दिल में बेआवाज़ रो रही होगी
बस तुम्हारे सामने हँस रही होगी
तुमसे ही क्यों हैं उम्मीदें उसको
वो कभी तुम्हारी कुछ रही होगी
नहीं उसे किसी का इंतज़ार नहीं
यूँ ही उस मोड़ पर रुक रही होगी
किसी पत्थर पे अपने आँसुओं से
कोई भूली ग़ज़ल लिख रही होगी
तुम जिस मोड़ से आगे चले आए
वो वहीं तुमको ढूंढ रही होगी
कब्र में सिर्फ़ जिस्म रखा है
रूह अब तक भटक रही होगी
बहुत सुंदर लिखा आपने.. बधाई
ReplyDeletebahut hi badhiya bhav,badhai
ReplyDeleteकब्र में सिर्फ़ जिस्म रखा है
ReplyDeleteरूह अब तक भटक रही होगी
सुन्दर रचना बधाई।
lajawab...puri ghazal lajawab....
ReplyDeleteye sher kuchh zyada hi chotdar laga...
तुमसे ही क्यों हैं उम्मीदें उसको
वो कभी तुम्हारी कुछ रही होगी
likhte rahiye...
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ReplyDeleteकिसी पत्थर पे अपने आँसुओं से
ReplyDeleteकोई भूली ग़ज़ल लिख रही होगी
सुन्दर और कोमल रचना..
***राजीव रंजन प्रसाद
किसी पत्थर पे अपने आँसुओं से
ReplyDeleteकोई भूली ग़ज़ल लिख रही होगी
तुम जिस मोड़ से आगे चले आए
वो वहीं तुमको ढूंढ रही होगी
बहुत खूबसूरत शेर......
बेहतरीन ख़याल हैं..
ReplyDeleteसाफ़ सी बात है मुझे हिंद युग्म में आपके रचना ने आपके ब्लॉग तक आने मज़बूर किया और अब यहाँ तो कविता क्या पूरा पूरा खजाना है
ReplyDeleteमेरी शुभ कामनाए
i m speechless.....waaaah..hm jante hai k ye kam hai kahne ke liye lekin mere pas koi or shabd nahi hai tareef ke liye..khubsurat
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