10 May, 2007

लगता है जैसे
सारे एहसास ख़त्म हो चुके हैं
जैसे कह चुकी हूँ सब कुछ
महसूस की हैं सारी भावनाएँ
नहीं रह कुछ भी जिसपर
लिख सकूं एक भी कविता
जैसे ख़त्म हो गए हैं सारे विषय

जी चुकी हूँ जिंदगी पूरी
लगता है दोहरा रही हूँ हर लम्हे को

एक नया सवाल..एक अनदेखा ख्वाब
एक अनछुआ अहसास, एक अपरिभाषित रिश्ता
एक लम्हा जो बंधनों के परे हो

एक नयी जिंदगी जीना चाहती हूँ मैं
जिसमें कोई पुरानी याद ना हो
ना ख़ुशी ना गम ना कोई चेहरा

चाहती हूँ एक धुला हुआ आस्मान
चाहती हूँ एक राह जिसपर किसी के क़दमों के निशाँ ना हों

तराशना चाहती हूँ एक ऐसा वजूद
जिसमें किसी का अक्स ना हो

बनना चाहती हूँ सिर्फ मैं - पूजा

dated: 1st march 04

2 comments:

  1. हिन्दी ब्लॉगिंग मे आपका स्वागत है। आप अपना ब्लॉग नारद पर रजिस्टर करवाएं। नारद पर आपको हिन्दी चिट्ठों की पूरी जानकारी मिलेगी। किसी भी प्रकार की समस्या आने पर हम आपसे सिर्फ़ एक इमेल की दूरी पर है।

    ReplyDelete
  2. अरे आप तो बहुत लिखती हैं। स्वागत है आपका ब्लाग की दुनिया में।

    ReplyDelete

Related posts

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...