अंगिका के बारे में बात करने से पहले अंग प्रदेश की बात करते हैं। अंग का पहला जिक्र गांधारी, मगध और मुजवत के साथ अथर्व वेद में आता है। गरुड़ पुराण, विष्णु धर्मोत्तर और मार्कंडेय पुराण प्राचीन जनपद को नौ भागों में बांटते हैं...इसमें पूर्व दक्षिण भाग के अंतर्गत अंग, कलिंग, वांग, पुंडर, विदर्भ और विन्ध्य वासी आते हैं।
बुद्ध ग्रन्थ जैसे अंगुत्तर निकाय में अंग १६ mahajanpadon में एक था (चित्र देखें)
अंग से जुड़ी हुयी सबसे prasiddh kahani महाभारत काल की है। पांडव और कौरव जब द्रोणाचार्य के आश्रम से अपनी शिक्षा पूर्ण करने लौटते हैं तो अर्जुन के धनुर्विद्या कौशल का प्रदर्शन देखने के लिए प्रजा आती है...यहाँ वे अर्जुन का प्रदर्शन देख कर दंग रह जाते हैं. पर तभी भीड़ में से एक युवा निकलता है और अर्जुन के दिखाए सारे करतब ख़ुद दिखाता है और अर्जुन से प्रतियोगिता करना चाहता है. द्रोणाचार्य ये देख चुके थे कि वह युवक बहुत प्रतिभाशाली है और अर्जुन को निश्चय ही हरा देगा...इसलिए वह उससे उसका कुल एवं गोत्र पूछते हैं यह कहते हुए कि राजपुत्र किसी से भी नहीं लड़ते...
दुर्योधन ये देख कर अपनी जगह से उठता है और उसी वक्त कर्ण को अंग देश का राजा घोषित करता है...यह कहते हुए कि अब तो प्रतियोगिता हो सकती है। द्रोणाचार्य तब भी उसके कुल के कारण उसे एक राजपुत्र का प्रतियोगी नहीं बनने देते हैं. कर्ण को सूतपुत्र कहा जाता है जबकि वास्तव में वह कुंती का पुत्र होता है जिसका कुंती ने परित्याग कर दिया था क्योंकि वह उस समय पैदा हुआ था जब कुंती कुंवारी थी. यहाँ से दुर्योधन और कर्ण की मैत्री शुरू होती है जिसे कर्ण अपनी मृत्यु तक निभाता है...क्योंकि दुर्योधन ने उसका उस वक्त साथ दिया था जब सारे लोग उसपर ऊँगली उठा रहे थे.
महाभारत और मसत्य पुराण में लिखा है की अंग प्रदेश का नाम उसके राजकुमार (कर्ण नहीं) के कारण पड़ा...जिसके पिता दानवों के सेनापति थे। प्राचीन काल में अंग प्रदेश की राजधानी चंपा थी...भागलपुर के पास दो गाँव चम्पापुर और चम्पानगर आज उस चंपा की जगह हैं। रामायण और महाभारत काल में अंग देश की राजधानी भागदत्त पुरम का जिक्र आता है...यही वर्तमान भागलपुर है। अंग प्रदेश वर्तमान बिहार झारखण्ड और बंगाल के लगभग ५८,००० किमी स्क्वायर एरिया के अंतर्गत आता है।
तो ये हुयी अंग प्रदेश की बात...यहाँ की भाषा को अंगिका कहते हैं। अंगिका भाषी भारत में लगभग ७ लाख लोग हैं. इस भाषा का नाम भागलपुरी इसकी स्थानीय राजधानी के कारण पड़ा इसके अलावा अंगिका को अंगी, अंगीकार, चिक्का चिकि और अपभ्रन्षा भी बोलते हैं. अंगिका की उपभाषाएं देशी, दखनाहा, मुंगेरिया, देवघरिया, गिध्होरिया, धरमपुरिया हैं. अक्सर भाषा का नामकरण उसके बोले जाने के स्थान से होता है...यही हम यहाँ भी देखते हैं. इसमें देवघरिया भाषा तो मैंने काफ़ी करीब से देखी और सुनी है क्योंकि देवघर में ही मेरा पूरा बचपन बीता है...यह उपभाषा यहाँ के पण्डे बोलते हैं. ये देवघर मन्दिर के पुजारी होते हैं. देवघरिया के सबसे मुख्य संबोधनों में से है " की बाबा!" जो मेरे ख्याल से मन्दिर का स्पष्ट प्रभाव है. शंकर भगवान के इस मन्दिर को बाबा मन्दिर भी बोलते हैं. वैद्यनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है.
