कहीं कोई कुछ ग़लत करता है तो हम सब मूसल ले के दौड़ पड़ते हैं उसका सर फोड़ने के लिए...पर कोई अच्छा करे तो एक शब्द नहीं कहते उसकी तारीफ़ में...ग़लत बात, बहुत ग़लत बात।
तो आज की ये पोस्ट बंगलोर के पुलिस कमिश्नर शंकर बिदारी के लिए...sir, i salute you। जब हर कोई पोलिटिकली करेक्ट होने के लिए भूल जाता है कि सही आचरण क्या है...अपने वोट बैंक पॉलिटिक्स और फूट डालने की राजनीति करने वाले लोग, किसी भी सही ग़लत उपाय के माध्यम से नाम हासिल करते लोग...ऐसे में चाहे पल भर के लिए ही सही किसी को तो याद आया कि भारत का एक संविधान भी है और इसने हमारे अधिकार दिए हैं जिनकी रक्षा करना पुलिस का काम है।
बिदारी ने प्रेस मीट में कहा "the constitution has guaranteed `the right to every individual to observe their cultural norms, speak their language and practice their religion subject to the condition that such observance will not violate any provisions of the law of the land।" मैं अनुवाद इसलिए नहीं कर रही कि किसी चूक से कहीं अर्थ का अनर्थ न हो जाए। ऐसी बातें बहुत दिन बाद सुनने को मिली हैं...हमारे नेता तो भूल ही गए हैं कि उनके व्यवहार के लिए कोई आचार संहिता है, कोई संविधान है।
मैं बिदारी कि कोई प्रशंशक नहीं हूँ, कई बार मेरे मतभेद भी रहे हैं उनके उठाये क़दमों से, पर इस बार मैं उनकी तहे दिल से प्रशंशा करती हूँ...for once, somebody is doing their job...and doing it the way it should be done। एक स्वस्थ समाज में अपने निर्णय लेने कि आजादी बहुत जरूरी है...इससे आपसी सद्भाव और मिल जुल कर रहने की भावना को बल मिलता है। tolerance बहुत जरूरी है...खास तौर पर तेज़ी से बदलते समाज में. अगर हम सिर्फ़ अपना कर्तव्य ठीक से करें तो हम इस समाज को एक बेहतर जगह बनाने की सबसे जरूरी कोशिश कर रहे हैं।
अधिकार के साथ साथ कर्तव्य भी आते हैं, rights and duties go together hand in hand.
अगले शनिवार प्यार को मानाने का दिन है...इस आजादी में थोड़ा प्यार हमारे देश के लिए भी...आख़िर हम स्वतंत्र हैं, निर्भय है, और सबसे जरूरी...जागरूक हैं.
जाने कहाँ ये पंक्तियाँ पढ़ी थी मन पर बड़ा गहरे असर करती हैं.
तन समर्पित मन समर्पित और ये जीवन समर्पित...चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ.
Bahut Sahi aur Achi Story hai.
ReplyDeletemy god! when will people start reading posts before commenting!
ReplyDeleteतन समर्पित मन समर्पित और ये जीवन समर्पित...चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ.
ReplyDeleteसच्ची ये असर करती हैं।
अच्छे लोगो की कमी नही है और देश ऐसे ही अच्छे और सच्चे लोगो की वजह से चल रहा है।ऐसे लोगो को सम्मान मिलना ही चाहिए फ़िर हमारे उससे व्यक्तिगत मतभेद क्यों न हो।
ReplyDeleteसिर्फ अपने हिस्से के कर्तव्य निभाने से ही तस्वीर बदल सकती है...
ReplyDeleteसच है, सबको यह बुद्धि आ आ जाए...
अच्छी पोस्ट...
जय बिदारी .....हमारी भी....
ReplyDeleteबिदारी जी ने वही बात दोहराई है जो संविधान में लिखा है ...और जिसे लोग याद नही रखना चाहते अपने मतलब के लिये
ReplyDeleteबिदारी की जय हो...हर अच्छे काम का सपोर्ट और तारीफ़ की जाना चाहिये.
ReplyDeleteरामराम.
पुलिस कमिश्नर की तारीफ तो करनी ही पड़ेगी लेकिन वे अपने convictions किस हद तक संजोये रह पाते हैं यह आने वाले दिनों में ही पता चल पायेगा. आभार. कमेन्ट देने की जल्दी में हूँ इसलिए स्टोरी नहीं पढ़ी!
ReplyDeleteये आपकी पोस्ट पर हर दफा एक-दो "विस्मयादिबोधक" टिप्पणीकार कैसे आ टपकते हैं...?
ReplyDeleteकमिशनर साब की तारीफ़ के इरादे से कमेंट के बक्से की तरफ बढ़ा तो पहली टिप्पणी और फिर उस पर तुम्हारी ये जबरदस्त झुंझलाहट-हा हा हा