स्कॉच के सुनहले गिलास के पीछे मोमबत्ती जल रही थी...लाईट कटी हुयी थी और गहरे अंधकार में सिर्फ उतनी सी रौशनी थी...वो भी पूरी की पूरी स्कॉच में घुल रही थी...बहुत से आइस क्यूब थे. आसमान में घने बादल छाये थे और कहीं से एक सितारे भर की रौशनी भी नहीं थी. रात के कोई दो से चार बजे तक का वक्त था...लड़की बालकनी में अकेले व्हिस्की का ग्लास लिए कुर्सी पर हलकी खुमारी में थी...जितने में दुनिया अच्छी लगने लगे. कोई गीत चल रहा था फोन पर...बालकनी की रेलिंग पर कतार से एक पुरानी ऐश ट्रे, पानी की बोतल, लाइटर और कोने में ट्राइपोड रखा हुआ था. बालकनी से लगे ही स्टडी टेबल थी जिसपर कैमरा रखा हुआ था. आज लड़की खास मूड में थी और उसने शाम को ऐलान किया था कि वो आज दो पैग पिएगी.
---
बहुत खास दिनों में उसका पीने का मूड होता...उसमें भी पूरी शाम और देर रात एक ही पैग में हमेशा निकल जाती...तो बाज़ार से उसके लिए आता भी सिर्फ एक पैग भर का सामान...मगर आज लड़की ने डिक्लेयर कर दिया था कि वो दो पैग पिएगी. उसे इस बात पर काफी अफ़सोस हुआ कि किसी ने भी नहीं पूछा कि ऐसी क्या खास बात हुयी है...तुम तो कभी भी एक पैग से ऊपर गयी ही नहीं हो. लड़की को आदत थी चढ़ जाने के बाद लोगों की प्यार मुहब्बत और इसरार से भरी बातें सुनने की...पर आज उसे दुनिया फानी लग रही थी...उससे वहां बैठा नहीं गया...लगा जैसे थोड़ी खुली हवा चाहिए. वो बालकनी में अपनी कुर्सी, पानी की बोतल और कैमरा लेकर सेटल हो गयी.
व्हिस्की का ग्लास उसे बेहद खूबसूरत लगता है...पानी की बूँदें ठहरी हुयीं...सुनहले आइस क्यूब...रौशनी परावर्तित होती हुयी...कल उसने अनगिन तसवीरें खींची. पहला पैग खत्म होने तक वो कुछ लोगों के बारे में ऐसे ही सोच रही थी...मगर दूसरे पैग में बर्फ थोड़ी ज्यादा थी और उसे आराम से पीने की फुर्सत भी. हलके खुमार में उसे कुछ खास लोग याद आये...उसकी बड़ी इच्छा हुयी कि उन्हें फोन करे...जैसे कि अक्सर लड़के करते हैं...थोड़ी चढ़ी नहीं कि सारे पुराने दोस्तों को फोन करना शुरू. उसका दिल किया कि एक सिंपल सा मेसेज ही कर दे...व्हिस्की पी रही हूँ...आपकी याद आ रही है. मगर उसकी दुनिया में ये बहुत सिंपल सी चीज़ थी पर जो उसकी दुनिया के बाहर दुनिया है वहां चीज़ें बहुत कोम्प्लेक्स हो जाती हैं ये सोच कर उसने जब्त कर लिया.
किसी को बेहद शिद्दत से याद करो तो उसे पता चल जाता है ऐसा उसका मानना था. एक वक्त था जब उसे बहुत हिचकियाँ आती थी...वो एक पुराने दोस्त को अक्सर तब उलाहना दिया करती थी कि मुझे इतना याद मत किया करो...दिल में गहरे उसे मालूम होता था कि वो उसे याद कर रहा है. आजकल बहुत साल हुए लड़की को हिचकियाँ आनी एकदम ही बंद हो गयी हैं. उसे लगता है कि अब उसे कोई याद नहीं करता.
कल जब बिजली चली गयी तो लड़की ने पहला वाक्य कहा था...बर्फ कैसे जमेगी...वो बेहद उदास हो गयी थी...मगर फिर सिर्फ एक कैंडिल की रौशनी में जब बहुत सी अच्छी अच्छी तसवीरें आयीं तो उसका अफ़सोस कम हो गया. फिर बर्फ न होने को नीट पीने का बहाना भी मान लिया गया. उसे अपना पैग खुद बनाना पसंद था...ग्लास में पूरे ऊपर तक भर के आइस क्यूब्स और लगभग आधी ग्लास तक में व्हिस्की. ग्लास भी एक ही...हमेशा...स्क्वायर कट. वो ग्लासेस को लेकर बहुत पर्टिकुलर थी...दूसरे ग्लास में पी ही नहीं सकती...न दूसरे शेप के ग्लास में...न दूसरे लोगों के साथ जो उसे पसंद न हों. उसे लगता है वो बहुत जिद्दी होती जा रही है...उसे आजकल अधिकतर लोग पसंद नहीं आते. उसने कभी सोचा नहीं था कि बालकनी में अकेले व्हिस्की पीते हुए उसे इतना सुकून महसूस होगा...शी वाज एट पीस...विद हरसेल्फ एंड द वर्ल्ड.
---
अकेलेपन को एन्जॉय करना इज लाइक डेवलपिंग अ टेस्ट फॉर गुड
स्कॉच...इट कम्स विद टाइम. तन्हाई का लुत्फ़ आते आते वक्त लगता है...अच्छी व्हिस्की की पहचान होने में भी...एक कनेक्शन होता है. लाइक मैजिक. स्कॉच ऑन द रोक्स...एवरग्रीन...क्लास्सिक...तुम्हारी तरह...ईश्क की तरह...मेरी तरह भी तो. बहुत दिन हुए...लड़की परेशान है...अच्छा लगेगा क्या इतनी जान पहचान है पर साथ में पीने बैठोगे तो उसे पूछना पड़ेगा कि आइस कितनी...जैसे कोई भली लड़की चाय में चीनी कितनी पियोगे पूछ रही हो...