मेरे साथ समस्या है कि एक चीज़ में ज्यादा दिन मन नहीं लगता...चाहे कितना भी पसंद क्यों न हो कुछ दिन में मैं उब जाती हूँ और फ़िर कुछ नया करने को खुराफात की खुजली होने लगती है। कहते हैं की ये gemini लोगो का मुख्य गुण है, इन्हें एक जगह टिक के बैठना नहीं आता।
एक लड़के को एक बार एक पुराना चिराग मिल गया...उसने जैसे ही चिराग को घिसा उसमें से एक जिन्न निकला। लड़का खुश...क्यों न हो गरीब तो होगा ही, आज तक किसी दंतकथा में आपने किसी रईस को चिराग मिलते सुना है, नहीं न? अब जिन्न ने कहा हुक्म दो मालिक...लड़का खुश, फटाफट खाना मंगवाया, जिन्न के लिए ये कौन सा मुश्किल का काम था फ़ौरन ले आया...लड़के ने खाना खाया। जिन्न ने फ़िर पूछा हुक्म दो मालिक...लड़के ने एक महल की फरमाइश की, फटाफट जिन्न ने महल भी तैयार कर दिया महल में खूब सारे नौकर चाकर और अच्छे कपड़े खाना पीना सब था। बस लड़के को और कुछ तो चाहिए नहीं था, उसने अपने घरवालों को महल में बुलवा लिया और पसंद की लड़की से शादी कर ली।
वेबसाईट की पहचान me कई एलेमेंट्स का योगदान होता है, इसमें सबसे महत्वपूर्ण होता है उसका पता, यानि कि वेब एड्रेस. हम इसलिए ब्लॉग के कई अलग अलग से एड्रेस देखते हैं...ये एड्रेस या तो वेब पोर्टल की सामग्री से जुड़ा हुआ होता है जैसे की चिट्ठाजगत या फिर अगर कला से जुड़ा कोई ब्लॉग है तो कोई रोचक नाम होता है जो उसे अलग पहचान देता है. इसी अलग पहचान की कड़ी है favicon. यह एक ऐसा चित्र या अक्षर होता है जिसे लोग ब्लॉग से जोड़ कर देख सकें और याद रख सकें.
मैंने अपना favicon बनाने में हिंदी ब्लॉग टिप्स की मदद ली, आशीष खंडेलवाल जी ने एक बेहद आसान और पॉइंट by पॉइंट अंदाज में favicon बनाया क्या नामक पोस्ट में बताया है. इसके अलावा थोडा गूगल सर्च भी मारना पड़ा...दिन भर माथापच्ची की पर आखिरकार मैंने अपना favicon बना ही लिया.
मेरा आइकन P है...यह मेरे नाम का पहला लैटर भी है और इंग्लिश में कवितायेँ पोएम ही कहलाती हैं इसलिए भी. मुझे P इसलिए भी अच्छा लगता है की यह इसके हिंदी अक्षर प जैसा ही लगता है. shakespear ने गलत कहा था कि नाम में क्या रखा है...हमें तो बहुत कुछ रखा मिलता है भाई :)
एक बात और, किसी को चिढ़ाने वाला smiley ऐसा ही होता है न :P
आप कहेंगे ये तो नेताओं का गुण भी है...पर थाली के बैगन और बेपेंदी के लोटे से इतर भी एक प्रजाति होती है...ये प्रजाति मुझ जैसे कुछ लोगो की होती है। खैर छोड़िये एक छोटी कहानी सुनिए ...
