इस भाग में आप पायेंगे की हमने कैसे वायो और डेल में पसंदीदा लैपटॉप चुना. इसके पहले का भाग यहाँ है. इसमें आप ये भी पायेंगे की एक लड़की का और एक लड़के का किसी भी तरह के सामान खरीदने के पीछे एकदम अलग मनोविज्ञान होता है.
वायो VPCCB14FG/B के इस मॉडल में १५.५ इंच फुल हाई डेफिनिशन स्क्रीन थी और मैक के स्क्रीन की तुलना में सबसे अच्छी स्क्रीन लगी थी मुझे. लैपटॉप की प्रोसेसिंग स्पीड के अलावा जिस छोटे से फीचर के कारण मेरा चुनाव टिका हुआ था वो था बैकलिट कीबोर्ड. अक्सर मैं और कुणाल अलग अलग टाइम पर काम करना पसंद करते हैं तो कई बार होता है कि उसे सोना होता है और मुझे काम भी करना होता है. रात को कभी कभार लिविंग रूम में मुझे ३ बजे डर सा लगता है...अब लाईट जला के काम करती हूँ उसे सोने में दिक्कत होती है और बिना लाईट के लिखने में मुझे परेशानी. बैक लिट कीबोर्ड किसी लो-एंड मॉडल में नहीं था...तो ये मॉडल ५४ हज़ार का पड़ रहा था मुझे. बहुत दिन सोचा कि १० हज़ार के लगभग ओवर बजट हो रहा है मगर कोई और मॉडल पसंद ही नहीं आ रहा था और फिर लगा कि लंबे अरसे तक की चीज़ है...और कुणाल ने कहा...अच्छा लग रहा है ना, ले लो...इतना मत सोचो :)
मेरे लिए लैपटॉप का भी सुन्दर होना अनिवार्य था...मैं बोरिंग सा डब्बा लेकर नहीं घूम सकती...लैपटॉप सिर्फ क्रियात्मक(functional) होने से नहीं चलेगा. उसे मेरे स्टाइल के मानकों पर भी खरा उतरना होगा. मैं डेल के शोरूम गयी, डेल के मॉडल ने मुझे प्रभावित नहीं किया. मेरे लिए लैपटॉप भी पहली नज़र का प्यार जैसा होना जरूरी था...यहाँ के लैपटॉप मुझे अरेंज मैरिज जैसे लगे. उसपर डेल की जो सबसे बड़ी खासियत है, वो आपकी पसंद के फीचर्स के हिसाब से लैपटॉप कस्टमाईज कर के देंगे, मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगा. लगा की गोलगप्पा या चाट बनवा के खा रही हूँ...थोडा मिर्ची ज्यादा देना...ना न नमक तेज लग रहा है. मेरी ये बात सुन के टेकिस(Techies/Geeks) अपना सर फोड़ सकते हैं इसलिए उनको यहीं चेता रही हूँ की कृपया आगे न पढ़ें. मेरे लैपटॉप खरीदने के कारण यहाँ से होरोर मोड में आगे बढ़ेंगे. डेल के लैपटॉप थोड़े ज्यादा भारी(read bulky) लगे, किसी लड़के के लिए ठीक हैं पर मेरे लिए...उनमें नज़ाकत नहीं थी(आप कहेंगे होनी भी नहीं चाहिए, खैर). कुणाल के लिए, या मेरे भाई के लिए परफेक्ट हैं (पापा के पास भी डेल ही है) पर मेरे लिए...एकदम न...ऐसा लैपटॉप लेकर मैं नहीं घूम सकती.
