05 November, 2008

पहली मुलाकात...


हम इत्तिफाक से मिले थे...
हाँ उस वक्त हसीं नहीं लगा था कुछ भी

मुझे ऑफिस में देर हो गई थी
और गुडगाँव से दिल्ली काफ़ी दूर होता है
रात को...एक अकेली लड़की के लिए

मैंने यूँ ही तुम्हें बोल दिया था
मुझे आज हॉस्टल तक ड्राप कर दो
और तुम यूँ ही गाड़ी ले कर चले आए थे
टोयोटा इन्नोवा, व्हाइट कलर की

उस दिन पहली बार तुमको देखा था
झीने झीने अंधेरे में...
देखने से ज्यादा...महसूस किया था
हमारे होने को...इत्तिफाकन

तुम्हें सिगरेट पीने कि इजाजत भी दे दी थी
जो मैं अमूमन किसी को भी नहीं देती थी

और सारे रास्ते मैं बक बक करती आई थी
और पहली बार २२ किलोमीटर कम लगे थे
ट्राफिक के बावजूद

यूँ तो मुझे बहुत अच्छी तरह से याद रहती है
पहली मुलाकात...बस इस बार नहीं

क्योंकि पहली बार लगा था
कि ये पहली मुलाकात नहीं है...
कुछ रिश्ते अधूरे छूट जाते हैं
और उनसे फ़िर मिलना होता है...
इत्तिफाकन

21 comments:

  1. SIMPLY WOW!
    LOVED EVERY BIT OF IT
    CHEERS.

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  2. जन्म जन्मांतर का रिश्ता लगता है । सुंदर अभिव्यक्ति ।

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  3. कोमल भाव और बेहतरीन अभिव्यक्ति!!!

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  4. sah kaha kuch rishtey adhure se lagte hai,phir itefakan milne ke liye bahut sundar

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  5. यूँ तो मुझे बहुत अच्छी तरह से याद रहती है
    पहली मुलाकात...बस इस बार नहीं
    सुंदर बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ! शुभकामनाएं !

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  6. हम इत्तिफाक से मिले थे...
    हाँ उस वक्त हसीं नहीं लगा था कुछ भी

    अक्सर यूँ ही होता है, बहुत बेहतर!

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  7. क्योंकि पहली बार लगा था
    कि ये पहली मुलाकात नहीं है...
    कुछ रिश्ते अधूरे छूट जाते हैं
    और उनसे फ़िर मिलना होता है...
    इत्तिफाकन

    बहुत बहुत सुंदर ....आपका लिखने का अंदाज़ बहुत दिल को भाता है ..

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  8. कोई शब्द नहीं..
    कुछ भी नहीं..
    महसूस हुआ जैसे
    मूक संवाद से बढकर कोई नहीं..
    रास्ते भर कि बक-बक में भी,
    कहीं कुछ मूक संवाद जैसा ही था..
    इत्तिफाकन

    ये कुछ पंक्तियां आपके भाव को समझ कर अपनी ओर से जोड़ दिया मैंने.. बहुत जीवंत कविता..

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  9. आप इन अहसासों को कहाँ से बिन कर लाती हैं। बहुत खूबसूरत लिखा हैं।
    ये पहली मुलाकात नहीं है...
    कुछ रिश्ते अधूरे छूट जाते हैं
    और उनसे फ़िर मिलना होता है...
    इत्तिफाकन

    बहुत खूब।

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  10. इत्तिफकान जिंदगी कभी कुछ लम्हे झोली में डाल देती है ना ...ये वक़्त मुआ बेवफाई कर जाता है.
    ओर सुनो....इतनी ईमानदारी कागजो में मत उडेला करो ......

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  11. क्योंकि पहली बार लगा था
    कि ये पहली मुलाकात नहीं है...
    कुछ रिश्ते अधूरे छूट जाते हैं
    और उनसे फ़िर मिलना होता है...
    इत्तिफाकन

    सुन्दर अभिव्यक्ति। इतनी आसानी से बातों को लफजों को बयाँ कर देने का सलीका बहुत कम लोगों को मिलता है।

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  12. bahot hi sundar bhav dale hai aapne bahot khub...dhero badhai..

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  13. गहरे भावः लिए
    सीधे सीधे शब्दों मैं

    बहुत खूब लिखा है

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  14. b'ful bful....
    क्योंकि पहली बार लगा था
    कि ये पहली मुलाकात नहीं है...
    कुछ रिश्ते अधूरे छूट जाते हैं
    और उनसे फ़िर मिलना होता है...

    I am adding you on blog.. bahut pyara likhti hai aap..

    New Post : खो देना चहती हूँ तुम्हें.. Feel the words

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  15. क्योंकि पहली बार लगा था
    कि ये पहली मुलाकात नहीं है...
    कुछ रिश्ते अधूरे छूट जाते हैं
    और उनसे फ़िर मिलना होता है...

    b'ful

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  16. चुप-चुप खड़े हो जरूर कोई बात है....
    पहली मुलाक़ात है जी....पहली मुलाक़ात है.....
    हे भगवान् हमें भी ऐसी ही कविताई दे दो ना.....

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  17. Your comment has been saved and will be visible after blog owner approval.

    उफ़....उफ़...उफ़... ये ब्लॉग ओनर.....!!

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  18. bahut sadagi se yad rahegi aapki pehli mulakat ki yeh rachna..

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