मुझे सोने के कंगूरे नहीं चाहिए
साथ तुम हो तो मिट्टी का भी घर होता है
न बताते हम तो मालूम भी न चलता तुम्हें
देख कर कहते हो कि दर्द इधर होता है
आजकल पढने लगे हो निगाहों में कुछ
शायद खामोश दुआओं में भी असर होता है
बड़ा मुश्किल है मुहब्बत का सफर ऐ जानम
वही चलता है यहाँ जिसको जिगर होता है
गम नहीं कि तुम साथ नहीं जिंदगी में
कहते है मौत के आगे भी सफर होता है
गम नहीं कि तुम साथ नहीं जिंदगी में
ReplyDeleteकहते है मौत के आगे भी सफर होता है
bahut sundar
बड़ा मुश्किल है मुहब्बत का सफर ऐ जानम
ReplyDeleteवही चलता है यहाँ जिसको जिगर होता है
सुभान अल्लाह....क्या बात कही......
केक इस पते पर भेजे ......
anuragarya@yahoo.com
बड़ा मुश्किल है मुहब्बत का सफर ऐ जानम
ReplyDeleteवही चलता है यहाँ जिसको जिगर होता है
बहुत सही कहा आपने ...मोहब्बत के लिए जिगर चाहिए बहुत खूब
utterly romantic...u r an accomplished poet
ReplyDeleteगम नहीं कि तुम साथ नहीं जिंदगी में
ReplyDeleteकहते है मौत के आगे भी सफर होता है bhut hi gahari bat.sundar rachana. badhai ho.
"कहते है मौत के आगे भी सफर होता है"
ReplyDeleteवाह वाह! बहुत ही प्यारी गजल कही है आपने. :)
very nice
ReplyDeleteजीवन और उससे भी आगे की अनंत यात्रा में संबंधों की कल्पना बेबाक है.
ReplyDeleteशिकायत से भरे अल्फाज़ जब मुड़े तो जन्मों के आर पार का दर्शन ही समझा गए.
वाह!! क्या बात है.
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