जिंदगी से लबरेज़...मुस्कुराहटों सी खनकती हुयी...नदी सी बहती...बेपरवाह...
दुनियादारी की अदालत लगी है...मेरे घर के लोग, जान-पहचान वाले, कुछ अपने लोग, कुछ पक्के वाले दुश्मन, कुछ पुराने किस्से, कुछ टूटी कवितायें, गज़लों के कुछ बेतुके मिसरे...सब इकट्ठा हैं...वकील पूरे ताव में है...जोशो-खरोश में मुझसे सवाल कर रहा है...आपने क्या किया है अपनी जिंदगी के साथ? कोई बड़ा तीर मारा है...न सही कुछ महान लिखा है, क्या पढ़ा है, दोस्तों के नाम पर आपके पास कितने लोग हैं? कहते हैं कि भगवान ने आपको बड़ी बड़ी खूबियों से नवाजा है...आपने उनका क्या किया है। दुनियादारी के टर्म में समझाओ कि आज तक के तुम्हारी जिंदगी का हासिल क्या है? आखिर इतनी बड़ी जिंदगी बेमतलब गुजरने की सज़ा जरूरी है मिलोर्ड वरना लोग ऐसे ही खाली-पीली टाइम खोटी करते रहेंगे...मोहतरमा को जिंदगी बर्बाद करने के लिए सख्त से सख्त सज़ा मिलनी चाहिए...आप खुद ही इनसे पूछिये, देखिये जैसे चुपचाप खड़ी हैं...ऐसे लोगों को चैन से जीने दिया गया तो सबका जीना मुहाल हो जाएगा...आप इनसे पूछिये कि ये रेस का हिस्सा क्यूँ नहीं हैं...जब सबको कहीं न कहीं पहुँचने की हड़बड़ी है, इनके पास जिंदगी का कोई रूटमैप क्यूँ नहीं है। यायावर की जिंदगी का उदाहरण पेश कर रही हैं ये और उसपर बेशरम हो के हँसती हैं...इनसे पूछा जाए कि इनहोने अपनी पूरी जिंदगी क्या किया है?
जज साहब मेरी ओर सवालिया निगाहों से देखते हैं...और दोहराते हैं...मोहतरमा...आपने अपनी जिंदगी भर क्या किया है?
मेरी आँखों में कोई गीत उन्मुक्त हो नाच उठता है...मैं मुसकुराती हूँ और पूरी जनता को देखती हूँ...वकील को और आखिर में जज साहब को।
और जितनी जिंदगी उस एक शब्द में आ सकती है समेट कर जवाब देती हूँ...एक शब्द में...
इश्क!
कम से कम आपके पास कोई जवाब तो था..
ReplyDelete:)
ReplyDeleteजज साहब घायल हो गये।:)
ReplyDeleteएम्बुलेंस भिजवाता हूँ अभी .....तब तक हार्ट पम्प करने के लिए कोई इश्कियागीत सुनाइये उन्हें ...ज़रा ज़ल्दी पाण्डेय जी ! ...ये किसी की ज़िंदगी और मौत का सवाल है .........
Deleteकुछ अनुभूतियाँ इतनी गहन होती है कि उनके लिए शब्द कम ही होते हैं !
ReplyDeleteकुछ अनुभूतियाँ इतनी गहन होती है कि उनके लिए शब्द कम ही होते हैं !
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
kisi ke pass to yah bhi kahne bhar ko hota hai...
ReplyDelete...sach agar jindagi mein nadi see rawangi n ho to phir jindagi-jindagi kahan rahti hain....
bahut achhi lagi prastuti ..
इस यायावरी को नमन:)
ReplyDeletelove u for the answer that is enough to silence all reasoning faculties:)
कुछ अनुभूतियाँ इतनी गहन होती है कि उनके लिए शब्द कम ही होते हैं !
ReplyDeleteवाह साहेब आप तो इश्किया हो गए.
ReplyDeleteक्या कहते हैं गहन अनुभूति...
मी लोर्ड ! मेरा मुवक्किल बेगुनाह है, दुनिया के ज़ालिम लोग हमेशा इस तरह की साज़िश करते रहे हैं. मेरे इस मासूम मुवक्किल ने जो किया है उसके लिए तो योगी लोग बड़ी-बड़ी साधना करते हैं ...तब कहीं जाकर उस रब से इश्क कर पाने में कामयाब हो पाते हैं ....फिर भी कोई ज़रूरी नहीं कि हर किसी को ये मुकाम हासिल हो ही जाय ..... मी लोर्ड ! जिसने इश्क को जान लिया उसने सब कुछ जान लिया .....हकीकत तो यह है कि हमारे मुवक्किल ने जो किया है ...जो पाया है वह इस अदालत में मौजूद कितने लोगों ने किया और पाया है इसका ज़वाब हुज़ूर आप भी नहीं दे सकेंगे ...इसलिए मेरी दरख्वास्त है कि इस केस को यहीं खारिज किया जाय ....मुकदमेवाजी का इतना ही शौक है हुज़ूर तो उन पर चलाया जाय जिन्हें जमानतों पर छोड़ा जा रहा है और वे फिर से देश को बेचने की साज़िश में लग गए हैं
ReplyDeleteबेहतरीन।
ReplyDeletekya bat he PUja!!!:-)...Pravin bhai bhi bahut gahara ishra kar gaye...if Q was asked to me I must have droped 2 tears silently..
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