10 January, 2012

तुम तो जानते हो न, मुझे तुमसे बिछड़ना नहीं आता?

जान,
अच्छा हुआ जो कल तुम्हारे पास वक़्त कम था...वरना दर्द के उस समंदर से हमें कौन उबार पाता...मैं अपने साथ तुम्हारी सांसें भी दाँव पर लगा के हार जाती...फिर हम कैसे जीते...कैसे?

बहुत गहरा भंवर था समंदर में उस जगह...पाँव टिकाने को नाव का निचला तल भी नहीं था...डेक पर थोड़ी सी जगह मिली थी जहाँ उस भयंकर तूफ़ान में हिचकोले खाती हुयी कश्ती पर खड़ी मैं खुद को डूबते देख रही थी. कहीं कोई पतवार नहीं...निकलने का कोई रास्ता नहीं...ऐसे में तुम उगते सूरज की तरह थोड़ी देर आसमान में उभरे तो मेरी बुझती आँखों में थोड़ी सी धूप भर गयी...उतनी काफी है...वाकई.

अथाह...अनन्त...जलराशि...ये मेरे मन का समंदर है, इसके बस कुछेक किनारे हैं जहाँ लोगों को जाने की इज़ाज़त है मगर तुम ऐसे जिद्दी हो कि तुम्हें मना करती हूँ तब भी गहरे पानी में उतरते चले जाते हो...कितना भी समझाती हूँ कि उधर के पानी का पता नहीं चलता, पल छिछला, पल गहरा है...और तुम...तुम्हें तो तैरना भी नहीं आता...जाने क्या सोच के समंदर के पास आये थे...क्या ये कि प्यास लगी है...उफ़ मेरी जान, क्या तुम्हें पता नहीं है कि खारे पानी से प्यास नहीं बुझती?

मेरी जान, तुम बेक़रार न हो...मैंने कल खुदा की दूकान में अपनी आँखों की चमक के बदले तुम्हारे जिंदगी भर का सुकून खरीद लिया है...यूँ तो सुकून की कोई कीमत नहीं हो सकती...कहीं खरीदने को नहीं मिलता है...पर वैसे ही, आँखों की चमक भी भला किस बाज़ार में बिकी है आजतक...उसमें भी मेरी आँखें...उस जौहरी से पूछो जिसने मेरी आँखों के हीरे दीखे थे...कि कितने बेशकीमती थे...बिलकुल हीरे के चारों पैमाने पर सबसे बेहतरीन थे  'The four Cs ', कट, कलर, क्लैरिटी और कैरट...बिलकुल परफेक्ट डायमंड...५८ फेसेट्स वाले...जिसमें किसी भी एंगल से लाईट गिरे वापस रेफ्लेक्ट हो जाती थी...एकदम पारदर्शी...शुद्ध...उनमें आंसू भर की भी मिलावट नहीं थी...और कैरट...उस फ़रिश्ते से पूछे जिसने मेरी आँखों से ये हीरे निकाले...खुदा के बाज़ार में ऐसा कोई तराजू नहीं था कि जो तौल सके कि कितने कैरट के हैं हीरे. सुना है मेरी आँखों की चमक के अनगिन हिस्से कर दिए गए हैं...दुनिया के किसी हिस्से में ख़ुशी कम होती है तो एक हिस्सा वहां भेज दिया जाता है...आजकल खुदा को इफरात में फुर्सत है.

मेरी आँखें थोड़ी सूनी लगेंगी अब...पर तुम चिंता मत करना...मैं तुमसे मिलने कभी नहीं आ रही...और जहाँ ख़ुशी नहीं होती वहां गम हो ऐसा जरूरी तो नहीं. तुम जिस जमीन से गुज़रते हो वहां रोशन उजालों का एक कारवां चलता है...मैं उन्ही उजालों को अपनी आँखों में भर लूंगी...जिंदगी उतनी अँधेरी भी नहीं है...तुम्हारे होते हुए...और जो हुयी तो मुझे अंधेरों का काजल बना डब्बे में बंद करना आता है.

कल का तूफ़ान बड़ा बेरहम था मेरी जान, मेरी सारी सिगरेटें भीग गयीं थी...माचिस भी सील गयी...और दर्द के बरसते बादल पल ठहरने को नहीं आते थे...मेरी व्हिस्की में इतना पानी मिल गया था कि नशा ही नहीं हो रहा था वरना कुछ तो करार मिलता...तुम भी न...पूछते हो कि मैंने पी रखी है...उफ़ मेरे मासूम से दिलबर...तुम क्या जानो कि किस कदर पी रखी है मैंने...किस बेतरह इश्क करती हूँ तुमसे. खुदा तुम्हें सलामती बक्शे...तुम्हारे दिन सोने की तरह उजले हों...तुम्हारी रातों को महताब रोशन रहे, तारे अपनी नर्म छाँव में तुम्हारे ख्वाबों को दुलराएँ.

