा क इतना बुडबक समझ लिहली का आप ? और ई बिलाग्राऊ ना मनिहें की ई बिलवा आपक नाहीए हौवे !

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  27. रोज- रोज आ रहल बा तोहार लेखनी में निखार
    उतरे ना देही जा तू इ बिलोगिंग के बुखार
    छोड़त रहबा जे तू ऐसन गोला बारबार
    जल्दिये बन जैबा बबुनी तू बिलोगिंग के स्टार .

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