जाने क्या है तुम्हारे हाथों में
कि जब थामते हो तो लगता है
जिंदगी संवर गई है...
बारिश का जलतरंग
कार की विन्ड्स्क्ररीन पर बजता है
हमारी खामोशी को खूबसूरती देता हुआ
कोहरा सा छाता है देर रात सड़कों पर
ठंढ उतर आती है मेरी नींदों में
पीते हैं किसी ढाबे पर गर्म चाय
जागने लगते हैं आसमान के बादल
ख्वाब में भीगे, रंगों में लिपटे हुए
उछल कर बाहर आता है सूरज
रात का बीता रास्ता पहचानने लगता है हमें
अंगड़ाईयों में उलझ जाता है नक्शा
लौट आते हैं हम बार बार खो कर भी
अजनबी नहीं लगते बंगलोर के रस्ते
घर भी मुस्कुराता है जब हम लौटते हैं
अपनी पहली लॉन्ग ड्राइव से
रात, हाईवे, बारिश चाय
तुम, मैं, एक कार और कुछ गाने
जिंदगी से यूँ मिलना अच्छा लगा...
उन खूबसूरत पलों के अहसास को बखूबी चित्रित किया है इस रचना में..तस्वीर भी अच्छी है, बधाई.
ReplyDeleteतुम, मैं, एक कार और कुछ गाने
ReplyDeleteजिंदगी से यूँ मिलना अच्छा लगा...
बहुत सुन्दर एहसास को व्यक्त किया है. शानदार --
बहुत खूब
जाने क्या है तुम्हारे हाथों में
ReplyDeleteकि जब थामते हो तो लगता है
जिंदगी संवर गई है...
बहुत बढिया !!
रात, हाईवे, बारिश चाय
ReplyDeleteतुम, मैं, एक कार और कुछ गाने
जिंदगी से यूँ मिलना अच्छा लगा...
..बाखुदा आपकी सड़क ख़त्म ना करे
लेखनी तुम्हारी है यकीनन...बिलाशक, किंतु जब-जब इसमें रौशनाई कुणाल बनकर आता है, तुम्हारी नज़्म जगमगा उठती है...! :-)
ReplyDeleteजाने क्या है तुम्हारे हाथों में
ReplyDeleteकि जब थामते हो तो लगता है
जिंदगी संवर गई है...
बहुत सुन्दर लगा!
इस एहसास को पढना मुझे बहुत पसंद आया
ReplyDeleteसच्ची
काफी समय के बाद आपके ब्लॉग पे आना हुआ और एक बेहतरीन नज़्म पढने को मिला .. क्या बात है साथ में तस्वीर चार चाँद की तरह है ...
ReplyDeleteरात, हाईवे, बारिश चाय
तुम, मैं, एक कार और कुछ गाने
जिंदगी से यूँ मिलना अच्छा लगा...
मैं तो यही कहूँगा के इस नज़्म को और कहो आप.. और आगे बढावो...
बधाई , साथ में दिवाली की शुभकामनाएं भी ...
अर्श
जाने क्या है तुम्हारे हाथों में
ReplyDeleteकि जब थामते हो तो लगता है
जिंदगी संवर गई है...
....कुछ अपनी सी लगी ये पंक्तिया...
बहुत खूबसूरत रचना...
यात्रा मंजिल से अधिक खूबसूरत होती है
ReplyDeleteतुम्हारी कविता कहती है
रात, हाईवे, बारिश चाय
ReplyDeleteतुम, मैं, एक कार और कुछ गाने
जिंदगी से यूँ मिलना अच्छा लगा...
is long drive ki length badhti rahe...
bahut sundar...
तुम, मैं, एक कार और कुछ गाने
ReplyDeleteजिंदगी से यूँ मिलना अच्छा लगा...
bahut sundar...
aise hi chalte rahein aap dono saath saath...
hey... aap jab jab zindagi churaa ke rakh deti hain naa apni post mein, to seedhe dil tak pahunch jaati hai vo rachnaa.... aur ek muskaan bhi aa jaati hai labon par khud hi chalkar...:)
ReplyDelete"जागने लगते हैं आसमान के बादल
ख्वाब में भीगे, रंगों में लिपटे हुए
उछल कर बाहर आता है सूरज"
so picturesque... i just cud imagine a sun jumping out of the coloured-wet clouds, the way a kid does...aur vo baarish kaa jaltarang aur windscreen.... so lovely a mention... :)
aur phir ant mein...."जिंदगी से यूँ मिलना अच्छा लगा".... wat a way to sum up things.... u sum up and the readers begin frm there...
yun hi zindagi churaati raho... aur laati raho thodi thodi hum sab ke liye bhi... :)
जिंदगी से ये मुलाकात हमें भी पसंद आई।
ReplyDeleteधनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
----------
डिस्कस लगाएं, सुरक्षित कमेंट पाएँ
रात, हाईवे, बारिश चाय
ReplyDeleteतुम, मैं, एक कार और कुछ गाने
जिंदगी से यूँ मिलना अच्छा लगा...
==========
ओह कितनी ईर्ष्या की बात है!
रात, हाईवे, बारिश चाय
ReplyDeleteतुम, मैं, एक कार और कुछ गाने
जिंदगी से यूँ मिलना अच्छा लगा...
खूबसूरत रचना...
बहुत खूबसूरत दिल से निकले जज्बातों को पढकर अच्छा लगा।
ReplyDeleteजाने क्या है तुम्हारे हाथों में
कि जब थामते हो तो लगता है
जिंदगी संवर गई है...
रात, हाईवे, बारिश चाय
तुम, मैं, एक कार और कुछ गाने
जिंदगी से यूँ मिलना अच्छा लगा...
अति सुन्दर।
bahut sundar shabd ....
ReplyDeleteकुछ दिनों पहले 'दिस इस विकास एंड दिस इस माय वर्ल्ड' पर हाथ थामने पर एक बेहद खुबसूरत कविता आई थी... मैं टेक्निकली जरा कमजोर हूँ लिंक नहीं दे सकूँगा.. आप मेरे ब्लॉग ले साइड बार में यह नाम में वो पुराणी कविता देख सकती हैं... गौतम जी ने एक लाइन में लाख टके की बात कही है... कभी कुनाल को पढने कहियेगा... ज़रा उसे अपने पर गुमान हो जाये... :)
ReplyDeleteरात, हाईवे, बारिश चाय
ReplyDeleteतुम, मैं, एक कार और कुछ गाने
जिंदगी से यूँ मिलना अच्छा लगा.....tumhare sath ye mousam frishto jaisa hai..tumhare baad ye mousam bada stayega.....
रात, हाईवे, बारिश चाय
ReplyDeleteतुम, मैं, एक कार और कुछ गाने
kash itni Haseen Zindgi hamari bhi hoti... Ek Copy writer ki copy ki asli pehchan yahi hai...