तो फिर सोनी का VPCCB14FG/B चुना...बुक करवा दिया था और जब खरीदने पहुंची तो उन्होंने बताया की ये मॉडल स्टॉक में ही नहीं है सिर्फ नारंगी और हरे रंग में है. मुझे एकदम रोना आ गया...मैं वहीं बैठ के आंसू बहाने वाली थी की क्रोमा के फाइनांस वालों ने तुरंत्बुद्धि का परिचय देते हुए मुझे बगल में ही सोनी शोरूम चलने को कहा. वहां भी बहुत देर तलाशने के बाद मॉडल नहीं मिला...तब तक मेरी नज़र इस लैपटॉप पर जा चुकी थी VPCCA15FG/R...गहरे लाल रंग का ये लैपटॉप उसी दिन आया था शोरूम में...और इससे प्यार हो चुका था. इसके सारे फीचर्स पहले वाले के ही थे बस स्क्रीन १४ इंच थी और फुल हाई डेफिनिशन नहीं थी. मुझे पहले भी १५.५ थोडा ज्यादा बड़ा लग रहा था क्यूंकि मैं लैपटॉप लेकर अक्सर घूमती फिरती रहती हूँ. फुल HD नहीं होने का थोडा चिंता हुयी पर मैं वैसे भी लैपटॉप पर फिल्में नहीं देखती...तो लगा की छोटे साइज़ में और इस रंग के लिए ये कॉम्प्रोमाइज चलेगा.
वैसे भी सोनी के लाल रंग के लैपटॉप पर मेरा सदियों पहले से दिल आया हुआ था. लैपटॉप बेहद अच्छा चल रहा है...बहुत ही फास्ट है, हल्का है २.४ किलो और रंग ऐसा की जिस मीटिंग में जाती हूँ नज़रें लैपटॉप पर :) ये रंग मार्केट में सबसे तेज़ी से बिकता भी है...जब भी ढूंढिए आउट ऑफ़ स्टोक मिलता है.
पिछले कुछ दिनों में प्रवीण जी और अनुराग जी ने भी लैपटॉप ख़रीदे. प्रवीण जी का मैक एयर है और अनुराग जी ने डेल इन्स्पिरोन(लाल रंग में) ख़रीदा. प्रवीण जी अपने लैपटॉप को पहली नज़र का प्यार कहते हैं जबकि अनुराग जी उसे 'मेरा प्यार शालीमार'. इन दोनों की और मेरी खुद की पूरी प्रक्रिया पर नज़र डालती हूँ तो एक बात साफ़ दिखती है...हम चाहे जो सोच कर, दिमाग लगा कर, लोजिक बिठा कर खरीदने जाएँ...लैपटॉप जैसे मशीन भी हम प्यार होने पर ही खरीदते हैं. :) दिल हमेशा दिमाग से जीतता है.
बैक लिट कीबोर्ड किसी लो-एंड मॉडल में नहीं था...तो ये मॉडल ५४ हज़ार का पड़ रहा था मुझे...
ReplyDeleteइसके लिए सौ रुपल्ली का यूएसबी एलईडी लाइट आता है. मजे में काम चलता है, और ऑँखों के लिए बैकलिट कीबोर्ड से ज्यादा बेहतर भी होता है. :)
चलो जी जिस पर दिल आया उसी को खरीद कर घर भी ले आये।
ReplyDeleteदिल आये सोनी वायो पर ...डेल एसपरान क्या चीज है?
ReplyDeleteरोचक विवरण !
ReplyDeleteदिल हमेशा दिमाग से जीतता है।
ReplyDeleteमनोविज्ञान निश्चय ही अलग होता है पर पहली नज़र का प्यार तो हमें भी हुआ, हमने तो लगभग पीएचडी कर ही ली थी लैपटॉप पर, खैर अब सलाह देंगे। रात में बैकलिट का प्रयोग करने से आराम होने लगा है, इसीलिये अभी हिन्दी के स्टीकर नहीं लगाये हैं, संभवतः अब लगायेंगे भी नहीं। हमने ११.६ का मैकबुक लिया है, विशुद्ध लेखकीय कारणों के लिये।
ReplyDeleteनये लैपटॉप का मौसम है!
ReplyDeleteमैं भी सरकारी दक्षिणा में मिलने वाले लैपटॉप की प्रतीक्षा में हूं!
