बारिशें आजकल मूडी हो गयी हैं बैंगलोर में...मेरा असर पड़ा है मौसम पर लगता है. आज सुबह सूरज गायब है...कोहरे कोहरे वाली दिल्ली सा मौसम लग रहा है. ठंढ बिलकुल वैसी ही है...खिड़की खुली है और हलकी हवा चल रही है. जाड़ों के आने की पहली आहट है.
लिखने-पढ़ने के बाद जो चीज़ मुझे सबसे अच्छी लगती है वो है म्यूजिक...कुछ अच्छा सुनना...अपनी पसंद का. कुछ दिन पहले कुणाल ने मेरे लिए बोस के हेडफोन खरीद दिए. अभी से कोई तीन साल पहले नए हेडफोन्स खरीदने का मन हुआ था तो ऐसे ही बोस के शोरूम चले गए थे हम...सोचा था कितना महंगा होगा...पाँच हज़ार टाइप भी होगा तो खरीद लेंगे. जब बात संगीत की आती है तो बोस सबसे अच्छा है. वहाँ हेडफोन की कीमतें देखीं तो हँसी आ गयी. दो मॉडल थे...एक सत्रह हज़ार का और एक बाईस हज़ार का. हम डिस्कस करते हुए निकले कि ये लोग पागल हैं क्या, कौन खरीदेगा सत्रह हज़ार का हेडफोन. ऐसा क्या कर देंगे हेडफोन में कि सत्रह हज़ार लगायेगा कोई. चुपचाप सेनहैजर का दो हज़ार वाला नोर्मल हेडफोन ख़रीदे और अभी तक वही इस्तेमाल कर रहे थे.
फुल-टाइम ऑफिस मेरे जैसे लोगों के बस का नहीं है ऐसा डिसाइड कर चुके थे. फ्रीलांसिंग में अच्छे प्रोजेक्ट्स आ रहे थे. एक किताब लिखनी खत्म की थी कि एक अच्छे साड़ी के ब्रांड के लिए फिर से कॉफी टेबल बुक का ओफ्फर पास में था. क्लायंट को मेरा काम पसंद आया था. किताब लिखने में कोई छः महीने टाइप लग जाते हैं लगभग. सब अच्छा चल रहा था कि इस वाले ऑफिस के लिए इंटरव्यू में चले गए. सब अच्छा रहा तो ज्वायन भी कर लिए. अब ऑफिस ज्वायन करते ही जो चीज़ सबसे पहले चाहिए होती है वो है हेडफोन...मुझे काम करते हुए किसी भी तरह का डिस्टर्बेंस पसंद नहीं है. ध्यान भंग होता है तो सोच की लड़ी टूट जाती है फिर वापस उसी जगह जा कर लिखना या सोचना हो नहीं पाता है.
जहाँ बैठती हूँ पहली बार ऐसा हुआ है कि और भी कंटेंट के लोग हैं. टीम जहाँ बैठती है वो बेसमेंट में है और ऊपर सड़क को खिड़की खुलती है. हम उसे डंजयंस (Dungeons) कहते हैं. मुझे लगता है इस टीम का हिस्सा होने के लिए पागलपन एक जरूरी क्वालिफिकेशन है. हम जोर्ज को पूछते भी हैं कि कंटेंट टीम में लोग लेने के पहले क्या पागलपन मीटर चेक भी होता है. सब एक दूसरे की खिंचाई का एक भी मौका नहीं जाने देते. शब्द तो ऐसे पकड़ते हैं कि कोलेज का जमाना याद आ जाता है. जरा सा जुबान फिसली नहीं कि लपेटे में आ जाते हैं. तो अधिकतर काफी हल्ला-गुल्ला-मस्ती का माहौल रहता है. ऊपर डिजाइन टीम के लोग अगर कभी कभार आ जाते हैं तो घंटे आधे घंटे में ही सर पकड़ लेते हैं.
