30 October, 2009

मुस्कुराने के कुछ मज़ेदार तरीके


कभी कभार काम के सिलसिले में फोंट्स डाउनलोड करती रहती हूँ...तो इनपर नज़र गई...ये स्माइली नहीं हैं, फोंट्स हैं। मुझे बहुत प्यारे लगे, तो सोचा आपके साथ शेयर कर लूँ । इनका नाम है chickabiddies और आप इन्हें यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं to jara मुस्कुराइए

29 October, 2009

भागता सूरज...मैसूर...स्कोडा फाबिया

डूबने की हड़बड़ी में सूरज
बड़ी तेज भाग रहा था
मैंने पकड़ा...इस तस्वीर में
और तब से बातें कर रही हूँ उससे

नए शहर की गलियां पहचानी लगीं
अजनबी लोगों ने भी सही रास्ता बताया
मैसूर महल बचपन में बहुत बड़ा लगा था
इस बार बहुत खाली खाली लगा, उदास भी

कुछ पुराने गानों को नए नज़ारे मिले
नारियल के पेड़ भी जैसे झूम रहे थे
सड़क किनारे बैलगाडियां, खेतों के साथ नहर
जैसे सब एक ख्वाब था...यकीं की हद तक खूबसूरत

तीन सौ किलोमीटर आने जाने के बाद
फ़िर से प्यार हो गया...
तुमसे और अपनी रेड स्कोडा फाबिया से भी
प्यार बार बार होना भी चाहिए :)

21 October, 2009

मुझे वोट दें :) :)


भाइयों, बहनों...वरिष्ट ब्लागरों....नए ब्लागरों...नवेले ब्लोग्गरों
सबसे अनुरोध है...विनम्र निवेदन है...इस महीने का ब्लॉगर ऑफ़ दा मंथ में कविता लिखने वाले ब्लॉगर को वोट करना है...वैसे तो मैं नहीं कहती, पर आप ही लोगों ने तारीफ़ कर कर के झाड़ पर चढा दिया है, आपके भरोसे प्रतियोगिता में हिस्सा ले लिया है। अपने हिस्से का काम मैंने कर दिया है...अब आपकी बारी है...

वर्चुअल identity है इसलिए विनम्र निवेदन ही कर सकते हैं...तो आप सबसे अनुरोध है...अगर आप मुझे अच्छा कवि समझते हैं तो यहाँ वोट दें...

इस लिंक पर और भी १८३ लोग हैं, आप पॉँच ब्लोग्स को वोट कर सकते हैं।

वोटिंग में एक हफ्ता और बचा है...यही वक्त है, जाइए जाइए इंतज़ार किसका है...वोट कीजिए...फ़िर बाद में मत कहियेगा की बताया नहीं था :D

13 October, 2009

एक लॉन्ग ड्राइव से लौट कर


जाने क्या है तुम्हारे हाथों में
कि जब थामते हो तो लगता है
जिंदगी संवर गई है...

बारिश का जलतरंग
कार की विन्ड्स्क्ररीन पर बजता है
हमारी खामोशी को खूबसूरती देता हुआ

कोहरा सा छाता है देर रात सड़कों पर
ठंढ उतर आती है मेरी नींदों में
पीते हैं किसी ढाबे पर गर्म चाय

जागने लगते हैं आसमान के बादल
ख्वाब में भीगे, रंगों में लिपटे हुए
उछल कर बाहर आता है सूरज

रात का बीता रास्ता पहचानने लगता है हमें
अंगड़ाईयों में उलझ जाता है नक्शा
लौट आते हैं हम बार बार खो कर भी

अजनबी नहीं लगते बंगलोर के रस्ते
घर भी मुस्कुराता है जब हम लौटते हैं
अपनी पहली लॉन्ग ड्राइव से

रात, हाईवे, बारिश चाय
तुम, मैं, एक कार और कुछ गाने
जिंदगी से यूँ मिलना अच्छा लगा...

09 October, 2009

पानियों के रंग

बिखेर दूँ कुछ रंग बहते पानियों में
हमको भी जीने का गुमां हो जाए

ऐसे बरसे अबके बार का सावन
तेरे संग भीगने का गुमां हो जाए

कोयल ऐसे कूके मंजर आते ही
बचपन के गाने का का गुमां हो जाए

उड़ती फिरूं दिल्ली की हवाओं में ऐसी
यादों के जीने का गुमां हो जाए

मन्दिर में कोई ऐसी आरती गाएं सब
किसी भगवान के होने का गुमां हो जाए

सड़कों सड़कों क़दमों की आहट चुन लूँ
फ़िर तेरे लौट आने का गुमां हो जाए

तेरी आंखों में हँसता ख़ुद को देखूं
यूँ जिंदगी जीने का गुमां हो जाए

04 October, 2009

कार ड्राइविंग और बिल्ली

कार के डैशबोर्ड पर
जिद्दी जिद्दी टाइप के शब्द लटक जाते हैं
गियर, एक्सीलेटर, क्लच
पांवों के पास नज़र आते ही नहीं

बहुत तंग करते हैं मुझे
गिरगिटिया स्पीडब्रेकर
अचानक से सामने आ कर
डरा देते हैं...और इसी वक्त ब्रेक
चल देता हैं कहीं और
महसूस नहीं होता पांवों के नीचे

शायद पैरों तले जमीन खिसकना ऐसा ही होता होगा

खटके से बंद हो जाती है गाड़ी
जीरो से एक गियर पर चढ़े बिना
भागने लगते हैं सड़क के सारे खम्भे
मेरी कार शुरू होने के पहले ही
बताओ भला, खम्भे में जान थोड़े होती है जो वो डरे!

हर चैनल पर बजते हैं सिर्फ़ कन्नड़ गाने
मेरी समझ से बाहर, जैसे कि गियर की डायरेक्शन
आगे पीछे, ऊपर नीचे....उफ्फ्फ्फ्फ्फ
जरा सा छूते ही एक साथ जलने लगती है बत्तियां
कभी वाइपर चलने लगता है अपने आप से
गाड़ी अपना दिमाग बहुत चलती है लगता है

घंटी बजाते गुजरता है एक साइकिल वाला
हँसते हुए ओवर टेक करता है
चौराहे पर एक बिल्ली मुझे घूरने लगती है
मैं उसके भी सड़क पार करने का इंतज़ार करती हूँ

और फ़िर बिल्ली के कटे हुए रास्ते में गाड़ी कैसे सीखूं...
घर आ जाती हूँ वापस
दिल ही दिल में बिल्ली को दुआएं देती हुयी
ड्राइविंग सीखने का एक और घंटा यूँ गुजर जाता है...

भगवान् उस बिल्ली को सलामत रखे!

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