एक लड़के को एक बार एक पुराना चिराग मिल गया...उसने जैसे ही चिराग को घिसा उसमें से एक जिन्न निकला। लड़का खुश...क्यों न हो गरीब तो होगा ही, आज तक किसी दंतकथा में आपने किसी रईस को चिराग मिलते सुना है, नहीं न? अब जिन्न ने कहा हुक्म दो मालिक...लड़का खुश, फटाफट खाना मंगवाया, जिन्न के लिए ये कौन सा मुश्किल का काम था फ़ौरन ले आया...लड़के ने खाना खाया। जिन्न ने फ़िर पूछा हुक्म दो मालिक...लड़के ने एक महल की फरमाइश की, फटाफट जिन्न ने महल भी तैयार कर दिया महल में खूब सारे नौकर चाकर और अच्छे कपड़े खाना पीना सब था। बस लड़के को और कुछ तो चाहिए नहीं था, उसने अपने घरवालों को महल में बुलवा लिया और पसंद की लड़की से शादी कर ली।
पर मुसीबत जिन्न था...उसने कहा की अगर लड़के ने उसे काम नहीं दिया तो वह उसे खा जायेगा...अब लड़का बड़ी जोर से घबराया...उसे कोई हल ही नहीं सूझ रहा था जिन्न की समस्या से छुटकारा पाने का। उसने सबसे पूछा पर वो कोई भी काम दे जिन्न तुंरत उसे पूरा कर देता था और फ़िर सर पे स्वर हो जाता था की काम दो मालिक। आख़िर में उसकी बीवी अपने भतीजे को लेकर आई जो कुछेक साल का था...जिन्न ने फ़िर सवाल किया। बच्चे ने कहा मुझे एक अंगूठी चाहिए...जिन्न ने तुंरत हाजिर कर दी, फ़िर बच्चा बोला मुझे एक हाथी चाहिए, वो भी जिन्न ने तुंरत हाजिर कर दिया...अब बच्चा बोला इस हाथी को अंगूठी में से घुसा के निकालो जिन्न बेचारा परेशां, कितना भी कुछ और देने का प्रलोभन दिया बच्चा माने ही न, एकदम पीछे पड़ गया रो रो के जिन्न का दिमाग ख़राब कर दिया की हाथी को बोलो अंगूठी में से घुस कर निकले।
जिन्न को कुछ नहीं सूझा तो लड़के के पास गया की मैं हार गया इस बच्चे का काम मैं पूरा नहीं कर सका, मैं क्या करूँ। लड़के ने कहा की तुम वापस चिराग में चले जाओ। इस तरह लड़के को जिन्न से छुटकारा मिल गया। :) कहानी ख़तम, ताली बजाओ।
तो मैं कविता लिख कर और गद्य लिख कर बोर हो गई थी, ब्रेक ले कर भी क्या करती...और बोर होती मैंने सोचा कुछ और काम करती हूँ...मुझे मेरे मित्र टेक्निकली चैलेन्ज्ड बोलते हैं जरा सा लैपटॉप पे कुछ इधर उधर हुआ की मेरी साँस अटक जाती है। हालाँकि कभी कभार मैं अपने इस फोबिया से उभरने की कोशिश करती हूँ।कल पूरी दोपहर मैंने यही किया। वैसे तो आप अक्लमंद लोग इसे मगजमारी कह सकते हैं पर हम इसे अपने लिए मैदान मारना और किला फतह करने से कम नहीं समझते हैं।मेरा ब्लॉग खोलने पर आप देखेंगे की ब्लॉग url के पहले P लिखा हुआ है, इसे favicon कहते हैं. जीमेल का लिफाफा, या गूगल का g और कई साइट्स पर अक्सर छोटी फोटो भी नज़र आती है. इसे personalisation या ब्रांडिंग का एक हिस्सा कह सकते हैं. चिट्ठाजगत का लोगो न सिर्फ ब्लॉग के नाम में बल्कि favicon में भी नज़र आता है.
वेबसाईट की पहचान me कई एलेमेंट्स का योगदान होता है, इसमें सबसे महत्वपूर्ण होता है उसका पता, यानि कि वेब एड्रेस. हम इसलिए ब्लॉग के कई अलग अलग से एड्रेस देखते हैं...ये एड्रेस या तो वेब पोर्टल की सामग्री से जुड़ा हुआ होता है जैसे की चिट्ठाजगत या फिर अगर कला से जुड़ा कोई ब्लॉग है तो कोई रोचक नाम होता है जो उसे अलग पहचान देता है. इसी अलग पहचान की कड़ी है favicon. यह एक ऐसा चित्र या अक्षर होता है जिसे लोग ब्लॉग से जोड़ कर देख सकें और याद रख सकें.
