हैरी पोटर हीरो है...सिर्फ इसलिए नहीं की वो बहादुर है और मौत के सामने भी हिम्मत रखता है...इसलिए भी नहीं कि वह वोल्डेमोर्ट के खिलाफ अकेला खड़ा होता है...वो ये सब है...मगर इन सबके साथ वो एक एकलौता लड़का भी है जिसके कंधे पर सर रख कर मैं सबसे ज्यादा रोई हूँ...मैं जानती हूँ कि वो समझता है क्यूंकि उसने भी अपनी माँ को खो दिया है...ये बात हमेशा उस किताब में नहीं आती...पर जब भी आती है मैं जानती हूँ कि वो कैसा महसूस कर रहा होगा. हर परेशानी के बावजूद वो इस बात का ध्यान रखता है कि उस फंतासी की दुनिया में मेरा हाथ उससे कभी न छूटे. जे के रोलिंग के बहुत से फैन्स हैं...पर मेरा शुक्रिया एकदम अलग है...हर एक किताब दुनिया में इसलिए आती है कि कहीं उसे पढ़ने के लिए कोई पैदा हुआ है...
IIMC का दूसरा सेमेस्टर चल रहा था. पहले सेमेस्टर में जो ग्रुप था अब वो ग्रुप नहीं था तो उस समय के दोस्तों के साथ वक़्त नहीं मिल पाता था. ऐसे में मोलोना से कभी कभार बात हो पाती थी...ऐसी ही एक रात उसके कमरे में बैठी थी...कोई सुबह के चार बज रहे होंगे. उसके सिरहाने हैरी पोटर की किताब थी...हमेशा की तरह. मैंने पूछा 'Why do you read this book Molo?'. उस समय तक का नियम था कि किसी भी बहुचर्चित किताब को नहीं पढूंगी...जिस किताब को अवार्ड मिला है नहीं पढूंगी...पढूंगी बस वो किताब जिसे छूने पर, पन्ने पलटने पर पढ़ने का मन करे. इसी कारण कभी हैरी पोटर नहीं पढ़ी थी कि सारे लोग पढ़ रहे थे...मोलो ने कहा कि तुम इसके चार पन्ने पढो...और अगर उसके बाद जो तुम्हारा मन करे...मैंने पढ़े चार पन्ने और फिर किताब अपने कमरे में ले गयी...मोलोना ने फिर और चार किताबें दीं पढ़ने के लिए...वो नहीं होती तो मेरी जिंदगी में हैरी पोटर नहीं होता...इन किताबों में उसका असीम प्यार भी उमड़ता है...कुछ अच्छा हुआ तो मेरे साथ बांटने का प्यार...चाहे वो किताबें हों, रात को गर्म पानी या फिर बॉयफ्रेंड का दिया डार्क चोकलेट. मुझे जानने वाले समझते हैं कि चोकलेट शेयर करने से बड़ी दोस्ती मैं इस दुनिया में नहीं जानती. मोलो के कारण ही मैं फेसबुक पर आई...वो कहीं और थी ही नहीं...दो साल तक उसका कोई पता नहीं...आखिर मुझे ही झुकना पड़ा...सिर्फ उस एक लड़की के लिए मैं फेसबुक पर हाज़िर थी.
परसों स्कूल की मेरी बेस्ट फ्रेंड का फोन आया...स्मृति के बाद एक उसको ही बेस्ट फ्रेंड की पदवी से नवाज़ा था...और उसे चिट्ठियां लिखी थीं...दो साल तक. वनस्थली के उस जंगल में मेरी चिट्ठियां...शायद रेगिस्तान का रास्ता तब से ही देख रखा था...उसकी चिट्ठियां धूलभरी आतीं...एकदम उजाड़, सुनसान...खडूस वार्डन और बुरी लड़कियों के किस्से...वहां दूर दूर तक कोई ख़ुशी नहीं दिखती. हमारी चिट्ठियों में एक्जाम के भूत का भयानक साया रहता...मेरा भी 12th बुरा बीता था...एक तो गर्ल्स स्कूल...उसपर टीचर किसी करम के नहीं...उसपर लाइब्रेरी फ्राईडे को कि जब सारी अच्छी किताबें जा चुकी हों...जिंदगी एकदम बेरंग...बस चिट्ठियां थीं और डाकिया था कि जिंदगी में कुछ जीने लायक था.
