
दूसरी परेशानी अौफिस के काम को लेकर थी, लैपटौप बेहद स्लो है. मुझे मेरी सोच की रफ्तार से चलने वाला कुछ चाहिये था. दिन भर स्लो लैपटौप में काम करने से वक्त भी ज्यादा लगता अौर इरिटेशन अलग होती. कलम के बजाये लैपटौप पर ज्यादा लिखने की अादत भी इसलिये पड़ी कि लैपटौप फास्ट ज्यादा है. फिर से अॉप्शन देखे तो मैक के बराबरी का कुछ भी नहीं दिखा...दिक्कत सिर्फ ये थी कि मैक में लिखने के लिये सब कुछ फिर से सीखना पड़ता. इतने सालों से गूगल का ट्रान्सलिटरेट टूल इस्तेमाल करने के बाद बिना सोचे टाईप करने की अादत बन गयी है...लिखना एकदम एफर्टलेस रहा है. यहाँ हर शब्द लिखने के बाद देखना पड़ता है. रफ्तार इतनी स्लो है कि कोफ्त होती है. मगर उम्मीद पे दुनिया कायम है...मूड बना कर स्टोर गये तो देखे कि जो पसंद अा रहा है करीब ९० हज़ार का है. इतना सोच के गये नहीं थे, वापस अा गये. फिर शुरु हुअा अपने को समझाने का वही पुराना सिलसिला जो हर महँगी चीज़ की इच्छा हो जाने पर होता है...जस्टिफाय करना खुद को कि मुझे इतना महँगा सिस्टम क्यूँ चाहिये. मन कहता इतनी मेहनत करती हूँ अाइ टोटली डिजर्व इट. फिर लगे कि फिजूल खर्ची है...कहीं पर थोड़ा ऐडजस्ट कर लूँ तो कम पैसे में बेहतर चीज अा सकती है, मन कौम्प्रमाइज करना नहीं चाहे, उसे या तो सब कुछ चाहिये, या कुछ भी नहीं।
नया मैक प्रो हाल में ही अाया था। रिव्यु सारे अच्छे दिखे। अब सारी अाफत सिर्फ इस बात की थी कि नये सिरे से सब सीखना कितना मुश्किल होने वाला है। दिन भर सोचा, फिर लगा, अाज नहीं कल करना ही है, जितनी जल्दी शुरु हो जाये, सुविधा ही रहेगी। हिन्दी टाइपिंग सारी फिर से सीखनी होती...काल करे सो अाज कर...मेरे वाले प्रो में ५१२ जीबी रैम है, रेटिना डिस्पले है अौर इसका वजन सिर्फ १.५ किलो है। कैलकुलेट किया तो देखा कि इससे ज्यादा वजन तो पानी की बोतल जो लेकर चलती हूं उसका होता है। नया मौडल पुराने वाले से कहीं ज्यादा हल्का भी है अौर तेज़ भी...इसमें फ्लैश मेमोरी है, गिरने पर भी डेटा खराब नहीं होगा, काफी तेज भी है। दो हफ्ते होने को अाये इस्तेमाल करते हुये, बहुत प्यारी चीज़ है।
अगर अाफत है तो सिर्फ ये, कि इस पर अभी लिखने की अादत नहीं बनी है, थोड़ा वक्त लगेगा। दूसरी अाफत है कि इस पर हिन्दी लिखना मुश्किल है काफी...बहुत सी मात्राअों के लिये शिफ्ट दबाना पड़ता है, कुछ के लिये तो अौप्शन की अौर शिफ्ट की, दोनो दबाना पड़ता है, इसके बाद जा के तीसरा की दबाते हैं। फिलहाल लिखना दुःस्वप्न जैसा है। हर अक्षर लिखने के पहले सोचना पड़ता है, कभी कभी लगता है कि क्या अाफत मोल लिये। स्पीड भी बहुत स्लो है टाइपिंग की। कितना कुछ तो बस लिखने के अालस में नहीं लिखती हूं। पर धीरे धीरे स्थिति बेहतर हो रही है। साल खत्म होने को अाया, कुछ नया, इस साल के जाते जाते। १३ इंच का मेरे मैक मेरी रिसर्च के हिसाब से ये अभी दुनिया का सबसे अच्छा लैपटौप है :)