मैंने अपना favicon बनाने में हिंदी ब्लॉग टिप्स की मदद ली, आशीष खंडेलवाल जी ने एक बेहद आसान और पॉइंट by पॉइंट अंदाज में favicon बनाया क्या नामक पोस्ट में बताया है. इसके अलावा थोडा गूगल सर्च भी मारना पड़ा...दिन भर माथापच्ची की पर आखिरकार मैंने अपना favicon बना ही लिया.
मेरा आइकन P है...यह मेरे नाम का पहला लैटर भी है और इंग्लिश में कवितायेँ पोएम ही कहलाती हैं इसलिए भी. मुझे P इसलिए भी अच्छा लगता है की यह इसके हिंदी अक्षर प जैसा ही लगता है. shakespear ने गलत कहा था कि नाम में क्या रखा है...हमें तो बहुत कुछ रखा मिलता है भाई :)
एक बात और, किसी को चिढ़ाने वाला smiley ऐसा ही होता है न :P
आप ठीक ही कह रही हैं। मिथुन राशि वाले लोग, एक ही काम पर लगातार अधिक दिनों तक नहीं टिके रहते।
ReplyDeletehumare bhi ek bhaiya gemini raashi ke hain ....ab unke baare mein kya batayein .... wo kya kya nahi kar chuke :)
ReplyDeleteराशिफल तो न देखता हूँ और न ही यकीन है , कहानी पढ़ ली और अब टीप दिये ।
ReplyDeleteआप ठीक ही कह रही हैं।
ReplyDeleteकहानी बहुत रोचक थी...मन के जिन् के साथ भी ऐसा ही कुछ कीजिये की वो आपको तंग ना करे...
ReplyDeleteनीरज
mai aapaki baato se sahamat hoo mere blog par favicon dikhaayee nahee detaa hai dhyaan dilaane ke liye shukriyaa .
ReplyDeleteबधाई हो फेवआइकन के लिए सुन्दर लग रहा है .
ReplyDeleteआप ने कहा की मिथुन राशि वाले लोगों को एक जगह टिक के बैठना नहीं आता पर मेरे पिता जी अपवाद है , बचपन से देखता आ रहा हूँ उनकी कोई आदत या स्भाव नहीं बदला जैसे २० साल पहले थे वैसे आज भी है .
कहानी बहुत अच्छी है ,कई बार सुनी और पढ़ी है .
:P
favicon बनाने पर हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteहम भी कोशिश करते हैं. सोचा है S लगायें. मेरे नाम का पहला अक्षर है और Satire भी S से ही शुरू होता है.
मैं ताली बजा रहा हूँ टिपण्णी कैसे लिखूं? :P
ReplyDeleteपूजा जी,
ReplyDeleteआपकी कहानी अच्छी लगी ...ताली बजाने के बाद ही ये कमेन्ट लिखा है ....:) ...फेवआइकन की जानकारी भी बहुत अच्छी लगी आभार !!!!!!!
वाह, फेवीकॉन पर तो पहली बार नजर गयी। बहुत अच्छा लग रहा है। पता नहीं इण्टरनेट एक्प्लोरर में दिखता है या नहीं।
ReplyDeleteये कहां उलझा दिया.:)
ReplyDeleteएक बात और लिखिये कि ये मिथुन राशि वाले फ़ेविकन..ताली...आदि बातों मे उलझाने के भी बडे पक्के माहिर होते हैं. इनकी पोस्ट जबरन पूरी पडती है.:)
रामराम.
रोचक पोस्ट.
ReplyDelete@ Shiv ji...sadhuvaad bhi S se hi shuru hota hai, aur kahan tak jaayein, dekhiye na shuru bhi S se hi shuru hota hai :)
ReplyDelete@gyan ji...internet explorer me bhi favicon dikhta hai
पढने में मजा आया लेकिन फेवीकाल नहीं दिखा. नहीं तो वहीँ चिपक न जाते. आभार.