मुझे पढ़ी हुयी चीज़ें तब तक याद नहीं रहतीं जब तक उनमें मुझे अपनी जिंदगी के किसी लम्हे का अक्स न दिख जाए...चाहे मेरी तन्हाई हो या मेरी मुस्कराहट...मुझे जो चीज़ें पसंद आती हैं पागलों की तरह पसंद आती हैं. मुझे बीच का रास्ता नहीं आता...प्यार करती हूँ तो एकदम मर जाउंगी जैसा...दोस्त अगर वाकई में माना है तो जान हाज़िर है...तुम्हारी हर परेशानी मेरी...तुम्हारे सारी खुशियाँ मेरी अपनी...और एक बार दिल टूट जाता है तो फिर जिंदगी में जुड़ नहीं पाता. अब तक ब्लॉग जितना जितना भी पढ़ा है..कुछ लोग हैं जिनसे कभी एक बार मिलने का मन है...बस एक बार...छू के देखने भर के लिए...न ना...इतने भर के लिए नहीं...एक बार बाँहें गले में डाल कर ये कहने के लिए...कि तुम्हारे लिखे के बदले जान मांग लो...कुर्बान जाएँ...दुआओं सा लिखते हो दोस्त...दुआओं सा. खुदा तुम्हारी कलम को मुहब्बत बक्शे.
You are my hero! (Call me sexist but no women here ;) )
Cheers to Harry Potter, Molona, Anshu, and my beloved writers...you know who you are :) :)
I love you.
IIMC का दूसरा सेमेस्टर चल रहा था. पहले सेमेस्टर में जो ग्रुप था अब वो ग्रुप नहीं था तो उस समय के दोस्तों के साथ वक़्त नहीं मिल पाता था. ऐसे में मोलोना से कभी कभार बात हो पाती थी...ऐसी ही एक रात उसके कमरे में बैठी थी...कोई सुबह के चार बज रहे होंगे. उसके सिरहाने हैरी पोटर की किताब थी...हमेशा की तरह. मैंने पूछा 'Why do you read this book Molo?'. उस समय तक का नियम था कि किसी भी बहुचर्चित किताब को नहीं पढूंगी...जिस किताब को अवार्ड मिला है नहीं पढूंगी...पढूंगी बस वो किताब जिसे छूने पर, पन्ने पलटने पर पढ़ने का मन करे. इसी कारण कभी हैरी पोटर नहीं पढ़ी थी कि सारे लोग पढ़ रहे थे...मोलो ने कहा कि तुम इसके चार पन्ने पढो...और अगर उसके बाद जो तुम्हारा मन करे...मैंने पढ़े चार पन्ने और फिर किताब अपने कमरे में ले गयी...मोलोना ने फिर और चार किताबें दीं पढ़ने के लिए...वो नहीं होती तो मेरी जिंदगी में हैरी पोटर नहीं होता...इन किताबों में उसका असीम प्यार भी उमड़ता है...कुछ अच्छा हुआ तो मेरे साथ बांटने का प्यार...चाहे वो किताबें हों, रात को गर्म पानी या फिर बॉयफ्रेंड का दिया डार्क चोकलेट. मुझे जानने वाले समझते हैं कि चोकलेट शेयर करने से बड़ी दोस्ती मैं इस दुनिया में नहीं जानती. मोलो के कारण ही मैं फेसबुक पर आई...वो कहीं और थी ही नहीं...दो साल तक उसका कोई पता नहीं...आखिर मुझे ही झुकना पड़ा...सिर्फ उस एक लड़की के लिए मैं फेसबुक पर हाज़िर थी.
परसों स्कूल की मेरी बेस्ट फ्रेंड का फोन आया...स्मृति के बाद एक उसको ही बेस्ट फ्रेंड की पदवी से नवाज़ा था...और उसे चिट्ठियां लिखी थीं...दो साल तक. वनस्थली के उस जंगल में मेरी चिट्ठियां...शायद रेगिस्तान का रास्ता तब से ही देख रखा था...उसकी चिट्ठियां धूलभरी आतीं...एकदम उजाड़, सुनसान...खडूस वार्डन और बुरी लड़कियों के किस्से...वहां दूर दूर तक कोई ख़ुशी नहीं दिखती. हमारी चिट्ठियों में एक्जाम के भूत का भयानक साया रहता...मेरा भी 12th बुरा बीता था...एक तो गर्ल्स स्कूल...उसपर टीचर किसी करम के नहीं...उसपर लाइब्रेरी फ्राईडे को कि जब सारी अच्छी किताबें जा चुकी हों...जिंदगी एकदम बेरंग...बस चिट्ठियां थीं और डाकिया था कि जिंदगी में कुछ जीने लायक था.
