07 January, 2012

धानी, तुम्हारे वादों सा कच्चा

यादों का संदूक खोल
सबसे ऊपर मिलेगा
करीने से तह लगाया हुआ
गहरे लाल रंग का
लव यू

उसके ठीक नीचे
हलके गुलाबी रंग में बुना
मिस यू
और फिर थोड़े गहरे गुलाबी रंग में
मिस यू वेरी मच

बायीं तरफ रखे हैं
उसके ख़त जो उसने लिखे नहीं
पीले पड़ते हुए, सालों से
दायीं तरफ रखे हैं
मेरे ख़त जो मैंने गिराए नहीं
फूलों से महकते हुए, सालों से

सफ़ेद, कि जैसे बादल के फाहे
निर्मल सा स्नेह भी रखा है
हरा, सावनी नेहभीगा
लड़कपन के झूले सा बेतरतीब
वासंती, तुम्हारे इश्क के पागलपन सा
रेशमी, काँधे से पल पल सरकता

जामुनी, हमारी तकरारों सा
फिरोजी, तुम्हारी मनुहारों सा
धूसर, हमारे घर सा पक्का
धानी, तुम्हारे वादों सा कच्चा
अमिया सा खट्टा रंग कोई
छुए मन अनगढ़ राग कोई

इतने सारे सारे रंग
तुम्हारे इश्क से मेरे हो गए
इन सब पर लगा रखा है
सुरमई एक नज़रबट्टू सा
अबकी जो आओगे
मेरी आँखों से काजल मत चुराना
रोती आँखें बिना काजल के बड़ी सूनी लगती हैं 

8 comments:

  1. बेहतरीन कवितायेँ कहती है आप.एकदम धरातल पर जन्प्रभावी शब्दों को बुनकर बधाई

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  2. प्रेम में इतना कुछ है, नयी पीढ़ी को बताना आवश्यक है।

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  3. बहुत बेहतरीन.....
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  4. प्रेम में डूबा रंगों का इन्द्रधनुष ....
    ए री मैं तो प्रेम दीवानी ...मोरा दर्द न जाने कोई ....
    ऐसा लग रहा है ...राग भीमपलासी सुन रही हूँ .....
    बहुत सुंदर रचना ....

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  5. 07 JANUARY, 2012
    धानी, तुम्हारे वादों सा कच्चा
    यादों का संदूक खोल
    सबसे ऊपर मिलेगा
    करीने से तह लगाया हुआ
    गहरे लाल रंग का
    लव यू

    उसके ठीक नीचे
    हलके गुलाबी रंग में बुना
    मिस यू
    और फिर थोड़े गहरे गुलाबी रंग में
    मिस यू वेरी मच

    बायीं तरफ रखे हैं
    उसके ख़त जो उसने लिखे नहीं
    पीले पड़ते हुए, सालों से
    दायीं तरफ रखे हैं
    मेरे ख़त जो मैंने गिराए नहीं
    फूलों से महकते हुए, सालों से

    सफ़ेद, कि जैसे बादल के फाहे
    निर्मल सा स्नेह भी रखा है
    हरा, सावनी नेहभीगा
    लड़कपन के झूले सा बेतरतीब
    वासंती, तुम्हारे इश्क के पागलपन सा
    रेशमी, काँधे से पल पल सरकता

    जामुनी, हमारी तकरारों सा
    फिरोजी, तुम्हारी मनुहारों सा
    धूसर, हमारे घर सा पक्का
    धानी, तुम्हारे वादों सा कच्चा
    अमिया सा खट्टा रंग कोई
    छुए मन अनगढ़ राग कोई

    इतने सारे सारे रंग
    तुम्हारे इश्क से मेरे हो गए
    इन सब पर लगा रखा है
    सुरमई एक नज़रबट्टू सा
    अबकी जो आओगे
    मेरी आँखों से काजल मत चुराना
    रोती आँखें बिना काजल के बड़ी सूनी लगती हैं
    bas pooja tum wakai ek karishma ho

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  6. प्रेम का रंग तो धानी ही होता है।

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  7. आपके द्वारा शब्दों की धुनाई बड़ी प्यारी लगती है.

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