15 November, 2008

नया टेम्पलेट मुबारक हो :)

अब रात के दो बजे कोई भूत प्रेत ही मुबारक दे सकते हैं, तो मैंने सोचा उससे पहले मैं ख़ुद को ही बधाई दे लूँ। पिछले टेम्पलेट में ऐसी प्रॉब्लम आ गई थी की पोस्ट्स एडिट ही नहीं हो रहे थे, बहुत कोशिश की सुधारने की, कुछ नहीं हुआ। हमने सोचा मुसीबत को जड़ से ही समाप्त कर देते हैं। वैसे अभी बहुत काम बाकी है इसपर....एक तो ऊपर का टूलबार ही गायब है, समझ नहीं आ रहा लोगिन कहाँ से करें और न्यू पोस्ट्स कैसे लिखें। खैर ये सब करके इसे पूरी तरह अपने जैसा बनाने में टाइम लगेगा। उसपर वीकएंड भी आया है...मैं इस खूबसूरत टेम्पलेट के लिए उन सब लोगों को धन्यवाद करती हूँ जिन्होंने घंटों मेहनत करके इसे बनाया है।

कल मेरे ड्राइविंग लाइसेंस का प्रैक्टिकल टेस्ट है...भगवान बचाए। बाप रे ! बंगलोर में लाइसेंस ऐसे मिलता है की गाड़ी चलने से डर लगने लगे। रिटेन परीक्षा में १५ सवाल थे, जवाब देने में कम से कम १५०० बार भगवान् का नाम तो लिया ही होगा। उसपर कुणाल के साथ गई थी कि समझदार लड़का है, थोड़ा ताक झांक कर लेने से काम हो जायेगा, मगर हाय रे gender inequality, वहां लड़के और लड़कियों को अलग अलग बैठा दिया गया...अलग क्या बैठे हमारा तो दिल बैठ गया। हनुमान चालीसा तब से ही पढ़ना शुरू कर दिए थे। औए सवाल तो क्या हैं...हमें अपने PG में भी ऐसे सवाल नहीं रटने पड़े थे।
बानगी देखिये:
there is a cow standing across the road, what will you do?
a)cross the road from the cow's behind
b)cross the road from front of the cow
c)wait till the cow has crossed the road
अगर मैंने ख़ुद से सवाल नहीं देखा होता तो मुझे कभी यकीं नहीं होता कि ऐसे सवाल भी आ सकते हैं। खैर हमारी तो पूरी इच्छा थी कि हम तब ताख खड़े रहे तब जब गोमाता सड़क पार न कर लें, लेकिन पहले जो चित पढ़ी थी उसमें लिखा था कि गाय के पीछे से निकल जाएँ। अब भइया बताओ कि अगर गाय के सामने से जाने पर उसके सींग मारने का भय है तो पीछे से जाने पर भी तो गोबर और गोमूत्र पढ़ने का डर है...इससे क्या रुक जाना बेहतर नहीं होगा। पर शायद कुएस्शन सेट करने वालों को लगा होगा कि इससे शुद्धि होगी हमारी तो ऐसा नियम बनाया।
मैंने यह भी सोचा कि अगर गाय कि जगह भैंस खड़ी तो क्या करें...फ़िर लगा कि उनसे पूछने से बेहतर है कि मैं ताऊ से पूछ लूँ। खैर वो सवाल फ़िर कभी।

फिलहाल तो कल कि तैयारी ठेंगा हो रखी है...भगवान उस instructor को बचाए जो मेरा टेस्ट लेने वाला है। पटना में मैं साईकिल भी चलती थी तो खम्भे वगैरह रास्ता दे देते थे। :D aur कुणाल को जितनी अच्छी तरह से मैं जानती हूँ वो आराम से कह देने वाला है कि मैं उसके साथ नहीं हूँ...उफ़ ये बंगलोर। मुझे फ़िर से देवघर, पटना और दिल्ली की बहुत याद आ रही है.

अब सपने में बाकी प्रक्टिस करुँगी...

ये यादें कौन सी bike से चलती हैं
कहीं भी जाऊं मुझसे पहले पहुँच जाती हैं

क्या इन्हें पेट्रोल भी नहीं bharana होता...

15 comments:

  1. aji ham bhoot se kam hain kya??
    raat ke 3 bajne ja rahe hain aur ham abhi abhi net chalu karke baithe hain..

    finally aapne naya template laga hi liya.. ummid hai ki ab isme dikkat nahi aa rahi hogi.. badhai.. :)

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  2. shukriya pd, abhi problems to bahut aa rahi hain, jaise ki navbar gayab hai, edit posts ki link nahin aa rahi...aur baaki to abhi dekhne ka time nahin mila.ab monday ko hi kuch karungi ispar.

