04 October, 2009

कार ड्राइविंग और बिल्ली

कार के डैशबोर्ड पर
जिद्दी जिद्दी टाइप के शब्द लटक जाते हैं
गियर, एक्सीलेटर, क्लच
पांवों के पास नज़र आते ही नहीं

बहुत तंग करते हैं मुझे
गिरगिटिया स्पीडब्रेकर
अचानक से सामने आ कर
डरा देते हैं...और इसी वक्त ब्रेक
चल देता हैं कहीं और
महसूस नहीं होता पांवों के नीचे

शायद पैरों तले जमीन खिसकना ऐसा ही होता होगा

खटके से बंद हो जाती है गाड़ी
जीरो से एक गियर पर चढ़े बिना
भागने लगते हैं सड़क के सारे खम्भे
मेरी कार शुरू होने के पहले ही
बताओ भला, खम्भे में जान थोड़े होती है जो वो डरे!

हर चैनल पर बजते हैं सिर्फ़ कन्नड़ गाने
मेरी समझ से बाहर, जैसे कि गियर की डायरेक्शन
आगे पीछे, ऊपर नीचे....उफ्फ्फ्फ्फ्फ
जरा सा छूते ही एक साथ जलने लगती है बत्तियां
कभी वाइपर चलने लगता है अपने आप से
गाड़ी अपना दिमाग बहुत चलती है लगता है

घंटी बजाते गुजरता है एक साइकिल वाला
हँसते हुए ओवर टेक करता है
चौराहे पर एक बिल्ली मुझे घूरने लगती है
मैं उसके भी सड़क पार करने का इंतज़ार करती हूँ

और फ़िर बिल्ली के कटे हुए रास्ते में गाड़ी कैसे सीखूं...
घर आ जाती हूँ वापस
दिल ही दिल में बिल्ली को दुआएं देती हुयी
ड्राइविंग सीखने का एक और घंटा यूँ गुजर जाता है...

भगवान् उस बिल्ली को सलामत रखे!

18 comments:

  1. अच्छी आपबीती| अब बंगलोर को बाय बाय बोल दिल्ली आ जाइये जैसे मैं आ गया!

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  2. कही बिल्ली भी तो वापस नही लौट गयी अपने घर कार द्वारा रास्ता काटे जाने पर.
    अच्छा लगा संस्मरणात्मक रचना पढकर

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  3. साइकिल वाले की इतनी हिम्मत कि कार वाली को मुश्किल में देखकर मुस्कराए ? :)

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  4. लगी रहिए सीख जाँएगी।
    मुझे 3 वस्तादों ने मिल कर सिखाया था :)

    विवेक जी, हिम्मत और मुस्कुराने का कोई सम्बन्ध नहीं। हँसने के लिए अवश्य कभी कभी हिम्मत की आवश्यकता पड़ती है।

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  5. कार और बिल्ली का सामंजस्य एक पहेली की भांति द्रिस्तिगाचार होती है. प्रयास अच्छा है इसमें भाव के साथ साथ डूब कर मोती पाने जैसा पर्लाछित होता है. प्रयोग शैली में लंछारिक भाषा का उपयोग अच बन परा है. बधाई--- उक्त ke सम्बन्ध में कहूं तो थोरा सा और प्रयास हो तो मंचीय भी हो सकती है. यद्यपि आप में शब्दों को ढालने का हुनर है तो देर किस बात की--- हमारी शुभकामनाये आपके साथ है. शेष फिर----
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  6. sahi mein naa... sab cheezein tumhare hi khilaaf saazish karti hain... pehle patnaa mein ghar ki deewarein, mez aur kursiyaan ityaadi apni jagah chod tumse takraane aa jaate the.... abhhi break, accelerator, gear, sab apni jagah se hatt tumse door ho jaate hain...kyun :p

    bahut naainsaafi hai...:p
    vaise agar uss billi kaa pataa aapko mil jaaye jo aapko driving class se chutkaara dilaati hai to kyaa aapki uski daawat kariyegaa...

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  7. बिल्ली रास्ता काट दे तो आज भी कार एक इंच आगे नही बढाता हूं।सालो हो गये,एक बार आगे निकल कर रिस्क लिया था भोपाल रोड पर।बस समझ लो जान जाते-जाते बची थी।तब से आज तक़ बिल्ली के आगे के जाने की हिम्मत नही जुटा पाया हूं।

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  8. एक साथ कई ड्राइविंग कर रही हैं आप...

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  9. सेफ ड्राइविंग ..गुड लक!
    ईश्वर आपके ड्राइविंग लाइसेंस को बचाए रखे.
    आपकी कविता चेहरे पर मुस्कान ले आती है.

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  10. keep it up! another milestone for your independence..

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  11. मतलब आप भी बिल्ली के रास्ता काटने जैसे अन्धविश्वास को मानती हैं । बिल्ली को देखकर अचानक कार रोक देंगी तो पीछे से आ रहा वाहन आपको ठोकर मार देगा । तब ? यह तो रस्ता पार करने के पहले ही दुर्घटना हो जायेगी ना । कार चलाना सीखने के लिये all the best । कवि राजेश जोशी की एक अद्भुत कविता है कार चलाना सीखने पर मिले तो पढ़िये ।

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  12. बहुत सटीक कविता लगी आपकी..बंगलौर की सड़को जैसी..दुरुह, अन्प्रेडिक्टेबल, मगर अनवॉयडेबल..बंगलोर का ट्रैफ़िक जीवन की क्षणभंगुरता पर से वि्श्वास डगमगा देता है मगर जीवन की उन्प्रेडिक्तबिलिटी पर विश्वास डबल. शायद युवराज सिद्धार्थ भी गौतम बुद्ध बनने से पहले बंगलोर के ट्रैफ़िक मे ही फंसे होंगे. ;-)
    आपकी सकुशल ड्राइविंग लेसन्स की प्रार्थना है..बस काशी की तरह तीन चीजों से बच कर रहियो.. टैक्सी, ऑटो और वोल्वो ;-)

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  13. आज यूंही चिट्ठा जगत पर घूमते हुये आपका ब्लाग दिख गया। अभी पूरा तो नहीं पढा पर ये पोस्ट पढकर टिप्पडी करने से अपने आपको रोक नहीं पाये। हमें भी ये गुमान था कि हमारे जैसा कोई नहीं होगा जो हर वक्त ही इधर उधर टकराता फ़िरे, पर आज आपको पढकर लगा कि आप भी हैं। वैसे कार चलाना सीखने के लिये शुभकामनायें। हम भी बैंगलौर की सडकों पर कार चलाना सीख ही गये हैं। पर गेयर क्लच के चक्करों में हम नहीं पडे, आटोमैटिक कार की बदौलत ही हम ड्राइव करते हैं।

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