चाहती हूँ
कभी क्षितिज पर जाकर तुम्हें आवाज देना
आकाशगंगा के सबसे खूबसूरत सितारे का अक्स अपनी आंखों में देखना
चाहती हूँ
सागर की लहरों पर गुलाब की अनगिनत पंखुरियाँ बिखेर देना
रोशनदान से आती चांदनी की डोर से झूला बांधना
मखमली डूब पर पडी ओस की बूँद को हवा में घुलते देखना
चाहती हूँ
प्यार की एक हद बनाना
और चाहती हूँ
तुम्हें उस हद से ज्यादा चाहना
dated: 11th march 03
इतना भी चाहना ठीक नही कि दूसरे को अपनी जगह न मिल पाये। यह लोगों को आपसे दूर कर देता है।
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