उसके पैरों में घुँघरू नहीं बंधे थे...पायल का एक नन्हा सा घुँघरू भी नहीं...फिर भी वो खुश होती थी तो थिरक उठती थी और विंडचाइम की तरह महीन सी धुन बजने लगती थी...वो इसे मन का गीत कहती थी...उसके मन में बजता था पर उस दिन दुनिया एकदम खूबसूरत हो जाती...ये वैसे कुछ दिन में से एक होता था जब उसे खुद से प्यार हो जाता था...
वो ऐसे किसी दिन सोचती थी कि सारी बेचैनियाँ उसे अंदर हैं और सारा सुकून भी उसके अंदर ही है...वो दिल पर हाथ रखे अपनी धडकनों को सुनती थी...कितनी खूबसूरत लय है...किसी का नाम नहीं लेता है जब दिल...एकदम खामोश होता है तो रात की ख़ामोशी में बारिश की हलकी फुहारों सी आवाज़ आती है...एकदम मद्धम...जैसे कोई चुपके कह गया हो कानों में...आई लव यू...इतना धीमे कि हर बार वो उलझी सी सोचे...कोई था क्या...कोई सच में आया था क्या...किसे प्यार है उससे. वो मन की इस बारिश में भीगती खुदा से पूछती है...ओ पगले...तुझे तेरी इस पागल बेटी से कितना प्यार है?
खुदा हँसता है और कुछ ओले नीचे फ़ेंक मारता है...ओला लड़की के सर में लगता है और उसका ढीला स्क्रू थोड़ा और ढीला हो जाता है...वो रात में अकेले हँसती है...ठेंगा दिखाती है...झगड़ा करती है कि ऊपर बैठ कर ज्यादा होशियार मत बनो...मैं चाँद फ़ेंक कर मारूंगी तो फिर किसी लड़की का मन अधूरा छोड़ने की हिम्मत नहीं कर पाओगे...पगले कहीं के...तुम्हें सर चढा रखा है मैंने...अभी नीचे उतारती हूँ.
खुदा की और उसकी केमिस्ट्री से सब जलते हैं...खुदा के सारे बंदे...धरती के सारे इंसान...सब कितना मस्का लगाते हैं खुदा को, कितनी घूस देते हैं...उसके कान भी भरते हैं कि ये लड़की एकदम पागल है...खराब भी है...खुदा मानता ही नहीं...खुदा के मन का एक टुकड़ा लगा है न लड़की में...इसलिए वो जानता है कि चाहे जो खराब हो...चाहे जितनी बदमाशियां करे लड़की उसका मन साफ़ है एकदम...और बचपन में जैसी थी वैसी ही है लड़की...बाकी जितनी ऊपर से परतें चढ जाएँ उसपर उसने मन को वैसा ही साफ़ और पारदर्शी रखा है जैसा उसने दे कर भेजा था...इसलिए वो खुदा की सबसे फेवरिट बेटी है.
खुदा का जब दिल्लगी का मूड होता है तो वो उस लड़की को प्यार की लंघी मार देता है...फिर लड़की शाम शाम बडबडाती रहती है...सिगरेट फूँकती है, खुदा को बैरंग चिट्ठियां लिखती है...खूब सारा झगड़ा करती है...खुदा जी खोल कर हँसता है...कहता है कित्ती बुद्दू हो रे...हर बार एक ही गलती करती हो...अब तुम सुधरोगी नहीं तो मैं क्या करूँ...कोई इतनी सारी गलतियाँ कैसे कर सकता है एक छोटी सी जिंदगी में. लड़की कहती है...माय फुट छोटी जिंदगी...ऊपर से कोरी धमकी देते हो...डरते तो तुम हो असल में मुझसे, ज्यादा हिम्मत है तो जान लो तो सही देखो कैसे पूरे स्वर्ग में तुम्हें दौड़ाती हूँ...डरपोक हो एक नंबर के...२९ की हो जाउंगी जून में...बड़े आये छोटी सी जिंदगी में...जानती नहीं हूँ तुम्हें...तुम चैन से बैठे हो कि अभी नीचे से जितना हल्ला करना है कर ले लड़की...ऊपर बुलाओ तो सही देखो कैसे तुम्हारा जीना मुहाल करती हूँ.
खैर...आप कितनी सुनेंगे ये बातें...लड़की तो पागल है ही और खुदा का को दिमाग ठीक होता तो वो आपकी जिंदगी में एक ऐसी लड़की लिखता? नहीं न. शाम होने को आई...खुदा खुदा कीजिये...और मुझसे पीछा छुड़ाने के उपाय ढूँढिये...वैसे चांस कम है...मेरी जिंदगी में बस आने का रास्ता है.
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