'तीन रोज़ इश्क़ - गुम होती कहानियां' मेरी पहली किताब है. यह साल 2015 मार्च में पेंगुइन से छपी थी. किताब में 46 छोटी कहानियां हैं.
फंतासी और रूमान में डूबे किरदार हैं, तुनकमिजाज, जिद्दी, और इश्किया. उन्हें कभी जिस्म का काला जादू घेरता है तो कभी आदमखोर इमारतें उनके रूहों को कैद करने को भागी आती हैं. दुआएँ बुनने वाला एक उदास जुलाहा है जो अपनी रूह के धागे से सिल सकता है टूटे हुए दिल.
इन छोटी कहानियों में एक चोर दरवाजा है जिससे आप कहानी में दाखिल हो कर उसे जी सकते हैं. ये दरवाजा हर कहानी में अलग अलग जगह खुलता है. कभी शुरुआत में ताकि आप पूरी कहानी उन किरदारों का सच जियें, उनके साथ हंसें रोयें और रातों की नींद हराम करें, तो कभी आखिर में ताकि भटके हुए किरदारों को रास्ता तलाशने में आप उनकी मदद कर सकें.
शुरुआत 'दुआएँ बुनने वाला उदास जुलाहा' और आखिर की लम्बी कहानी है 'तीन रोज़ इश्क'. किताब की भाषा अलग अलग जगहों से गुज़रती है. उर्दू, इंग्लिश के छींटे हैं और भागलपुरी, भोजपुरी, पटनैय्या, देवघरिया जैसी बोलियों का घुलामिला कुछ है जिसे ठीक किसी कैटेगरी में नहीं बाँधा जा सकता. भारी राड़ है रे बादल...तुम रे हम्मर पोखर के चंदा...जैसी कुछ कहानियां हैं जिनमें भाषा अचानक से गाँव की कच्ची पगडंडी पकड़ लेती है.
कहानियां गुम होती हैं. गुम होने को उकसाती भी हैं.
आप यहाँ क्लिक कर तीन रोज़ इश्क़ को Amazon पर खरीद सकते है. किताब का Kindle version भी मौजूद है.
अगर आपने तीन रोज़ इश्क़ पढ़ी है तो आप इसे Amazon पर रिव्यू भी कर सकते हैं.
Goodreads किताबों की अच्छी वेबसाइट है. यहाँ किताबों के रिव्यू होते हैं और स्टार बेसिस पर रैंकिंग भी होती है. यहाँ आप अपनी पसंदीदा किताबों की लिस्ट भी लगा सकते हैं. अगर आप Goodreads का इस्तेमाल करते हैं तो आप यहाँ भी तीन रोज़ इश्क़ को अपने रेटिंग या रिव्यू दे सकते हैं या फिर इसे अपने पढ़ने वाली किताबों की लिस्ट में शामिल कर सकते हैं.
मेरी किताब का ट्रेलर आप यहाँ देख सकते हैं.
फंतासी और रूमान में डूबे किरदार हैं, तुनकमिजाज, जिद्दी, और इश्किया. उन्हें कभी जिस्म का काला जादू घेरता है तो कभी आदमखोर इमारतें उनके रूहों को कैद करने को भागी आती हैं. दुआएँ बुनने वाला एक उदास जुलाहा है जो अपनी रूह के धागे से सिल सकता है टूटे हुए दिल.
इन छोटी कहानियों में एक चोर दरवाजा है जिससे आप कहानी में दाखिल हो कर उसे जी सकते हैं. ये दरवाजा हर कहानी में अलग अलग जगह खुलता है. कभी शुरुआत में ताकि आप पूरी कहानी उन किरदारों का सच जियें, उनके साथ हंसें रोयें और रातों की नींद हराम करें, तो कभी आखिर में ताकि भटके हुए किरदारों को रास्ता तलाशने में आप उनकी मदद कर सकें.
शुरुआत 'दुआएँ बुनने वाला उदास जुलाहा' और आखिर की लम्बी कहानी है 'तीन रोज़ इश्क'. किताब की भाषा अलग अलग जगहों से गुज़रती है. उर्दू, इंग्लिश के छींटे हैं और भागलपुरी, भोजपुरी, पटनैय्या, देवघरिया जैसी बोलियों का घुलामिला कुछ है जिसे ठीक किसी कैटेगरी में नहीं बाँधा जा सकता. भारी राड़ है रे बादल...तुम रे हम्मर पोखर के चंदा...जैसी कुछ कहानियां हैं जिनमें भाषा अचानक से गाँव की कच्ची पगडंडी पकड़ लेती है.
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अगर आपने तीन रोज़ इश्क़ पढ़ी है तो आप इसे Amazon पर रिव्यू भी कर सकते हैं.
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मेरी किताब का ट्रेलर आप यहाँ देख सकते हैं.
Mere paas shabd nahi hain. Lekin achanak saans rook jaati hai aap ko padhte, i mean, aap ke likhe huwe ko padhte. Sirf dhadkanon ko sunta hoon. Ye hai aap ke shabdon ka jaadoo. Kamal. Kamaal.
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