ReplyDeleteपोस्ट पढने से पहले ही नजर चिढ़ाने वाले smiley पर गई तो सोचा कि हम भी पूछेगे कि ये कैसा बनता है पर फिर पोस्ट में ही जवाब मिल गया। और अब पोस्ट की बात तो सबसे पहले ये बताए कि कुभ राशि वाले कैसे होते है। और हाँ वो बच्चा कौन था? कही पूजा जी तो नही थी। :P और कहानी के लिए हम बाप बेटी की तरफ से तालियाँ। कल रात को यही कहानी सुनाई जाऐगी बेटी को। जो कहानी सुनकर सोती है।
ReplyDeleteपनघट पे पूजा पानी पकड पाई---है न P का कमाल:)
ReplyDeleteकहानी अच्छी लगी...ताली भी बजाई! और तुम्हारे फेविकोन पर तो तब ध्यान गया जब तुमने बताया! :)
ReplyDeleteयहं तो बडी बडी बात हो रही हैं..अपने जरा से भेजे में ये बाते नही घुसती..फ़िर कोई बोलेगा कि रामप्यारी तुम बहुत बोलती हो...
ReplyDeleteहमने तो पहले ही बधाई दे दी थी.. favicon की.. वैसे हमे छिड़ा रही हो.. ये तो ग़लत बात है.
ReplyDeleteकुश पहले की कहता है की हिंदी ब्लॉग अन्दर के कवि को धीरे धीरे मार देता है आपको ख़त्म किया देखिये पूजा की कविता को भी कर रहा है........क्या सचमुच ??????जवाब स्पीड पोस्ट से दीजियेगा ...
ReplyDeleteकुश पहले की कहता है की हिंदी ब्लॉग अन्दर के कवि को धीरे धीरे मार देता है आपको ख़त्म किया देखिये पूजा की कविता को भी कर रहा है........क्या सचमुच ??????जवाब स्पीड पोस्ट से दीजियेगा ...
ReplyDelete:) बढ़िया हेगा जी ..
ReplyDeleteसुन्दर! शानदार! कुश का विचार और कहना गलत है -कम से कम पूजा मैडम के बारे में मेरा यह मानना है। पूजा मैडम की कवितायें अच्छी हैं लेकिन गद्य में कविता की अंतर्धारा है। यह तो प्रवाह है लेख का जिसे ताऊ जी कह रहे हैं बातों मे उलझाने के भी बडे पक्के माहिर होने की क्षमता में पूजा मैडम का कवि जैसा कुछ होना भी है। यह मेरा अपना मत है जरूरी नहीं पूजा मैडम का जबाब मेरे जबाब से मेल खाता हो!
ReplyDeleteकहानी बहुत अच्छी लगी.. अपना फेवआइकन बनाने की बधाई स्वीकारें.. आपकी ऑफलाइन यूनीकोड राइटर वाली बात पर काम चल रहा है..
ReplyDeleteकविता है,गीत है और है सृष्टि सारी, जीवन है, जननी है और है जीवन शक्ति हमारी ...नारी स्वयम कविता समग्र है !एक अच्छी कविता ...सुन्दर शिल्प रचना, बधाई ...!
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ReplyDeleteपुनशच:मुझे इस बात के लिए क्षमा करे की 'अजन्मी कविता' के लिए लिखी टिप्पणी यहाँ प्रकाशित हो गई I
ReplyDeleteफेविकान अच्छी चीज होती है
ReplyDeleteहमने भी कभी बनाने की कोशिश की थी पर कुछ पसंद नहीं आ पाया फिर कभी कोशिश करेंगे
YOU ARE WRITING VERY VERY NICE....
ReplyDeleteYOURS WRITING 360 DEGREE POINT OF VIEW IS REALLY APPRECIATIVE....
KEEP BEAUTIFUL WRITING....
REGARDS...
TEJARAM SUTHAR PRANJAK
NUMEROLOGIST