हजारों किलोटन का एक हवाई जहाज़ है...उसकी सारी धमनियां बिछा कर एक रनवे बना दिया गया है...कहीं का पढ़ा हुआ बेफुजूल का कुछ याद आता है कि शरीर की सारी धमनियों को निकाल कर, जोड़ कर एक सीध में लपेटा जाए तो पूरी धरती के चारों ओर कुछ सात बार फिर जायेंगी...या ऐसा ही कुछ. उसे ठीक याद नहीं है. उसे याद आती है उस लड़की की परिधि...उसके इर्द गिर्द कस के लपेटा गया दुपट्टा...जब कि वो मोहल्ले की छत पर कित कित खेल रही होती थी.
विमान बहुत तेज़ी से रनवे पर दौड़ रहा है और उसके भार से उसके फेफड़े सांस नहीं खींच पा रहे हैं...ऐसा लगता है किसी ने उसे भींच कर सीने से लगाया हो...और वो वहीं मर जाना चाहता है...विमान रुकने का नाम ही नहीं लेता...पहियों के घर्षण से उसके मुलायम हाथ लावे की तरह दहकने लगे हैं...उसे लगता है कि वो इन हाथों में कैसे उसका चेहरा भरेगा...उसके गाल झुलस जायेंगे...फूल से नाज़ुक उसके गाल...वो चाहता है कि हवाईजहाज़ कहीं रुके...कहीं तो भी रुके कि सीने में अटकी हुयी सांस वापस खींच सके...इतने में उसे याद आता है कि कुछ देर पहले कंट्रोल रूम से एक फोन आया था उसे...उस तरफ लड़की का महीन कंठ था...मिन्नतों में भीगा हुआ...वो उड़ते उड़ते थक गयी है...थोड़ी देर उतरना चाहती है...थोड़ा इंधन भरना चाहती है...बस एक स्टॉपओवर...चंद लम्हों का. उसे ये भी याद आता है कि उसने विमान उतारने की इज़ाज़त नहीं दी है और इसलिए विमान शहर के चक्कर काट रहा है. वो कशमकश में है...दुश्मन मुल्क का विमान उतरने दिया तो आगे चल कर बहुत से दुष्परिणाम होंगे...उसकी नौकरी भी जा सकती है...मगर फिर वो महीन आवाज़...मे डे(May Day) बरमूडा ट्राईएंगल में डूबते हुए लोगों की आखिरी आवाजों जैसी...अगर उसने ना कहा तो क्या ये आवाज़ उसे कभी सुकून से सोने देगी...इस पूरी जिंदगी के बाकी बचे दिन?
कॉफ़ी का मग लेकर वो फ्लास्क के पास गया है...अन्यमनस्क सा कॉफ़ी कप में भरता जाता है...धुंध में बिसरते शहर के सामने एक विमान घूम रहा है...उसकी लाइटें जल-बुझ रही हैं...लड़के को फिर से किसी की बुझती सांसें याद आती हैं...बाहर का तापमान दस डिग्री सेल्सियस है...विमान जिस उंचाई पर उड़ रहा है वहां तापमान कुछ माइनस १० डिग्री के आसपास ही होगा...वो सम की तलाश करने लगता है...कहीं जीरो पॉइंट...जहाँ उसे कुछ पल सुकून मिले.
उसके पास सोचने को ज्यादा वक़्त नहीं है...जितने में कॉफ़ी की भाप उसके चश्मे पर जमे उसे साफ़ साफ़ निर्णय लेना है...और ठोस कारण देने हैं...कि क्यूँ दुश्मन मुल्क के विमान को उतरने की इज़ाज़त दी गयी...आवाज़ के कतरे की मूक प्रार्थना किसी नियमावली में नहीं गिनी जाती है...उसकी सदयता उसके खिलाफ बहुत आराम से इस्तेमाल की जा सकती थी...और वो वाकई नहीं जानता था कि आखिर किस कारण से ये भटका हुआ विमान मिटटी पर उतरने की इज़ाज़त चाहता था. दिल और दिमाग की जद्दोजहद में आखिर दिमाग ने बाज़ी जीती और उसने विमान को उतरने की इज़ाज़त नहीं दी...दूसरे पास के एयरपोर्ट के को-ऑर्डिनेट बताये उसे...हौसला अफजाही की...झूठ बोला कि विमान उतारने की जगह नहीं है. विमान की पाइलट लड़की ने जब सब डिटेल्स समझ लिए तो वो विमान आँखों से ओझल हो गया.
अगले दिन लड़का जब लॉग देख रहा था तो उसमें किसी विमान का कोई जिक्र नहीं था...उसने बारहा अपने कई और साथियों से पूछा कि उन्होंने वो विमान देखा था...मगर किसी ने हामी नहीं भरी.
घटना को बहुत साल हो गए...पर अब भी जब दिल्ली में कोहरा छाता है और रात के साढ़े ग्यारह बजते हैं...लड़का उस विमान का इंतज़ार करता है...वो किसी याद का छूटा हुआ प्रतिबिम्ब था...किसी और जन्म के इश्क की अनुगूंज...कि कौन थी वो लड़की...कि किसकी डूबती आवाज़ ने उसे पुकार कर कहा था...मैं उड़ते उड़ते थक गयी हूँ...मुझे अपनी बाँहों में एक लम्हा ठहर जाने दो...
कि उसका दिल रूठा हुआ है आज भी...
कि उसे आज भी उसे जाने किस 'हाँ' का इंतज़ार है!
कहते हैं प्रेम विश्रान्ति देता है, जीवन का साम्य देता है, पर वह सब पाने के लिये किस गहरे में उतरना होता है, उसका परिचय है आपकी रचना..
ReplyDeleteतब तो हम बिना प्रेम ही भले, इतना कुछ पढ़ने के बाद उस कशिश में कौन उतरना चाहेगा भला।
.मैं उड़ते उड़ते थक गयी हूँ...मुझे अपनी बाँहों में एक लम्हा ठहर जाने दो...
ReplyDeleteऔर मैं रुक जाती हूँ - जानना चाहती हूँ दिन भर की भागदौड़ में क्या रुका रह जाता है लम्हें सा
मैं उड़ते उड़ते थक गयी हूँ...मुझे अपनी बाँहों में एक लम्हा ठहर जाने दो...
ReplyDeleteआह !!!!!!
nice
ReplyDeletewah wah
my blog
http://rhythmvyom.blogspot.com/
कि उसका दिल रूठा हुआ है आज भी...
ReplyDeleteकि उसे आज भी उसे जाने किस 'हाँ' का इंतज़ार है!wah......
कशिश भरी कहानी. अच्छी लगी.
ReplyDeleteबढिया प्रस्तुतिकरण।
ReplyDeleteआपकी किसी पोस्ट की चर्चा है नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 21/1/2012 को। कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें।
ReplyDeleteबेहद सुन्दर...
ReplyDeleteहमेशा की तरह...
बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत सुन्दर...प्रेम की गूंज सुनाई दी..
ReplyDeleteजीवन में कुछ यादें ऐसी होती हैं जो हमें एक सुखद एहसास की अनुभूति से रोमांचित कर जाती हैं । बहुत सुंदर । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteदिल se कही बेबाक बातें अद्भुत .
ReplyDeleteदिल se कही बेबाक बातें अद्भुत .
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