बहुत दिन बाद ये कविता पढ़ी, इसका शीर्षक जाने किस सन्दर्भ में मेरी जिंदगी में बहुत मायने रखता है। कितना भी याद करूँ, याद नहीं आ रहा कि कहाँ सुनी थी इसकी पहली पंक्ति। आज मेरे मित्र शशि के सौजन्य से ये कविता फ़िर से पढने को मिली।
आजकल जिस तरह के हालात हैं, और जैसी मेरी मनोस्थिति है, कुछ पंक्तियों ने मर्म को स्पर्श किया है। मुझे ये पंक्ति खास तौर से पसंद है.."अक्सर एक लीक दूर पार से बुलाती है ." सोचा आप सब से भी बाँट लूँ....सर्वेश्वर सयाल सक्सेना की ये कविता।
अक्सर एक गंध
मेरे पास से गुज़र जाती है,
अक्सर एक नदी
मेरे सामने भर जाती है,
अक्सर एक नाव
आकर तट से टकराती है,
अक्सर एक लीक
दूर पार से बुलाती है ।
मैं जहाँ होता हूँ
वहीँ पर बैठ जाता हूँ,
अक्सर एक प्रतिमा
धूल में बन जाती है ।
अक्सर चाँद जेब में
पड़ा हुआ मिलता है,
सूरज को गिलहरी
पेड़ पर बैठी खाती है,
अक्सर दुनिया
मटर का दाना हो जाती है,
एक हथेली पर
पूरी बस जाती है ।
मैं जहाँ होता हूँ
वहां से उठ जाता हूँ,
अक्सर रात चींटी-सी
रेंगती हुई आती है ।
अक्सर एक हँसी
ठंडी हवा-सी चलती है,
अक्सर एक दृष्टि
कनटोप-सा लगाती है,
अक्सर एक बात
पर्वत-सी खड़ी होती है,
अक्सर एक ख़ामोशी
मुझे कपड़े पहनाती है ।
मैं जहाँ होता हूँ
वहाँ से चल पड़ता हूँ,
अक्सर एक व्यथा
यात्रा बन जाती है ।
vaytha ho ya katha, jeevan ka hissa hai. narayan narayan
ReplyDeleteअक्सर एक हँसी
ReplyDeleteठंडी हवा-सी चलती है,
अक्सर एक दृष्टि
कनटोप-सा लगाती है,
अक्सर एक बात
पर्वत-सी खड़ी होती है,
अक्सर एक ख़ामोशी
मुझे कपड़े पहनाती है ।
बहुत सटीक ! रामराम !
ye kavita mujhe bhi bahut pasand hai magar main kavi ka naam nahi jaanta tha..
ReplyDeletekabhi aapse mangane aaunga ye kavita, apne blog ke liye.. :)
सर्वेश्वर को पढ़ने में अपना ही मजा है स्नातक प्रथम वर्ष में उन्हे पढ़ना एक अच्छा अनुभव था।
ReplyDeleteअजीब सा मन है ....क्या कहूँ ..!
ReplyDeleteअक्सर एक बात
ReplyDeleteपर्वत-सी खड़ी होती है,
अक्सर एक ख़ामोशी
मुझे कपड़े पहनाती है ।
मैं जहाँ होता हूँ
वहाँ से चल पड़ता हूँ,
अक्सर एक व्यथा
यात्रा बन जाती है ।
बहुत ही सटीक बात कही है इन पक्तियों में सर्वेश्वर सयाल सक्सेना जी ने
i m first time visitor of ur blog.
ReplyDeletei like ur creation"
ur poem "तुम्हें प्यार है मुझसे " is superb.
अक्सर एक व्यथा...यात्रा बन जाती है
ReplyDeleteकितना सच
आपके साथ हूँ! विचारशील!
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी!
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