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  3. nav bar na lagayen


    aise hhi badhiya dikhta hai

    go > dashboard>by typing www.blogger.com>where ur blog will display and its all options !!!

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  4. Problem to lagta hai isme bhi hai kyonki aapki ye post bahut neeche aa kar dikh rahi hai IE me.

    Shuru me sirf blank spaces hi dikhte hain.

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  5. तरुण जी की बात बिल्कुल सही है ध्यान दें .

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  6. आप कुणाल के साथ गई ये ग़लती की ! आपको साथ ही लेजाना था तो हमारी भैंस को लेजाना था ! :) आख़िर गाय और भैंस मिलते जुलते आदतों वाली होती हैं ! वो आपको सब प्रश्नों का जवाब याद करवा देती ! पर अभी वो चाँद से लौटी नही है ! अगर आपका लाईसेंस बन गया हो तो ठीक नही तो आप बता देना ! जब तक मैं उसको चाँद से उतारने की कोशीश करता हूँ ! :) शायद है लौट आए !

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  7. बंगलौर इसका मतलब बड़ा ईमानदार शहर है या आपके कोई जुगाड़ नही है ...हमारे उत्तर प्रदेश में टेस्ट वाही लोग देते है जिनका कोई जुगाड़ नही होता ......खैर हम भी कभी A.F.M.C की मेडिकल प्रवेश परीक्षा के एप्लीटयूड टेस्ट नाम की परीक्षा से घबराते रहे .....यहाँ आपके सवाल पढ़कर इसके जन्मदाता की पीठ थपथपाने का मन हुआ ........
    यादो की बाइक के लिए डी. एल की जरुरत नही पड़ती हाँ पेट्रोल.....जरूर चाहिए .....वैसे टेम्पलेट झकास है बीडू !

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  8. हमारे यहा भी यू पी वाला ही हाल है.. खैर आपकी पोस्ट मज़ेदार रही.. वैसे यदि सड़क पर दो गाय हो और दोनो एक दूसरे के विपरीत दिशा में मुँह करके खड़ी हो तो क्या होगा?

    टेम्पलेट के साथ एक समस्या ये भी है की फ़ॉन्ट साइज़ छोटा है..

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  9. बधाई बढ़िया लेख!

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  10. NavBar is not necessary. You can do all your work by going to Blogger.

    And Never try to change the template. Because every problem can be removed if you apply the nice thing there.

    My opinion is that whenever you get some errors any where then Apply the Analytical Method for removing it. Think what you have done in past and What to do in future.

    And if you want to change the font size and all try to edit The HTML. Just use Firefox and Search for "Font" Entries. Whenever you get related options try to understand the parameters and change it and see the preview.

    If all thing is good then Save it.

    Ankit
    Pratham

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  11. nayi template bhi achi hai... aur last ki lines ka kya kahna.. sach bas yaden rah jati hai :-)

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  12. मनभावन ले-आऊट और त्रिवेणी के नये रूप ने खूब लुभाया मन

    ...और आपकी मेरे पुराने पोस्ट पर की गयी टिप्पणी आज देखा..अब इतनी भी तारीफ के काबिल नहीं है हम मैम

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  13. यादें दिल की बाइक से
    लहरों की तरह मचलती हैं

    भावनाओं के पेट्रोल से चलती हैं

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  14. घंटों से मैं मौन ही बैठा था..कि आपने मुझे बोलने पे मजबूर कर ही दिया...मेरा अखंडित मौन टूट गया...मौन को आपने...सच कहूँ तो बड़े अद्भुत तरीके से व्यक्त किया है...शुरू से अंत तक मैं बहता हुआ अंत के मुहाने पे आ ही रहा था..कि..........आपकी अगली कविता भी आखों में आ समाई....आप क्या कर रही हो भाई....!!
    और आप ऐसा लिखोगे तो आप क्या..हम ही ना पलट जायेंगे.....!!एक ही शब्द कहूंगा "अद्भुत"..........!!..............जाने ही लगा था वापस कि आपकी बाईक से जा टकराया....गनीमत थी कि उस पर आप नहीं थीं...वरना कहती कि साले लड़की देखकर बीच में आता है...मगर हम आपको बताये देते हैं कि हम दो बच्चियों के बाप हैं हाँ...बाल पकने लगें हैं..और चश्मा तो खैर...........यादों की बाईक तो सरपट ही दौडा करती हैं...और मज़ा यह कि इसमें पेट्रोल भी यादों का ही डलता है...मतलब जितनी ज्यादा यादें....उतनी ही रफ़्तार...उतनी ही लम्बी बैटरी..वाडे छूट जाते हैं....यादें याद आती है हैं.....यादें...यादें..यादें....!!

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