मैंने जितने कॉपीराइटर्स या लिखने वाले लोगों को देखा है सब अधिकतर एक ही खाके से निकल कर आये होते हैं. कमाल का सेन्स ऑफ ह्यूमर...बेहद आउटगोइंग...बिंदास और बहुत ज्यादा बोलने वाले. अधिकतर एक ऑफिस में एक ही काफी होता है पर यहाँ तो हम चार चार हैं. मैं अभी नयी आई हूँ तो अभी डिजाइन टीम के साथ ज्यादा काम नहीं किया था मगर अभी हाल में एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में एक दिन ऊपर बैठना पड़ा. लोग परेशान कि आज तुमको हो क्या गया है...तुम तो ऐसी नहीं थी...और मैं कि नहीं रे बाबा मैं हमेशा से ऐसी ही थी तुम लोग जानते नहीं थे हमको. सब कहते हैं कि जोर्ज के पास सबसे 'हैपनिंग' टीम है. यहाँ पर तृश का म्यूजिक चोईस मुझे अक्सर पसंद आता है...तो जब मेरे पास मेरे अपने सुनने के कुछ खास पसंद के गाने नहीं होते तो तृश से पूछ लेती हूँ...आज क्या सुन रहे हो...और अधिकतर वो कुछ ऐसा सुन रहा होता है जो मैंने पहले कभी नहीं सुना है. इंग्लिश में मैंने बहुत कम गाने सुने भी हैं तो हमेशा कुछ नया सुनने का स्कोप रहता है. कुछेक और दोस्त हैं मेरे जो मुझे म्यूजिक भेजते रहते हैं...musically on the same page. :)
खैर...इतने शोर में लोचा ये है कि या तो बहुत लाउड म्यूजिक प्ले करना पड़ता था या फिर काम करने में हज़ार दिक्कत होती थी. मैं काम करते हुए अधिकतर इन्स्ट्रुमेन्टल सुनती हूँ...लूप पर या फिर कोई ऐसा गाना जो मैंने इतनी हज़ार बार सुना है कि उसके शब्द वैसे ही बहते हैं जैसे रगों में खून...अब ऐसा कुछ लाउड वोल्यूम में प्ले करना का मन नहीं करता है. फिर लगा कि शायद अच्छे हेडफोन खरीदने होंगे. जिनमें नोइज कैंसिलेशन अच्छा होता हो. हम फिर बोस के शोरूम गए...देखने के लिए कि वाकई हेडफोन अच्छे हैं क्या. यहाँ फोरम मॉल में संडे के लिए मेला लगा रहता है...आधा बैंगलोर शायद वहीं पहुँच जाता है. हमने शोरूम में अटेंडेंट से पूछा कि इसका नोइज कैंसिलेशन कैसा है...उसने कहा कि बता नहीं सकती...आपको अनुभव करना होगा. हम शोव्रूम के बाहर आये...वहाँ दुनिया भर का शोर था. हेडफोन्स ऑन किये और दुनिया का शोर जैसे फेड कर गया...जैसे संगीत के अलावा कहीं और कुछ था ही नहीं. वो एक अद्भुत अनुभव था...एकदम जादू जैसा. वोल्यूम बहुत तेज भी नहीं था...मीडियम था. मेरे चेहरे पर मेरा आश्चर्य दिख रहा होगा...
बस...मूड तो वहीं बन गया कि हेडफोन्स चाहिए. अब बात थी बैक कैलकुलेशन की.१७ हज़ार के हेडफोन्स...घर पे बताएँगे तो सबसे पिटेंगे कि दिमाग खराब हो गया है. इतना महंगा कोई हेडफोन खरीदता है...इतने में कुछ और कुछ अच्छा खरीद लो. बस कुणाल है कि हमेशा कहता है कि अगर अच्छी चीज़ है तो दाम का मत सोचो. लेकिन हम हैं कि गिल्ट से मरे जा रहे हैं...फिर हाँ ना करते करते...खुद को समझाते. हमको अच्छा म्यूजिक पसंद है...अच्छा म्यूजिक सुनने के लिए अच्छे हेडफोन्स चाहिए...फिर ऑफिस में हल्ला कितना होता है. अच्छा हेडफोन जरूरी है. बोस के नोइज कैंसिलेशन की तकनीक के कारण हल्का सा वैक्यूम सा बनता है...और हेडफोन की फिटिंग भी बहुत सही आती है.
कोई महीने से ऊपर हुआ बोस के हेडफोन्स इस्तेमाल करते हुए. लगता तो ये है कि अभी तक मैंने जितना कुछ भी ख़रीदा है ये सबसे अच्छी चीज़ खरीदी है. चाहे फिल्म देख रहे हों या कि अपनी पसंद का कोई गाना सुन रहे हों. इन हेडफोन्स से पूरी डिटेल साफ़ सुनाई पड़ती है. अगर म्यूजिक का थोड़ा ज्यादा शौक़ है और अफोर्ड कर सकते हैं तो इन हेडफोन्स से बेहतर कुछ भी नहीं हैं. खास तौर से इन्स्ट्रुमेन्टल...क्लासिक सुनने का मज़ा ही और है. लगता ही नहीं है कि आसपास की दुनिया एक्जिस्ट भी करती है. वोकल सुनती हूँ तो लगता है कोई मेरे लिए ही गा रहा है...खास मेरे लिए...बिलकुल करीब आ कर. संगीत से रोमांस की शुरुआत है...और उफ़...कितना खूबसूरत है ये.
मुझे नैट किंग कोल काफी पसंद हैं...बीटल्स को भी बहुत सुनती हूँ...आज की सुबह जेरी वेल के नाम रही...कुछ अच्छे लोगों के कारण कुछ बेहद अच्छा संगीत सुना है मैंने. इन अच्छी चीज़ों के लिए शुक्रिया नहीं होता...बार्टर सिस्टम होता है...तुम मुझे संगीत दो...बदले में हम भी तुमको कुछ अच्छा भेजेंगे :) :)
आप ये सुनिए...Innamorata...Sweetheart in Italian.