हैदराबाद जाने का प्रोग्राम कैंसिल कर दो
बॉम्बे में जो ब्लास्ट हुआ है
आतंकवादियों ने डेकन मुजाहिदीन का नाम लिखा था
और इंडिया टीवी में तो ख़बर की थी
हैदराबाद को अलग कर दो
माँ कहती थी
अशुभ बातें कहने से सच हो जाती हैं
तुम चले जाते हो
मैं सोचती हूँ पूजा करूंगी आज
पर मन नहीं करता है...
कहीं भी जाने का मन नहीं करता
दिन भर टीवी नहीं खोलती हूँ
सुबह अखबार नहीं पढ़ती
और जब तक तुम वापस नहीं आ जाते
डरती रहती हूँ हर आहट पर
हर घंटे तुम्हें फ़ोन नहीं करती
पर सोचती हूँ कि कर लूँ
निश्चिंत तो हो जाउंगी
कपड़े खरीदने हैं
पर मॉल नहीं जा रही
रोज़ टाल देती हूँ
दिल में अजीब अजीब से ख्याल आते हैं
कुछ हो न जाए किसी दिन अचानक
एक गाना सुना था कभी
जाने क्यों याद आने लगता है
if tommorow never comes
will she ever know how much i loved her
did the love i give her in the past
would be enough to last
if tommorow never comes...
आशंका बढ़ने लगती है, उठता है विश्वास स्वयं से
ReplyDeleteन जाने क्यों शब्दों पर भी नहीं भरोसा रह पाता है
असमंजस के सायों में जब घिर कर रह जाता हैतन मन
क्लिखा हुआ हर शब्द स्वयं से रह रह प्रश्न उठा जाता है
शुरू किया तो लगा कि शायद कविता है, लेकिन अंत तक आते आते थोङा दुविधा में आ गया. खैर जो भी है अच्छा है.
ReplyDeleteलिखते रहिये .. शुभकामनायें
फ़्रस्ट्रू
माँ कहती थी
ReplyDeleteअशुभ बातें कहने से सच हो जाती हैं
तुम चले जाते हो
मैं सोचती हूँ पूजा करूंगी आज
पर मन नहीं करता है...
क्या करे ? लाचार हैं हम सब !
रामराम!
if tommorow never comes
ReplyDeletewill she ever know how much i loved her
did the love i give her in the past
would be enough to last
if tommorow never comes...
I've nothing to say after these lines..
क्या कहे समझ मे नही आ रहा है।
ReplyDeleteआपने क्या खूब लिखा है । लिखते रहिए । समय मिले तो मेरे भी ब्लांग पर आइए
ReplyDeleteआज पूरे देश में सभी की ऐसी ही हालत है
ReplyDeleteसंशय डरा ही देता है, समय का शोर तिरोहित कर ही देता है जीवन का माधुर्य .
ReplyDeleteएक अच्छी-सी पोस्ट के लिए धन्यवाद .
एक ऐसी ही लड़की को मैं भी जनता हू जिसने मुझे कहा बस से चले जाओ.. ट्रेन्स में तो ब्लास्ट होते है..
ReplyDeleteपूरे देश में आज इसी तरह का माहोल हैं
ReplyDeletesach kaha aapane
ReplyDeleteसोचने लगता हूं ये सब पढ़ कर क्या "वे" भी पढ़ रहे होंगे ये सारा कुछ...जिन्होंने इस आतंक की बिसात रची???
ReplyDelete..और यदि पढ़ रहे होंगे तो क्या प्रतिक्रिया होगी उस तरफ?
अट्टहास? या कहीं कुछ कुरेदता भी होगा??
शायद समय की इस परेशानी के बारे में किसी ने सोचा नही होगा .....की हम सुविधाओं से भरे होगे पर उनका आनंद कैसे ले ?तुम्हारे शहर आना है जनवरी में ओर दोनों एअरपोर्ट हाई अलर्ट है.....दिल्ली ओर बंगलौर .....
ReplyDeletezindagi bhi kamaal hi hai....ye dhamaake uska dam ghont sakte hai,par use aapahij nahi kar sakte...
ReplyDeletezindagi hai to chalti rahegii....