बहुत सा अँधेरा था
कोहरे की तरह और कोहरे के साथ
गिरती हुयी ठंढ थी
रात का सन्नाटा था
घड़ी की टिक टिक थी
खुले हुए बालों में अटकी
लैपटॉप से आती रोशनी
के कुछ कतरे थे
आँखों में उड़ी हुयी नींद के
कुछ उलाहने थे
तुम्हारे दूर चले जाने के
कुछ डरावने ख्याल थे
तुम भूल जाओगे एक दिन
ऐसी भोली घबराहट थी
मन के अन्दर बस एक सवाल था
कैसा होगा तुम्हें छूना
उँगलियों की कोरों से
अहिस्ता,
कि तुम्हारी नींद में खलल ना पड़े
गले में प्यास की तरह अटके थे
सिर्फ तीन शब्द
I love you
I love you
I love you
I love you
I love you
तीन बार कहना आई लव यू...
ReplyDeleteकि तीन बार कहने मे
दो बार का 'मी टू' भी शामिल होता है
कितनी खूबसूरत प्यारी सी कविता है..
ReplyDeleteऔर दर्पण भाई का कमेन्ट भी! :)
गले में प्यास की तरह अटके थे
ReplyDeleteसिर्फ तीन शब्द
I love you
I love you
I love you
..... ab aur kya !
बड़े नाज़ुक हैं ये शब्द. नव वर्ष की शुभकामनाएं.
ReplyDeletecontemporaray !! liked it :)
ReplyDeleteकामायनी की पंक्तियाँ याद आयी.
ReplyDeleteतारा बनकर यह बिखर रहा
क्यों स्वप्नों का उन्माद अरे
मादकता-माती नींद लिये
सोऊँ मन में अवसाद भरे।
भावो का सुन्दर समन्वय्।
ReplyDeleteगले में प्यास की तरह अटके थे....
ReplyDeletebadhiya