"तुम्हारा और स्कॉच का कुछ रिलेशन समझ में नहीं आया" । वो मेरे ऑफिस में नई आई थी, उसके लैपटॉप पर कुछ सेटिंग करते हुए मैंने देखा कि उसने अपने आईपॉड का नाम "whiskey on the rocks" रखा था। जवाब देने के बजाये वह खिलखिला के हँस पड़ी, ये हँसी भी मेरी कुछ खास समझ में नहीं आई, लड़कियां जाने क्यों बिन वजह ही हँस देती हैं। जैसे कि उन्हें मालूम होता है कि हम उनकी हँसी से अपना सवाल भूल जायेंगे। पर मुझे मालूम करने की जिद पड़ गई। मैंने फ़िर पूछा, बताओगी नहीं, ये व्हिस्की ऑन द रॉक्स का क्या चक्कर है।
"क्योंकि मैं स्कॉच, ऑन द रॉक्स पीती हूँ ...बस इसलिए", अब इस जवाब के बाद चौंकने की बारी मेरी थी। "पर...पर, तुम तो...तुम तो ऐसी लड़की नहीं लगती", मैं हड़बड़ा के बोला था। "कैसी लड़की नहीं लगती...जिसे स्कॉच पसंद हो?", "हाँ...नहीं नहीं, मेरा वो मतलब नहीं था", मुझे कुछ सूझा नहीं। बाप रे, अब मैं किसी तरह अपना पीछा छुडाने की सोच रहा था...पड़ा एक और महिला मुक्ति वाले से मोर्चा, अब तो ये मैडम मेरी धज्जियाँ उड़ा देंगी, दिखने में कैसी सीधी सादी लगती है(और प्यारी भी...कहीं से आवाज़ आई)। और मैं सोच रहा था कि बेचारी नई आई है, किसी को जानती नहीं, थोड़ा बात कर लेता हूँ मन बहल जायेगा(किसका? उनका या तुम्हारा...फ़िर से आवाज आई)। इतनी सारी बातें एक मिनट के अन्दर दिमाग में घूम गयीं, और फ़िर दिमाग घूम गया...भागने के रास्ते ढूंढ़ना इतना आसान भी तो नहीं था, लंच टाइम था, अपना खाना मैं ले कर ही आया था उनकी सीट पर...और लैपटॉप कि सेटिंग भी अभी पूरी नहीं हुयी थी, कहाँ जाऊं हे भगवान अब तू ही बचा। इतनी कैल्कुलेशन जब चल रही थी तो मैंने देखा नहीं कि उनके चेहरे का हावभाव क्या है, इसलिये कहते हैं कि आदमी को अपने अलावा औरों के बारे में भी सोचना चाहिए।
खैर अब ओखली में सर दिया तो मूसल से क्या डरना...मैंने देखा, मोहतरमा की आँखें उसी तरह चमक रही थी जैसे शेर की अपने सामने शिकार देख कर चमकती होंगी(मैंने वैसे कभी देखा नहीं है, पर शायद जैसे टॉम एंड जेर्री में जब जेरी हाथ में आता है तो टॉम के चेहरे का भाव जैसा ही होगा)। वो किसी दूसरी दुनिया में जा चुकी थी, "जानते हो, कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जिन्हें पहली बार देख कर भी नहीं लगता कि पहली बार देखा है, किसी से पहली बार मिल कर भी लगता है हम पिछले जनम में मिल चुके हैं...वैसा ही था व्हिस्की का स्वाद, कभी लगा ही नहीं कि पहली बार पी है...जैसे पानी, वैसे ही याद नहीं कि पहली बार कब पी थी..."।
अब तो मुझे काटो तो खून नहीं, इस बार बुरे फंसे बच्चू, कवयित्री से पाला पड़ा है, अब तो भगवान भी नहीं बचा सकते, मुझे पूरा यकीं था कि वो मुझे अब कविता पढ़ाने लगेगी। मैं भला आदमी, इस पूरे प्रकरण में सिर्फ़ अपनी इंसानियत के कारण फंसा हूँ। इससे ये निष्कर्ष निकलता है, इंसान होना ग़लत है, पूरी एवोलुशन प्रक्रिया ग़लत थी, आख़िर इवोल्व होके क्या बना...कवि!!?? इससे तो अच्छे हम पाषाण युग में थे, शिकार करो, खाओ...कम से कम किसी कि कविता तो सुननी नहीं पड़ती थी। जैसे मछली कांटे में फंसती है तो घंटों बैठे मनुष्य के चेहरे पर जो भाव होता है उनके चेहरे पर वही भाव नज़र आ रहा था। मैं क्या कर सकता था, मन मार के तैयार हो गया।
पर उन्होंने जब इन्टरनेट एक्स्प्लोरर पर ब्लोगेर खोला तो हमारी सारी हिम्मत जवाब दे गई...ब्लॉगर!!!!! ये तो मनुष्य की सबसे खतरनाक श्रेणी होती है...मैंने किसके चंगुल में फंस गया, हे हनुमान जी बचाओ...अब ये अपना लिंक रट्वायेंगि, और कमेन्ट न देने पर रोज ख़बर लेंगी...अब मैं क्या करूँ, किसकी शरण में जाऊं। मैंने वादा किया कि मैं रोज़ उनका ब्लॉग पढूंगा और कमेन्ट भी दूंगा, और कोई उपाय भी क्या था।
जहाँ न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि, और जहाँ न पहुंचे कवि वहां पहुंचे ब्लोगेर. तो बचने का कोई उपाय ही नहीं था. आते साथ मैंने सारी नौकरी की साइट्स पर अपना resume डाला...मोंस्टर से लेकर शाइन तक। और आप सब से अनुरोध है कि अगर किसी के ऑफिस में कोई पोस्ट खाली हो तो मुझे बताएं। मानता हूँ आप ब्लोगेर हैं पर उससे पहले आप एक इंसान है, इसलिए कृपया मेरी मदद कीजिये। आज से मैं कान पकड़ता हूँ, व्हिस्की नहीं पियूँगा, कोई लड़की चाहे व्हिस्की पिए या किरासन तेल उससे कारण नहीं पूछूँगा, और किसी लड़की की मदद करने नहीं जाऊँगा।
नोट:इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं उनका किसी भी व्यक्ति जीवित या मृत से कोई लेना देना नहीं है :D.
