इंतज़ार में
बिल्कुल कण कण में
टूट जाता है मेरा वजूद
और क्षण क्षण गिरता रहता है
रेत घड़ी के एक से दूसरे छोर पर
धीरे धीरे फ़िर से जुड़ जुड़ कर
पूरी होने लगती हूँ मैं
और एक तरफ़ से बिल्कुल खाली
पर स्थायित्व नहीं है मेरे जीवन में
जैसे ही गिरता है पूरा वजूद
वक्त मुझे फ़िर से पलट देता है
और शुरू हो जाता है
मेरा बिखरना
फ़िर से...
आध्यत्मिक!
ReplyDeleteइंतज़ार में
ReplyDeleteबिल्कुल कण कण में
टूट जाता है मेरा वजूद
और क्षण क्षण गिरता रहता है
रेत घड़ी के एक से दूसरे छोर पर
दिल को छू गई आपकी रचना पूजा जी
बहोत ही उम्दा लेखन है, बहोत खूब कहा है आपने ........
ReplyDeleteपूजा जी
ReplyDeleteनमस्कार
सही कहती हैं कि यदि हमारे पास वैचारिक शक्ति हो तो हम किसी भी दृश्य से, किसी भी अनुभव से, किसी भी दुख या सुख से हम कुछ न कुछ मथकार (दही से मक्खन के समान) प्राप्त कर सकते हैं.
इसी तरह आपने भी रेत घड़ी से रेत के गिरने और फिर से पहले वाले भाग मे रेत के वापस आने कि क्रिया से एक अहम विचार
निकाल कर हमारे सामने प्रस्तुत किया है, बहुत अच्छा लगा.
आपका
डॉ विजय तिवारी " किसलय "
बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteहालांकि ..... "स्थायित्व" ..... है कहाँ ? बहरहाल रचना बहुत अच्छी है.
आज आपका रेत घड़ी से जिन्दगी का तुलनात्मक विशलेषण बहुत गहरी अभिव्यक्ति दे गया ! आपको दिल से शुभकामनाएं !
ReplyDeleteटेम्पलेट बहुत सुंदर लग रहा है ! बधाई !
अच्छा है ।
ReplyDeletebahut khub
ReplyDeletebahut sundar pooja ji..
ReplyDeleteपलट के गिर के सिमटना है क्षण क्षण में
ReplyDeleteवजूद के छोर पर बिखरना है कण कण में
पता नही क्यों ये चित्र देखकर गुलज़ार की एक त्रिवेणी याद आ गयी......तुम यार सच में कमाल की हो !
ReplyDeleteacchi soch ke sath apni bhavnao ko acche se sameta hai........
ReplyDeletebahut bahut bahut hi spl rachna.....
बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteHi Puja.. check my latest post this post is only because of you :)
ReplyDeleteEk Woh Din Bhi The: A Beautiful Song
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ReplyDeleteघंटों से मैं मौन ही बैठा था..कि आपने मुझे बोलने पे मजबूर कर ही दिया...मेरा अखंडित मौन टूट गया...मौन को आपने...सच कहूँ तो बड़े अद्भुत तरीके से व्यक्त किया है...शुरू से अंत तक मैं बहता हुआ अंत के मुहाने पे आ ही रहा था..कि..........आपकी अगली कविता भी आखों में आ समाई....आप क्या कर रही हो भाई....!!
ReplyDeleteऔर आप ऐसा लिखोगे तो आप क्या..हम ही ना पलट जायेंगे.....!!एक ही शब्द कहूंगा "अद्भुत"..........!!