23 December, 2008

एहतेशाम...ईद...और वो चाँद

आज बस एक खूबसूरत शाम का जिक्र...

हमें IIMC छोड़े लगभग एक साल हो गया था, नई नई जॉब में सब बिजी थे...हफ्ते में एक भी दिन छुट्टी नहीं मिलती थी। ऐसे में दोस्त हैं, जेएनयू है या गंगा ढाबा नाम की किसी जगह को हम भूल चुके थे। और ये लगभग सबकी कहानी थी, मैं भी कभी कभी अगर PSR जा भी पाती थी तो अकेले डूबते सूरज को देख कर चली आती थी।

ऐसे में ईद आई और साथ में एहतेशाम का न्योता की तुम्हें आना है, और सबसे पहले आना है और सबसे देर से जाना है। वो मेरा बहुत प्यारा दोस्त है , न बोलने का कोई सवाल ही नहीं उठता था। उस दिन ऑफिस में बड़ी मिन्नत कर के मैं ७ बजे भागी थी वहां से। एहतेशाम के घर पहुँची तो एकदम कॉलेज के दिन याद आ गए, सारे लोग वहां थे, एक एक दोस्त।

वो ईद मेरी जिंदगी की सबसे खूबसूरत ईद थी, गई तो देखा एहतेशाम और राजेश ने मिल के बहुत ही बढ़िया सेवैयाँ बनाई थी, और साथ में कबाब और पनीर टिक्का। साथ में शायद रूह अफजा था, मुझे याद नहीं...याद है की कितने प्यार से जिद कर कर के हमने सब को खिलाया था। उस दिन मुझे एक प्रोजेक्ट पर भी काम करना था, पर शुक्र था की मेरा बॉस भी ईद मनाने गया हुआ था, उसने कॉल किया की पूजा काम की हो...मैंने डरते डरते कहा की मैं ईद मना रही हूँ, काम कैसे करुँगी। और उस दिन हमारे बिग बॉस यानि सीईओ का फ़ोन आने आला था मुझे, काम की प्रोग्रेस देखने के लिए मैंने पूछा की सर कॉल करेंगे तो क्या कहूँगी...और मुझे यकीं नहीं हुआ, उसने कहा की फ़ोन काट देना, पिक मत करना। और मैंने ऐसा ही किया।

देर रात तक किस्से चलते रहे, सबने अपने अपने ऑफिस की कहानी सुनाई जो की कमोबेश एक ही जैसी थी, फ्रेशेर होना शायद एक जैसा ही होता है। धीरे धीरे सब आपने अपने खेमे में बढ़ने लगे, पर मैंने वादा किया था की सबसे आख़िर में जाउंगी...तो निभाया।

मुझे आज भी ईद पर वो रात याद आती है...सड़क पर चलते हुए चाँद देखना। उस दिन एहतेशाम बहुत अच्छा लग रहा था, उसे कुरते में पहली बार देखा था। उस दिन जिंदगी थोडी अपनी सी लगी थी... लौटते हुए जान रही थी की शायद ऐसी ईद अब कभी नसीब नहीं होगी...पर फ़िर भी दिल ने यही दुआ मांगी चाँद को देख कर। खुदा ये दोस्ती सलामत रखना...ये ईद सलामत रखना। कहीं और नहीं तो मेरे दिल में वो रात आज भी जिन्दा है...साँसे लेती है, ख्वाब देखती है।

14 comments:

  1. aapka lekh padkar , kuch purani yaaden yaad aa gayi ..

    doston ke saath gujaare din aise hi hoten hai ..


    kabhi mere blog par aayiyenga pls

    vijay
    poemsofvijay.blogspot.com

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  2. एक धुंधली याद को बेहतर तरीके से संजीदा किया आपने ढेरो बधाई आपको....

    अर्श

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  3. aapne eid ki yaad taza ki
    mujhe Rooh-afza ki yaad aa gayi

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  4. रोज खोलते है खिड़किया .....यादो की......आज आपने भी झांक लिया !

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  5. यादों में झांकने का भी एक अलग अंदाज.. वाह भई वाह.. :)

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  6. aap ka bloge accha hai sabhi ko sikh deta

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  7. राजस्थान पत्रिका के आज छपे 'ब्लोग वूमेन' से देखकर आपके ब्लोग का रुख किया.. आपके अतिरिक्त लगभग सभी माननीय ब्लोगर से परिचित हूँ,

    महिलायें सब आ रहीं लेकर अपनी बात..
    कम्प्यूटर के पटल पर अजमा रहीं है हाथ..
    अजमा रहीं हैं हाथ,करें दिन रात ब्लोगिंग
    लिखें एक एक बात,भले हो कुकिंग या जोगिंग
    ये अच्छा संकेत सभी एक सूत्र में आयें
    लेकर अपनी बात आ रहीं सब महिलायें..

    आपके संस्मरण एक दम जीवंत और यथार्थ के एकदम करीब हैं, बहुत कुछ यादें ताजा हो गयीं..
    आपकी प्रभावशाली वर्तिका ने प्रभावित किया..
    लिखते रहे, हार्दिक शुभकामनायें.

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  8. बहुत बहुत बधाई हो .....

    http://4.bp.blogspot.com/_k969UC7FFbo/SVHp5lC2aYI/AAAAAAAABc8/A0Op5pFYNTc/s1600-h/women+bloggerjpg

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  9. आज राजस्थान पत्रिका मे आपके बारे मे पढ कर अच्छा लगा ! बहुत बधाई और शुभकामनाएं !

    रामराम !

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  10. one of the blog i gone browsed.......

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  11. one of the blog i gone browsed.......

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  12. पूजा आपने मुझे भी अपने पुराने दिन याद दिला दिए. सब कुछ बिल्कुल ऐसा हो होता है शायद हर एक की जिंदगी में. आपने IIMC से पढ़ाई की है और मैंने YMCA से Electronic Journalism किया है. शूट से वापिस आने के बाद assignments, script aur log sheet को लेकर घंटो बातें, हँसी मजाक, शायरी और न जाने क्या क्या हुआ करता था, YMCA के सामने वाली चाय की दूकान पर. हर दिन ८ बजा ही करते थे "कल फिर मिलते हैं" कहने के लिए. सब कुछ कितना ताजा है, जैसे कल ही की बात हो.

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  13. Hey Puja...
    Though I guess, I am a first time comment writer to any blogsite. But I must say Puja has grown a lot esp. as a blogger:-). (Actually as a poet). Thumbs Up to all your literary dreams.

    Waise JNU, IIMC and Delhi always seem to be present in all your writings. Thank You for remembering Delhi friends in Bangalore.

    Loveeeee

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