bloggery whisky ka maza aagaya,vaise koi post khali ho aapko suchit kar denge,tab tak tippani karte rahe:):)
ReplyDeleteउडी बाबा आप तो बेचारे की नौकरी तक पहुंच गए बाकी अच्छी लगी आपकी विहस्कि रचना अच्छी लगी वैसे पूजा जी मैं आपसे एक बात पूछ रहा हूं ये डी का मतलब क्या है (वैसे ये भी बता देना चाहता हूं कि भाई जान की तरह पंगा नहीं ले रहा हूं अकेली नौकरी है मेरी) हा हा हा अच्छा लगा आपका व्हिस्की उवाच बधाई हो
ReplyDeletebahut khoob...........
ReplyDelete@मोहन जी...ये :D को इन्टरनेट की भाषा में स्माईली (smiley) कहते हैं. आपने शायद चैट में इनका प्रयोग किया हो. ये भावनाएं प्रर्दशित करने के लिए बनाये गए हैं. इस स्माईली का मतलब बड़ी मुस्कान है, जिसमें दांत नज़र आ जाएँ.
ReplyDeleteअरे बाप रे ये कहाँ फंसा दिया आपने ! एक तो व्हिस्की पीने वाली और वो भी "on the rocks" पीने वाली, ऊपर से ब्लॉगर भी ! तीनो क्वालिटी एक से बढ़ कर एक ! आज की रात डर लगेगा ! ये टिपणी पहुंचा दीजियेगा ! अगर रात को डर नही लगा तो सुबह एक और टिपणी कर देंगे ! :)
ReplyDeleteहा हा, पात्र काल्पनिक तो नहीं लगते..पहचान वाले ही लग रहे हैं. तुम भी नजर आ ही गयी. :)
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन लिखा है..इसे विडंबना कहें क्या?? जैसा तुम बोलो!! :)
हा ..हा... बहुत मजेदार ! एक से बढ़ कर एक ! बहुत लाजवाब लेखन ! धन्यवाद !
ReplyDeleteबहुत बढिया लिखा है।बधाई।
ReplyDeleteबहुत मजेदार लिखा है आपने...मजा आया पढ़ कर...
ReplyDeleteनीरज
बढ़िया लिखा है आपने ,बहोत बधाई आपको...
ReplyDeleteअरे ! मजा आ गया....
ReplyDeleteअंजाम बहुत अच्छा लगा सबक मिल गया
अच्छा लिखते हैं आप
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑
सब कुछ हो गया और कुछ भी नही !!
मेरी शुभकामनाये आपकी भावनाओं को आपको और आपके परिवार को
आभार...अक्षय-मन
'कोई लड़की चाहे व्हिस्की पिए या किरासन तेल' हा हा ! ध्यान रखना पड़ेगा... ये ब्लॉग्गिंग भी...
ReplyDeleteकमेंट तो ई-मेल में दे दिये हैं.. यहां बस यूं ही तफरी करने आ गये हैं.. :)
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति के लिये बधाई
ReplyDeleteवैसे ताऊश्री से सहमत हूं मैं
ha ha.. bahut mazedar jaha na pahuche Ravi waha pahuche kavi :-)
ReplyDeleteमेरे ऑफीस में जॉब है.. पर मैं भी तो एक ब्लॉगर हू :)
ReplyDeleteपूजाजी हमको रात को डर नही लगा अत: वादे के मुताबिक एक कमेन्ट उस भलीमानस को और दे दीजियेगा !:)
ReplyDeleteफ़िर पढा फ़िर मजा आया ! इब राम राम !
are ye to aap ne thodi si pilayi to .... Hangama ho gaya
ReplyDeletebahut badhiya...!
are ye to aap ne thodi si pilayi to .... Hangama ho gaya
ReplyDeletebahut badhiya...!
ब्लोगर्स से निवेदन है कृपया नौकरी का आवेदन हमारी फर्म में न करे ....
ReplyDeleteअरे पहुंचेंगे कैसे नहीं!! जहां नारद, ब्लागवाणी जैसे महारथी हो तो पहुंचेगे ही। देखिए, हम भी पहुंच गए ना:)
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