अंगिका कुछ उन चुनी हुयी भाषाओँ में से है जिसका गूगल में अपना सर्च इंजन है २००४ से, गूगल अंगिका श्री कुंदन अमिताभ के सहयोग से बना है
इस लेख में हो सकता है कुछ गलतियाँ हो क्योंकि ये मैंने अपनी जानकारी और यथासंभव रिसर्च करके लिखी है. किसी को अगर कोई बात ग़लत लगे तो मुझे बता सकते हैं.
आज तो आपने इतिहास और अंगिका भाषा से संबंधित बडी उपयोगी जानकारी दी. बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteरामराम.
वाह वाह गजब. इतनी अच्छी जानकारी देकर गलतियाँ ढूँढने कह रहे हैं. बड़ी नाइंसाफी होगी. आपके लेखन में यह परिवर्तन देख मन गदगदायमान हो उठा. इट इस सिम्पली सुपर्ब. हमारी सोच है कि अंगिका मैथिली से भी बहुत कुछ मिलती जुलती हो सकती है.
ReplyDeleteअंगिका के मेरे प्रिय कवि रामदेव भावुक की ये लाइनें मेरे ज़ेहन में अक्सर रेंगती रहती हैं... होतै ललकी किरनियां के भोर मोर सजनी/ मिटतै जुलुम आर जोर... आपने बहुत अच्छा किया अंगिका के बारे में लिख कर। मैं अंगिका की बहन मैथिली भाषा की पृष्ठभूमि से हूं।
ReplyDeleteबहुत जबरदस्त जानकारी जुटाई हो.. वैसे मुझे अधिकांश जानकारी पहले से ही थी क्योंकि मुझे भी इस तरह के भौगोलिक और ऐतिहासिक जानकारियां पढ़ने का शौक रहा है, मगर इतनी सूक्ष्मता से जानकारी नहीं थी..
ReplyDeleteबस मजा आ गया पढ़ कर.. :)
bahut badhiya likhalay cho.angika ke bare mein padhi kay bahut achha laglay.
ReplyDeleteबड़ा ही शोधपरक और सधा हुआ आलेख है जी. क्या गल्ती निकालें.:)
ReplyDeleteबढ़िया है ऐसे ही विस्तार से समझाते रहिये.
भागलपुर , देवघर और मुंगेर क्षेत्र की भाषा अंगिका के बारे में लिखने के लिया शुक्रिया.
ReplyDeleteअंग क्षेत्र के बारे में लिखते रहें .
भागलपुर- मुंगेर एक स्वतंत्र सांस्कृतिक इकाई है . भाषा तो एक बात है , पर बहुत सारे पर्व और त्यौहार भी अंग प्रदेश के अपने हैं . मसलन भागलपुर की बिषहरी पूजा .
अंग क्षेत्र के लोकजीवन के अन्य पहलूओं के बारे में लिखें तो बढ़िया होगा .
हाँ , इस भाषा को बोलने बाले ५० लाख - करोड़ के करीब होंगें.
किउल नदी के पूर्व , जमुई से लेकर राजमहल और दक्षिण में सुदूर आदिवासी अंचल तक , विस्तृत भूभाग में यह बोली जाती है . पश्चिम में मगही और उत्तर में मैथिलि भाषी क्षेत्रों से घिरा क्षेत्र .
अठारहवीं सदी के बिहार और बंगाल का भविष्य अंग्भूमि में ही लिखा जा रहा था .
और लिखें .
