19 June, 2008

तुम्हारे लिए...

मुझे सोने के कंगूरे नहीं चाहिए
साथ तुम हो तो मिट्टी का भी घर होता है

बताते हम तो मालूम भी चलता तुम्हें
देख कर कहते हो कि दर्द इधर होता है

आजकल पढने लगे हो निगाहों में कुछ
शायद खामोश दुआओं में भी असर होता है

बड़ा मुश्किल है मुहब्बत का सफर जानम
वही चलता है यहाँ जिसको जिगर होता है

गम नहीं कि तुम साथ नहीं जिंदगी में
कहते है मौत के आगे भी सफर होता है

9 comments:

  1. गम नहीं कि तुम साथ नहीं जिंदगी में
    कहते है मौत के आगे भी सफर होता है
    bahut sundar

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  2. बड़ा मुश्किल है मुहब्बत का सफर ऐ जानम
    वही चलता है यहाँ जिसको जिगर होता है

    सुभान अल्लाह....क्या बात कही......


    केक इस पते पर भेजे ......
    anuragarya@yahoo.com

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  3. बड़ा मुश्किल है मुहब्बत का सफर ऐ जानम
    वही चलता है यहाँ जिसको जिगर होता है

    बहुत सही कहा आपने ...मोहब्बत के लिए जिगर चाहिए बहुत खूब

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  4. utterly romantic...u r an accomplished poet

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  5. गम नहीं कि तुम साथ नहीं जिंदगी में
    कहते है मौत के आगे भी सफर होता है bhut hi gahari bat.sundar rachana. badhai ho.

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  6. "कहते है मौत के आगे भी सफर होता है"

    वाह वाह! बहुत ही प्यारी गजल कही है आपने. :)

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  7. जीवन और उससे भी आगे की अनंत यात्रा में संबंधों की कल्पना बेबाक है.

    शिकायत से भरे अल्फाज़ जब मुड़े तो जन्मों के आर पार का दर्शन ही समझा गए.

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  8. वाह!! क्या बात है.

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