डूबने की हड़बड़ी में सूरज
बड़ी तेज भाग रहा था
मैंने पकड़ा...इस तस्वीर में
और तब से बातें कर रही हूँ उससे
नए शहर की गलियां पहचानी लगीं
अजनबी लोगों ने भी सही रास्ता बताया
मैसूर महल बचपन में बहुत बड़ा लगा था
इस बार बहुत खाली खाली लगा, उदास भी
कुछ पुराने गानों को नए नज़ारे मिले
नारियल के पेड़ भी जैसे झूम रहे थे
सड़क किनारे बैलगाडियां, खेतों के साथ नहर
जैसे सब एक ख्वाब था...यकीं की हद तक खूबसूरत
तीन सौ किलोमीटर आने जाने के बाद
फ़िर से प्यार हो गया...
तुमसे और अपनी रेड स्कोडा फाबिया से भी
प्यार बार बार होना भी चाहिए :)
सूरज को पकड कर बाते करना
ReplyDeleteवाह क्या बात है और बहुत खूबसूरती से पकडा है.
तीन सौ किलोमीटर आने जाने के बाद
ReplyDeleteफ़िर से प्यार हो गया...
तुमसे और अपनी रेड स्कोडा फाबिया से भी
प्यार बार बार होना भी चाहिए :)
--दार्शनिक चिन्तन!! ऐसा नजारा हो तो होना स्वाभाविक भी है.
बढ़िया.
जिंदगी में प्यार से हमें कई बार प्यार होता है
ReplyDeleteये जान कर कि प्यार बहुत प्यारा है
बस वजहें अलग अलग होती हैं प्यार से प्यार होने कीं
रेड स्कोडा की जय हो.
ReplyDeleteकुछ पुराने गानों को नए नज़ारे मिले
ReplyDeleteनारियल के पेड़ भी जैसे झूम रहे थे
वाह वाह बहुत सुंदर लगी आप की यह मन भावन रचना.धन्यवाद
शब्दों मैं डुबोने को सूरज को बिलकुल सही समय पर क़ैद किया :-)
ReplyDeleteमैसूर मुझे बंगलौर से ज्यदा हसीन लगा था .ओर खास तौर से वो रास्ता .......तभी मैंने सोचा एक रात तो यहां गुजरुंगा ही
ReplyDeleteबार बार हो ... और हर बार एक ही से हो तो क्या मज़ा है....!
ReplyDeleteskoda fabia?? aapki apni :) badhaiyan :)
ReplyDeletehum apni salary mein cycle le len, wahi bahut badi baat hai :D
pyaar baar baar hona chahiye ..... aur usmein baar doob kar bhi har baar nayee taazgi si lage...wohi zindagi ka asli ras hai ..
ReplyDeleteHello puja g Good afternoon,
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