मुझे पढ़ी हुयी चीज़ें तब तक याद नहीं रहतीं जब तक उनमें मुझे अपनी जिंदगी के किसी लम्हे का अक्स न दिख जाए...चाहे मेरी तन्हाई हो या मेरी मुस्कराहट...मुझे जो चीज़ें पसंद आती हैं पागलों की तरह पसंद आती हैं. मुझे बीच का रास्ता नहीं आता...प्यार करती हूँ तो एकदम मर जाउंगी जैसा...दोस्त अगर वाकई में माना है तो जान हाज़िर है...तुम्हारी हर परेशानी मेरी...तुम्हारे सारी खुशियाँ मेरी अपनी...और एक बार दिल टूट जाता है तो फिर जिंदगी में जुड़ नहीं पाता. अब तक ब्लॉग जितना जितना भी पढ़ा है..कुछ लोग हैं जिनसे कभी एक बार मिलने का मन है...बस एक बार...छू के देखने भर के लिए...न ना...इतने भर के लिए नहीं...एक बार बाँहें गले में डाल कर ये कहने के लिए...कि तुम्हारे लिखे के बदले जान मांग लो...कुर्बान जाएँ...दुआओं सा लिखते हो दोस्त...दुआओं सा. खुदा तुम्हारी कलम को मुहब्बत बक्शे.
You are my hero! (Call me sexist but no women here ;) )
Cheers to Harry Potter, Molona, Anshu, and my beloved writers...you know who you are :) :)
I love you.
...this made me remember a friend who loved harry potter series so much that she read the book whole night before organic chemistry exam only to be nervous like hell in the morning...! Still her exam went on well...:)
ReplyDeleteI really miss this friend of mine, kaash! kisi din vo bhi mujhe facebook par mil jaye!!!
मुझे बीच का रास्ता नहीं आता...प्यार करती हूँ तो एकदम मर जाउंगी जैसा...दोस्त अगर वाकई में माना है तो जान हाज़िर है...
aise hi rahna....
And yes, Cheers to all your beloved writers and cheers to my beloved writer too... the girl with a beautiful smile:)
Keep writing!!!
haha...that was nice...reading harry potter before exams...but harry potter is addictive and कसम से एक्जाम के पहले वाली रात में नोवेल पढ़ने का मज़ा ही कुछ और होता है :)
Deletethank you :) :)
वाह! आनंद आ गया।
ReplyDeleteमन बना चुका हूँ कि हैरी पॉटर नहीं पढ़ना है। पत्र लिखने न जाने कब के बन्द कर दिये हैं, कुछ पत्रों ने जीवन का तना हिला दिया है।
ReplyDeleteहैरी पोटर उन लोगों को बहुत पसंद आएगी जिन्हें थोड़ा ख्वाबों के घोड़े दौड़ाना अच्छा लगता है...उधर एक पूरी दुनिया बसी हुयी है...अपने सारे छोटे-बड़े डिटेल्स के साथ. बच्चों को वैसी चीज़ें इसलिए पसंद आती हैं क्यूंकि वो कल्पना पर थोड़ा ज्यादा आराम से यकीन कर लेते हैं...मैं भी अपने को उसी बच्चों की कैटेगरी में शामिल कर लेती हूँ :)
Deleteपत्र लिखना बंद नहीं करना चाहिए...हालाँकि मैंने भी बहुत सालों में किसी को खत नहीं लिखे थे...क्यूंकि लगता था किसे लिखूं...अब कुछ लोगों को लिखती हूँ...मुझे बेहद पसंद है चिट्ठी लिखना.
Been reading your blog for long, but too lazy to comment. In short " I love your blog ! ".
ReplyDeleteHP ke bare mein padhke khudko rok nahi paayi. Abhi last December he meri beti school se yeh kitab laayi, aur maine bhi kuch do char panne padhe aur addicted ho gayi. Fir to pura December ka mahina in kitabon ko padhne mein he bitaya.
Uske baad bhi nasha nahi utra to sari movies ek saath dekh dali. Sach kehti hun, uske baad koi dusri kitab uthane ka man nahi huya. Ab baithee hun sochte huye ki kya hai aisee koi kitab jo is tarah gehre baith jaaye dil mein. Even though its a fantasy, kai baatein jo HP aur Dumbledore ke beech hoti thi, bahut he inspiring lagi. I am thinking of reading them back again soon. :)