मैं मगही भाषी हूँ लेकिन अंग प्रदेश और अंगिका के संपर्क में रहा हूँ.
सादर
इसे कहते हैं ब्लॉगजगत की सिनर्जी - परस्पर ज्ञानवर्धन कराने वाली ऊर्जा।
ReplyDeleteअंग के बारे में जान अच्छा लगा। भागलपुर गूगल मैप में देखा। चम्पापुर और चम्पानगर दिखे। चम्पानगर के पास से एक पतली नदी/नाला निकल कर गंगा में मिलता है। जिसके मुहाने पर कोई महर्षि मेही आश्रम है। इतनी जानकारी नॉन भागलपुरिये को आपके ब्लॉग के निमित्त मिलजाये - क्या बात है!
आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है , उसमे खामी निकालना हम्मरे बस की बात नही ...
ReplyDeleteकुछ बताना जरुर चाहुगा ....
*महाभारत तथा पुराणों में चंपा का नाम मालिनी मिलाता है
*दिघ्निकाय के अनुसार इस नगर के निर्माण की योजाना वास्तुकार महागोविन्द ने बनाई थी ।
*महाजनपद काल में यहाँ का शासक ब्रह्मदत था जिसने मगध के राजा भटीय को पराजित कर मगध का कुछ भाग जित लिया था ।
I don't know how to write in Hindi here otherwise I would have loved too :)
ReplyDeleteJust want to say, reading this post I felt good choosing your blog to follow...
आपने जिस मेहनत से यह पोस्ट जारी की है उससे आपके गहन अध्ययन की पुष्टि होती है। इतना ज्ञानवर्धक लेख वो भी संपुष्ट उदाहरणों के साथ प्रस्तुत करना सहज नहीं है। युवा होने के साथ आपको अपने संस्कारों और संस्कृति के प्रति जो लगाव और ज्ञान है उसको मैं सलाम करता हूँ। मेरी आपको ढेरों शुभकामनाएँ
ReplyDeleteसुन्दर! ये तो ज्ञानवान पोस्ट लिख दी! बहुत अच्छा लगा! बधाई!
ReplyDeletebahot hi subder lekhan hai apka. kya na ap inko published karwani ka liyai bhaj dai.
ReplyDeleteplease visit my blog--
http://katha-chakra.blogspot.com
akhilesh shukla
बड़ी मेहनत की है आपने। अंगिका को अंगिका ही कहा जाना चाहिए, भागलपुरी नहीं। मैं वज्जिका क्षेत्र में पैदा हुआ, लेकिन बिहार की सारी लोकभाषाएं मुझे प्रिय हैं। कोशिश करता हूं इन्हें समझने के साथ ही इन भाषाओं में बात भी कर सकूं। शोधपरक लेख के लिए साधुवाद।
ReplyDeletewah kya jankari di aapne to maza aa gaya :-) aapka ek alag rooop har roop paripurna :-) aapne mere blog ka naya template nahi dekha :-( http://rohittripathi.blogspot.com
ReplyDeleteअंगिका भाषा के बहाने बिहार के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानने को मिली |
ReplyDeleteबेशक कुछ कहानियां हमने पहले से भी हुई होती हैं.....फिर भी ना जाने क्यूँ किसी किसी के मुहं से सुन कर इक नया सा मजा आता है.....सच....!!...............इस कहानी पर ही यही तो महसूस हुआ...!!
ReplyDeleteतथ्यपरक लेख
ReplyDeleteइसके बाद गलतियों की गुंजाइश कहाँ बचती है?
angika aur ang ke bare me banglor me baith kar likha bahut achcha kiya....main champanagar ka rahne wala hun..aur delhi me jansatta me patrakar hun...my mobile number..9958103129
ReplyDeleteprasun
Pooja Tumhe sunna ya padhna bahut accha lagta hai, lagta hai kisi ne wo ahsas de diya jo mai sochata tha, tumhari lekhani mere pasand ke sabse kareeb hai.
ReplyDeleteGod Bless you
CA Amit GUpta
bahut achhi jankari di hay aapne
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