सफ्हों में सारी की सारी उड़ेल कर
चल दिए ऐ जिंदगी, हम फिर तेरी तलाश में
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क्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
सफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा
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तुझे तेरा दर मुबारक, मुझे ये सफ़र मुबारक
किसी मोड़ पर मिलें शायद...फिलहाल, अलविदा
मुझे मेरे दिल के करीब लगा ये वाला
ReplyDeleteक्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
सफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा ....
बेहतरीन हैं सब के सब
हम पाबन्द-ए-मुहब्बत हैं, कोई दीवाने नहीं
ReplyDeleteलोग दीवाने हैं ... ज़ंजीर लिए फिरते हैं ....
अलविदा भी इतनी नफासत के साथ। अच्छा लगा पढ़कर।
ReplyDeleteक्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
ReplyDeleteसफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा
...................सुंदर पंक्तियाँ। सुंदर रचना।
तुझे तेरा दर मुबारक, मुझे ये सफ़र मुबारक
ReplyDeleteकिसी मोड़ पर मिलें शायद...फिलहाल, अलविदा
बहुत लाजवाब रचना..पर आखिरी लाईन..???
रामराम.
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteतुझे तेरा दर मुबारक, मुझे ये सफ़र मुबारक
जिन्दगी के सफ़र में , नया सफ़र मुबारक
दिल पे छोड़ जायेगे हर सफ़र एक इबारत
कल फिर नजर आएगी नयी मंजिले और ईमारत
अपनी वजहे बरबादी सुनिए तो मजे की है
ReplyDeleteजिंदगी से यूँ खेले जैसे दूसरे की है -jaaved akhtar
क्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
ReplyDeleteसफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा
बहुत सुंदर लिखा है आपने। मन को छू गया।
तुझे तेरा दर मुबारक, मुझे ये सफ़र मुबारक
ReplyDeleteकिसी मोड़ पर मिलें शायद...फिलहाल, अलविदा
असलियत तो यही है जी बहुत सुन्दर लगे यह बिखरे दिल में उतरते लफ्ज़
लाजवाब......
ReplyDeleteकिसी मोड़ पर मिलें शायद...फिलहाल, अलविदा
ReplyDelete--------
ओह नो! इस मोड़ के आगे का सफर तो खतरनाक लगता है?!
क्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
ReplyDeleteसफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा
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waah lajawab
लिखे तो तीनों ही बेहतर है। पर ये वाला कुछ ज्यादा ही अच्छा लगा।
ReplyDeleteक्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
सफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा
सुन्दर।
आप के शॆर तो सभी बहुत अच्छे ओर लाजवाब है, लेकिन मुझे फ़िक्र है आप अब वहा से उतरेगी केसे? अरे बाबा मुझे तो देख कर ही डर लग रहा है
ReplyDeleteतुझे तेरा दर मुबारक, मुझे ये सफ़र मुबारक
किसी मोड़ पर मिलें शायद...फिलहाल, अलविदा
अरे अरे नही अलबिदा नही....:)
है यही सफ़र का फलसफा कि चलते हुए यादों को समेट लूं, उनकी चाहतो का ख्याल थपकियाँ देगा कहीं छाँव में सुस्ताते हुए !...पूजा जी रचना का भाव बेहद खूबसूरत है...
ReplyDeleteक्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
ReplyDeleteसफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा !
खूबसूरत लिखा है .
खूबसूरत रचना ...
ReplyDeleteकिंचित लापरवाही के ब्रश स्ट्रोक्स के साथ आपका ये हस्तक्षेप बहुत पसंद आया.ये बिखरे लफ्ज़ सचिन तेंदुलकर के क्लासिक शॉट्स की छाप लिए है.बधाई.
ReplyDeleteक्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
ReplyDeleteसफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा .........very well said..dont have any words to express
किसी मोड़ पर मिलें शायद...
ReplyDeleteUMMIDON KA CHIRAG JALTA RAHE BAS ...
aapki likhi gayi sari kavitao se alag phir bhi payri :-) us din se ab tak naaraz hai kya aap?
ReplyDeleteNew Post - Memorable Moment - A Sweet Journey with an Unknown Girl
वाह जी वाह बहुत ही अच्छे शेर हैं सभी
ReplyDeleteBeautyful****
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