मैं...मेरी जान...इस बार मुझे इस इश्क में बर्बाद हो जाने दो...टूट जाने दो...बिखर जाने दो...मत समेटो मुझे अपनी बांहों में कि इस दर्द, इस तन्हाई को जीने दो मुझे...ये दर्द मुझे पल पल...पल के भी सारे पल तुम्हारी याद दिलाता है...मेरी जान, ये दर्द बहुत अजीज़ है मुझे.









जान, अच्छा हुआ जो तुम्हारे पास वक़्त कम था...उस लम्हा मौत मेरा हाथ थामे हुयी थी...तुम जो ठहर जाते मैं तुमसे दूर जैसे जा पाती...तुम तो जानते हो न, मुझे तुमसे बिछड़ना नहीं आता?

दुआएं,
वही...तुम्हारी.

20 comments:

  1. Bas... Ban gaya din !
    Baaki kuchh hai hi nahi kahane ko.

    Regards.

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  2. Awesome...kitna jyada masoom aur romantik hai....
    nahi padhna chaahiye kisi ko bhi aapka blog...its too risky :P

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  3. जिंदगी उतनी अँधेरी भी नहीं है...तुम्हारे होते हुए...और जो हुयी तो मुझे अंधेरों का काजल बना डब्बे में बंद करना आता है.

    आँखों में हीरे सी चमक है, कलम और स्याही सहेलियां हैं, किताबों के संसार में आना जाना है, ज़िंदगी लहरों के सामान निर्मलता से बही चली जा रही है... तभी तो अँधेरे का काजल बना लेने का हुनर जानती है आपकी लेखनी:)

    लेखनी यूँ ही चलती रहे!!!

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  4. भरती आँखें, ढहा किनारा,
    आज हृदय प्लावित हो बहता,

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  5. बेहद उम्दा ...


    कल रश्मि दीदी की ब्लॉग बुलेटिन पोस्ट के माध्यम से आप के ब्लॉग का पता चला ... अब तो खैर आना जाना लगा रहेगा !

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  6. जिंदगी उतनी अँधेरी भी नहीं है...तुम्हारे होते हुए...और जो हुयी तो मुझे अंधेरों का काजल बना डब्बे में बंद करना आता है. ..खुशियाँ मेरे आँगन ही पनाह पाती हैं

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  7. बहुत ही भावमय करते शब्‍दों का संगम है ... आपका विस्‍तृत परिचय रश्मि जी की कलम से ब्‍लॉग बुलेटिन पर पढ़ा ... बहुत-बहुत शुभकामनाएं आपके लेखन के लिए ।

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  8. ये आँखें बोलती हैं, इनका कहा साफ़ सुनायी देता है!!!!

    Straight from the heart!!!! very touchy!!!!

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  9. मोहब्बत कब फ़ना होती है।

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  10. वाह!
    दिल की गहराईयों तक उतरती पोस्‍ट।
    गजब का अहसास।

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  11. प्यार का एक नहीं अनगिनत समुन्द्र हैं लेखिका के भीतर....

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  12. kamal ki rachna ati bhavuk kr dene wali

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  13. सुन्दर भावाभिव्यक्ति है मैडम आपकी
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  14. कुछ बातें खामोश कर जाती हैं..यह उन्हीं जैसी बातें हैं.. बहुत ही भाव से भरी!!

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  15. बच्चों के माथों पर kinaare एक काला टीका लगाया जाता है. ऐसे ही हर पोस्ट के छोर पर एक काला धब्बा बनाये रखो.

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  16. bahut hi umda post,nishbad kar diya ...koi shbd nahi hai tarif ke liye

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  17. तुम्हे भूल जाना कल भी ज़रूरी था ओर आज भी है पर तुम्हे भूल ना पाना कल भी मजबूरी थी आज भी मजबूरी है..खुदा सबको कोई ना कोई नेमत देता है तुम्हे भी दी मुझे भी दी....तुम्हे ये हिम्मत दी की तुम मुझे नज़रंदाज़ कर सको ओर मुझे ? मेरी कलम को खुदा ने मोहब्बत बक्श दी..बस इसी मोहब्बत ने मुझे उलझा लिया ख़ुद में ...कभी कभी बड़ी खफा होती हू खुदा से की तुम एसे नज़रंदाज़ करके आसानी से जी रहे हो ओर मैं तुम्हारी मोहब्बत को लिख लिख के पागल हुई जाती हू...जैसे गिलाफ ओढ़ लिया है मेरी कलम ने मोहब्बत का. ना स्याही खत्म होती है ना मोहब्बत ....तुम जितना भूलते हो मैं उतना मोहब्बत लिख देती हू बस इक होड़ सी है तुम्हारी हिकारत में ओर मेरी मोहब्बत में...देखे कौन जीतता है...

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