04 December, 2008

कल हो न हो...

मैं सोचती हूँ तुमसे कहूँ
हैदराबाद जाने का प्रोग्राम कैंसिल कर दो
बॉम्बे में जो ब्लास्ट हुआ है
आतंकवादियों ने डेकन मुजाहिदीन का नाम लिखा था
और इंडिया टीवी में तो ख़बर की थी
हैदराबाद को अलग कर दो

माँ कहती थी
अशुभ बातें कहने से सच हो जाती हैं
तुम चले जाते हो

मैं सोचती हूँ पूजा करूंगी आज
पर मन नहीं करता है...

कहीं भी जाने का मन नहीं करता
दिन भर टीवी नहीं खोलती हूँ
सुबह अखबार नहीं पढ़ती
और जब तक तुम वापस नहीं आ जाते

डरती रहती हूँ हर आहट पर
हर घंटे तुम्हें फ़ोन नहीं करती

पर सोचती हूँ कि कर लूँ
निश्चिंत तो हो जाउंगी

कपड़े खरीदने हैं

पर मॉल नहीं जा रही

रोज़ टाल देती हूँ
दिल में अजीब अजीब से ख्याल आते हैं

कुछ हो न जाए किसी दिन अचानक

एक गाना सुना था कभी

जाने क्यों याद आने लगता है

if tommorow never comes

will she ever know how much i loved her

did the love i give her in the past

would be enough to last

if tommorow never comes...







14 comments:

  1. आशंका बढ़ने लगती है, उठता है विश्वास स्वयं से
    न जाने क्यों शब्दों पर भी नहीं भरोसा रह पाता है
    असमंजस के सायों में जब घिर कर रह जाता हैतन मन
    क्लिखा हुआ हर शब्द स्वयं से रह रह प्रश्न उठा जाता है

    ReplyDelete
  2. शुरू किया तो लगा कि शायद कविता है, लेकिन अंत तक आते आते थोङा दुविधा में आ गया. खैर जो भी है अच्छा है.

    लिखते रहिये .. शुभकामनायें
    फ़्रस्ट्रू

    ReplyDelete
  3. माँ कहती थी
    अशुभ बातें कहने से सच हो जाती हैं
    तुम चले जाते हो
    मैं सोचती हूँ पूजा करूंगी आज
    पर मन नहीं करता है...

    क्या करे ? लाचार हैं हम सब !

    रामराम!

    ReplyDelete
  4. if tommorow never comes

    will she ever know how much i loved her

    did the love i give her in the past

    would be enough to last

    if tommorow never comes...


    I've nothing to say after these lines..

    ReplyDelete
  5. क्या कहे समझ मे नही आ रहा है।

    ReplyDelete
  6. आपने क्या खूब लिखा है । लिखते रहिए । समय मिले तो मेरे भी ब्लांग पर आइए

    ReplyDelete
  7. आज पूरे देश में सभी की ऐसी ही हालत है

    ReplyDelete
  8. संशय डरा ही देता है, समय का शोर तिरोहित कर ही देता है जीवन का माधुर्य .
    एक अच्छी-सी पोस्ट के लिए धन्यवाद .

    ReplyDelete
  9. एक ऐसी ही लड़की को मैं भी जनता हू जिसने मुझे कहा बस से चले जाओ.. ट्रेन्स में तो ब्लास्ट होते है..

    ReplyDelete
  10. पूरे देश में आज इसी तरह का माहोल हैं

    ReplyDelete
  11. सोचने लगता हूं ये सब पढ़ कर क्या "वे" भी पढ़ रहे होंगे ये सारा कुछ...जिन्होंने इस आतंक की बिसात रची???

    ..और यदि पढ़ रहे होंगे तो क्या प्रतिक्रिया होगी उस तरफ?

    अट्‍टहास? या कहीं कुछ कुरेदता भी होगा??

    ReplyDelete
  12. शायद समय की इस परेशानी के बारे में किसी ने सोचा नही होगा .....की हम सुविधाओं से भरे होगे पर उनका आनंद कैसे ले ?तुम्हारे शहर आना है जनवरी में ओर दोनों एअरपोर्ट हाई अलर्ट है.....दिल्ली ओर बंगलौर .....

    ReplyDelete
  13. zindagi bhi kamaal hi hai....ye dhamaake uska dam ghont sakte hai,par use aapahij nahi kar sakte...

    zindagi hai to chalti rahegii....

    ReplyDelete

Related posts

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...