बिखेर दूँ कुछ रंग बहते पानियों में
हमको भी जीने का गुमां हो जाए
ऐसे बरसे अबके बार का सावन
तेरे संग भीगने का गुमां हो जाए
कोयल ऐसे कूके मंजर आते ही
बचपन के गाने का का गुमां हो जाए
उड़ती फिरूं दिल्ली की हवाओं में ऐसी
यादों के जीने का गुमां हो जाए
मन्दिर में कोई ऐसी आरती गाएं सब
किसी भगवान के होने का गुमां हो जाए
सड़कों सड़कों क़दमों की आहट चुन लूँ
फ़िर तेरे लौट आने का गुमां हो जाए
तेरी आंखों में हँसता ख़ुद को देखूं
यूँ जिंदगी जीने का गुमां हो जाए
वाह !!
ReplyDeleteमज़ा आ गया जी
क्या बात है.. गजल शजल लिखी जा रही है...
ReplyDeleteसड़कों सड़कों क़दमों की आहट चुन लूँ
फ़िर तेरे लौट आने का गुमां हो जाए..
ये वाला लेकर जा रहा हूँ.. कोई प्रोब तो नहीं
सावन की बारिश में डूब गया वह मौन दिन ...............वाह .
ReplyDeleteउड़ती फिरूं दिल्ली की हवाओं में ऐसी
ReplyDeleteयादों के जीने का गुमां हो जाए
Badhiya.
बहुत सुन्दर रंग बिखेरे है।
ReplyDeleteऐसे बरसे अबके बार का सावन
तेरे संग भीगने का गुमां हो जाए
ये रंग ज्यादा ही पसंद आया।
तेरी आंखों में हँसता ख़ुद को देखूं
ReplyDeleteयूँ जिंदगी जीने का गुमां हो जाए
क्या ख़्वाब है. हसीन और सुन्दर एहसास
बहुत सुंदर कविता, आप ने तो पतझड मै सावन का रंग ला दिया, बहुत अच्छा.एक सुंदर एहसास
ReplyDeleteधन्यवाद
उड़ती फिरूं दिल्ली की हवाओं में ऐसी
ReplyDeleteयादों के जीने का गुमां हो जाए
मन्दिर में कोई ऐसी आरती गाएं सब
किसी भगवान के होने का गुमां हो जाए
बहुत ही सुन्दर भावनाओं को आपने बेहद खूबसूरती से पेश किया है। हार्दिक बधाई।
हेमन्त कुमार
behad sunder
ReplyDeleteलिखती रहें आप यों ही ताकि
ReplyDeleteआपसे मिलते रहने का गुमा हो जाए.
simpl;y awesome:)
ReplyDeleteशुभा मुदगल का गीत याद आया
ReplyDelete... अबके सावन ऐसे बरसे... आप भी गाइए...
... घटा सावन की ऐसे बरसे.. बरसे...
खेर दूं कुछ रंग थिरकते पानियों में, हमको भी जीने का गुमां हो जाए..
नया कलेवर और फ्लेवर दोनों पसंद आया...
शब्द ऐसे ही बनने चाहियें। पानियों को आकार मिलना चाहिये!
ReplyDeletetum isi tarah likhte raho,
ReplyDeleteteri dosti ka gumaan ho jaaye..
WOW, bahut sundar...I loved it girl...Specially jab kisi ke laut aane ka gumman hone ki baat ki aap ne...
ReplyDeleteThank you for sharing and thank you for reading my blog...Really appreciate it...loved your comments.
उड़ती फिरूं दिल्ली की हवाओं में ऐसी
ReplyDeleteयादों के जीने का गुमां हो जाए
बहुत बढिया...
वैसे ध्यान रखिएगा कि दिल्ली में प्रदूषन बहुत है...कोई मास्क वगैरा ले के फ्लाई करें तो ज़्यादा बेहतर रहेगा
खूबसूरत रचना
तेरी आंखों में हँसता ख़ुद को देखूं
ReplyDeleteयूँ जिंदगी जीने का गुमां हो जाए
बहुत सुन्दर ! दिल को छूने वाली पंक्तियां !
बधाई !
उड़ती फिरूं दिल्ली की हवाओं में ऐसी
ReplyDeleteयादों के जीने का गुमां हो जाए
बहुत सुन्दर ...
सड़कों सड़कों कदमों की आहट चुन लूँ...
ReplyDeleteकुछ मिस्रे जैसे कि स्वर्ग से उतर कर आते हैं।
Nice!
ReplyDeletebhagwan hone ka gumaa ho jaye.....ati sundar shabd
ReplyDeleteteri aankhon mein hansta khud ko dekhun, yun zindagi jeena ka gumaan ho jaaye .......
ReplyDeletekahin gehre utar gayee yeh bhavnayein..