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आपका यह लैपटॉप तो आपकी ब्लॉग थीम की तरह चमकदार है!
पूजा जी, बहुत ही प्यारा है। अब ब्लॉग बंद करके हटता हूं, वर्ना कहीं लालच न आने लगे...
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कभी देखा है ऐसा साँप?
उन्मुक्त चला जाता है ज्ञान पथिक कोई..
:)
ReplyDeleteवैसे पता नहीं क्यों सोनी के नाम से ही मुझे चिढ़ है :P लेकिन आपका लाल-लाल लैपटॉप मस्त लग रहा है :)
दिल दिमाग पर हमेशा जीतता है? हमेशा तो नहीं !
ReplyDeleteलाल... मैं तो कभी नहीं ले पाता :)
@अभिषेक...आप पूरी पोस्ट पढ़ कैसे गए...हमने तो शुरू में ही कह दिया था...techies/geeks इसके आगे न पढ़ें :) आपने अपनी खुद की जिम्मेदारी पर पढ़ा है :)
ReplyDeleteलाल लड़कियों के लिए हैं सोनी का...आज ही एक मित्र से सुना Vaio is for girls...Dell is for boys :D
ये लाल रंग...
ReplyDeleteकई बेहतरीन जानकारियां चस्पा हो कर आई हैं. रवि जी ने जो उपाय सुझाया है. बहुत कीमती है.
@पूजा जी
ReplyDeleteVaio is for girls..Dell is for boys :D :D ये नया कांसेप्ट जानने को मिला :)
वैसे उस चेतावनी को अनदेखा कर मैंने पोस्ट इसलिए पढ़ लिया क्यूंकि मैं फ़िलहाल नाम का techies/geek हूँ :P असल टेकिस जो हैं प्रशांत,पंकज,स्तुति..देखिये उन सब के कमेन्ट नहीं आये हैं...:) :)
I have a VPCEB24EN 15.5. Sony Vaio is a wonderful choice.
ReplyDeleteकुछ तुक नहीं लगी!पता नहीं क्यों लैपटॉप को लाल होने पर पूजा को प्यार आया? लाल टमाटर अच्छा लगे तो जमता है मगर लैपटॉप लाल रंग की वजह से खरीदा जाए इसकी तुक तो केवल पूजा ही बता सकती है, वह बता भी चुकी है।
ReplyDelete??????
यह अत्यधिक भड़कीला है. मैं नहीं चाहूँगा की लोग मेरी बेटी को टक टकी बाँध देखते ही रहें. अब यही तो मनोविज्ञान है. बधाई तो देनी ही पड़ेगी न.
ReplyDelete@सुब्रमनियम जी...लोग बेटी को नहीं देखेंगे...लैपटॉप ऐसा है कि कोई बेटी को देखेगा ही नहीं, बल्कि लैपटॉप को ही घूरता रह जाएगा :) इस तरह से तो लैपटॉप ध्यान भटकाने का एक सक्षम साधन है :)
ReplyDeleteलाल ..
ReplyDeleteआपका लाल
कई बार बाहरी सौंदर्य भी हमें उलझा लेता है, मुझे अलुमिनियम केसिंग ने आकर्षित किया था, तब 512 ram खरीद लिया था, फिर 6 महीने में ram अपग्रेड की 2 gb, तब जाकर स्पीड से काम करने योग्य हुआ. लेकिन .. पहली नज़र का प्यार तो पहली नज़र का प्यार है !!!
प्रवीण जी लैपटपियाए हुए हैं…और यहाँ भी यही हाल है…
ReplyDeleteपहले वाले पार्ट में ही समझ गया था कि लाल गोपाल ही पसन्द हैं.. :)
ReplyDeleteसहपाठियों का भी लाल रंग की तरफ ज्यादा रूझान है.. लाल रंग लपेट के जहर भी खिला दो तो उन्हें टेस्टी लगता है..
लेकिन आपका चुनाव सही है.. ;)