परीक्षा में सवाल आया..."साहस किसे कहते हैं?"
छात्र ने पूरा पेपर खाली छोड़ दिया...आखिरी पन्ने पर लिखा
"इसे कहते हैं साहस
हमारा तो मन किया कि हम भी साहसी हो जाएँ और एक ब्लॉग पोस्ट ब्लैंक कर दें...अगर लोगो ने इस (दु:)साहस की बधाई दी तो सिद्ध हो जायेगा कि उपरोक्त उदहारण सही है...या सत्य घटना है। पर फ़िर आख़िर में हिम्मत नहीं हुयी...या यूँ कहिये कि ये लगा कि अगर कमेन्ट पन्ना भी ऐसा ही कुछ खाली खाली आया तो? वैसे भी आजकल ब्लॉगजगत में रीशेशन की मार पड़ी हुयी है, लगता है सबने लिखना पढ़ना छोड़कर काम में दिल लगा लिया है, बस हम जैसे निठल्ले रोज रोज पोस्ट डाले जा रहे हैं।
अगले हफ्ते से वॉयलिन क्लास ज्वाइन कर रही हूँ। बहुत दिन से सीखने का मन था पर किसी ना किसी कारण हो ही नहीं पाता था, कभी घर के पास कोई स्कूल ही नहीं मिला...कभी तेअचेर हमारे घर के पास आने को तैयार नहीं। वॉयलिन हमेशा से बड़े अचम्भे की चीज रही है मेरे लिए...तो अच्छा लग रहा है कि चलो एक नाम कटा लिस्ट से।
आजकल विषयों की कमी हो गई है...और वैलेंटाइन के पहले लोगो ने इतना हल्ला मचाया कि सारा रोमांस काफूर हो गया...बरहाल मैं तो पिंक चड्डी भेजने वाली हूँ राम सेने के ऑफिस और १४थ को पब भी जाउंगी। आपमें से भी किसी को चड्डी भेजनी है तो लिंक पर क्लिक करें।
मेरे ख्याल से saahas इसे कहते हैं...चुप चाप बैठे रहने के बजाई कुछ करना...कुछ भी।
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ReplyDeleteएक पुरानी कहावत है "खाली न बैठ कुछ किया कर, पाजामा फाड़ और सिया कर" उसी की तर्ज पर लग रहा है. शुभकामनाओं सहित.
ReplyDeleteपूजा जी
ReplyDeleteमुझे समझ में नहीं आ रहा है की
आपके साहस की बधाई दूँ या
वायलिन सीखने पर हौसला बाधाओं.
गुलाबी चड्डी पर कुछ कहूं.
लेकिन आपने पोस्ट किया तो हमें पढ़ा भी है.
- विजय
साहस का एक अच्छा परिचय दिया आपने .....मेरे भी मन में एक ख्याल आता रहता है कि में गिटार बजाना सीखूं ...देखूं कब सीख पाता हूँ ......लोग कहते हैं कि गाना तो अच्छा गा ही लेता हूँ .....अब सोचता हूँ कि कभी गिटार और मेरे गाने की जुगलबंदी होगी तो कितना अच्छा रहेगा ...
ReplyDeleteसाहस का एक अच्छा परिचय दिया आपने .....मेरे भी मन में एक ख्याल आता रहता है कि में गिटार बजाना सीखूं ...देखूं कब सीख पाता हूँ ......लोग कहते हैं कि गाना तो अच्छा गा ही लेता हूँ .....अब सोचता हूँ कि कभी गिटार और मेरे गाने की जुगलबंदी होगी तो कितना अच्छा रहेगा ...
ReplyDeleteशुभकामनाऐं.. १४ के लिये.. श्रीराम सेना से "राम" ही बचाये...
ReplyDeletebahdai ho aapko
ReplyDeletemujhe bhi violin seekhna tha, aas paas koi mila nahin aur humare jaise kaahil aur nikamme log door to nahin ja sakte. haan guitaar pakda tha haath mein kabhi lekin violin wala maza nahin aaya.
ReplyDeletechaliye seekh kar bataiyega ki jaisa aapne soncha tha waisa hi hai. kyunki kabhi kabhi cheezen door se achhi lagti thin..paas jane par wahi 'boriyat'
साहस तो शानदार है...
ReplyDeleteवायलीन सीखना तो वाकई मज़ेदार होगा.. कम से कम अपनी फ़िल्मो में बॅकग्राउंड स्कोर तो डोगी ही... चड्डी भेजने का अपना भी फूल टू प्रोग्राम है...
राम सेना में तो बंदर थे. यह राम सेना गुलाबी चड्डी पहन कर केसी लगेगी.
ReplyDeleteराम जाने............
Nice post u r most welcome t my blog
ReplyDeleteसाहस की कई शक्ले है ...ओर जो लोग ये कर रहे है वे दरअसल कायर है ...अगर साहस होता तो अपनी सो कॉल्ड सेना लेकर श्रीनगर में तिरंगा फिराते ....याद नही आपको मुंबई अटेक के समय राज ठाकरे दुबक गए थे ...
ReplyDeleteफिलहाल तो इस देश में सिर्फ़ एक अच्छा नागरिक बन कर रहना भी साहस है
गुलाबी चड्डी पर एक लेख अपुन ने भी लिख मारा है… समय मिले तो आईये कभी उधर…
ReplyDeleteवायलिन क्लास तो हम भी ज्वाईन करने के प्लान में हैं.. पहले सोच रहा था कि गिटार सीखने जाऊं, मगर फिर सोचा की सभी गिटार ही सीखते हैं क्यों ना हम वायलिन सीखें.. अब एक काम करो, जल्दी से सीख लो.. हम तुमसे सीख लेंगे.. :)
ReplyDeleteवैसे गुलाबी चड्डी का आईडिया अच्छा है.. उम्मीद है मुझे चेन्नई मे इसकी जरूरत नहीं होगी.. तमिलनाडू अब तक इस तरह की सेनाओं से बचा हुआ है..
इस देश में सभी को अभिव्यक्ति की स्वंत्रतता है। महिलाओं को भी समान अधिकार हैं। इससे इनकार नहीं किया जा सकता; फिर भले ही वह हमें अच्छा लगे या न लगे।
ReplyDeleteअच्छा है वायलिन बज़ाओ,हमने भी स्कूल लाईफ़ मे सीखने की असफ़ल कोशिश की थी।बाद मे कालेज लाईफ़ मे उसी म्यूज़िक कालेज मे गायन भी सीखा मगर परि्क्षा नही दे पाए।वायलिन सीखने के लिए बहुत बधाई और शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteपन्ना खाली छोड़ने के बाद आख़िर में ये लिखना भी साहस है कि "हिम्मत है तो पास करके बता"
ReplyDeleteऔर यहाँ पधारने का साहस भी तो दिखाए जरा ...
●๋• लविज़ा ●๋•
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ReplyDeleteवायलिन वाले साहस के लिये बधाई!
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