मुश्किलें बहुत हैं...पर सीखना जारी है। जस्टिफिकेशन भी कि मुझे यही लैपटौप क्युँ चाहिये था। वो सब चलता रहेगा। फिलहाल I am trying to prove to myself, I am worth it :) वो लोरियल के ऐड जैसा। गिल्ट है जोर से। पर बाकी खर्चे पर कंट्रोल कर लूंगी, अौर खूब सारी मेहनत से काम करूँगी इसपर वगैरह वगैरह, फिर कुणाल ने न खरीदा होता तो हम खुद से थोड़े इतना महंगा लैपटौप खरीदने जाते, ये तो गिफ्ट है...इतना क्या सोचना। हज़ार अाफतों वाली जिन्दगी में, डूबते को तिनके का सहारा है मेरा मैक। दिसंबर महीने का मेरा प्यार का कोटा फुल :) इंस्टैन्ट लव। हाय मैं सदके जावां...बुरी नज़र वाले तेरा मुँह काला :) :)
नया मैक प्रो हाल में ही अाया था। रिव्यु सारे अच्छे दिखे। अब सारी अाफत सिर्फ इस बात की थी कि नये सिरे से सब सीखना कितना मुश्किल होने वाला है। दिन भर सोचा, फिर लगा, अाज नहीं कल करना ही है, जितनी जल्दी शुरु हो जाये, सुविधा ही रहेगी। हिन्दी टाइपिंग सारी फिर से सीखनी होती...काल करे सो अाज कर...मेरे वाले प्रो में ५१२ जीबी रैम है, रेटिना डिस्पले है अौर इसका वजन सिर्फ १.५ किलो है। कैलकुलेट किया तो देखा कि इससे ज्यादा वजन तो पानी की बोतल जो लेकर चलती हूं उसका होता है। नया मौडल पुराने वाले से कहीं ज्यादा हल्का भी है अौर तेज़ भी...इसमें फ्लैश मेमोरी है, गिरने पर भी डेटा खराब नहीं होगा, काफी तेज भी है। दो हफ्ते होने को अाये इस्तेमाल करते हुये, बहुत प्यारी चीज़ है।
अगर अाफत है तो सिर्फ ये, कि इस पर अभी लिखने की अादत नहीं बनी है, थोड़ा वक्त लगेगा। दूसरी अाफत है कि इस पर हिन्दी लिखना मुश्किल है काफी...बहुत सी मात्राअों के लिये शिफ्ट दबाना पड़ता है, कुछ के लिये तो अौप्शन की अौर शिफ्ट की, दोनो दबाना पड़ता है, इसके बाद जा के तीसरा की दबाते हैं। फिलहाल लिखना दुःस्वप्न जैसा है। हर अक्षर लिखने के पहले सोचना पड़ता है, कभी कभी लगता है कि क्या अाफत मोल लिये। स्पीड भी बहुत स्लो है टाइपिंग की। कितना कुछ तो बस लिखने के अालस में नहीं लिखती हूं। पर धीरे धीरे स्थिति बेहतर हो रही है। साल खत्म होने को अाया, कुछ नया, इस साल के जाते जाते। १३ इंच का मेरे मैक मेरी रिसर्च के हिसाब से ये अभी दुनिया का सबसे अच्छा लैपटौप है :)
मुश्किलें बहुत हैं...पर सीखना जारी है। जस्टिफिकेशन भी कि मुझे यही लैपटौप क्युँ चाहिये था। वो सब चलता रहेगा। फिलहाल I am trying to prove to myself, I am worth it :) वो लोरियल के ऐड जैसा। गिल्ट है जोर से। पर बाकी खर्चे पर कंट्रोल कर लूंगी, अौर खूब सारी मेहनत से काम करूँगी इसपर वगैरह वगैरह, फिर कुणाल ने न खरीदा होता तो हम खुद से थोड़े इतना महंगा लैपटौप खरीदने जाते, ये तो गिफ्ट है...इतना क्या सोचना। हज़ार अाफतों वाली जिन्दगी में, डूबते को तिनके का सहारा है मेरा मैक। दिसंबर महीने का मेरा प्यार का कोटा फुल :) इंस्टैन्ट लव। हाय मैं सदके जावां...बुरी नज़र वाले तेरा मुँह काला :) :)