ई बैटमैन की हेयरस्टाइल है...कैसी है? |
मैं 'कंट्रोल फ्रीक' की श्रेणी में आती हूँ...जब तक चीज़ें मेरे हाथ में हैं मैं खुश रहती हूँ...पर थोड़ा सा भी कुछ मेरे कंट्रोल से बाहर हुआ नहीं कि धुक धुकी शुरू...कार ड्राईव करने में यही होता है...किचन में कोई और खाना बनाये तो यही होता है...बेसिकली मुझे हर चीज़ में टांग अड़ानी होती है. डेंटिस्ट, ब्युटिशियन, कार वाश...ऐसी जगहों पर मेरी हालत खराब रहती है. सबसे डरावनी चीज़ होती है किसी ऊँची कुर्सी पर बिठा दिया जाना ये कहते हुए कि अब सब भूल जाओ बेटा और भगवान का नाम जपो.
तो हम बाल कटाने के लिए ऐसे ही तैयार होते हैं जैसे बकरा कटने के लिए...इन फैक्ट कल जेन फोन करके बोली भी कि 'रेडी फॉर द बुचर'...खैर. ले बिलैय्या लेल्ले पार के हिसाब से हम एक गहरी सांस लिए और बैठ गए कुर्सी पर. फैशन की ज्यादा समझ तो है नहीं हमें तो बस इतना कहा कि बाल छोटे कर दो...कंधे से ऊपर...उसने पूछा आगे की लट कितनी बड़ी चाहिए तो बता दिया कि कान के पीछे खोंसी जा सके इतनी बड़ी. बस. फिर चश्मा उतार कर वैसे भी हम अंधे ही हो जाते हैं...आईने में बस एक उजला चेहरा दिखता है और काले बाल. डीटेल तो कुछ दिखती नहीं है. फिजिक्स का कोई तो कोश्चन भी याद आया जिसमें आईने की ओर दौड़ते आदमी का स्पीड निकालना था उसके अक्स के करास्पोंडिंग या ऐसा ही कुछ पर ध्यान ये था कि आईने के इस तरफ जितनी दूरी होती है...आईने के उस तरफ भी इतनी ही दूरी होती है. तो मुझसे मेरा अक्स बहुत दूर था. यही फिलोस्फी रिश्तों पर भी अप्लाय होती है...बीच में एक आइना होता है...हम अपने ओर से जितनी दूरी बनाते हैं, सामने वाला भी उतनी ही दूर चला जाता है हमसे...हम पास आते हैं तो वो जिसे कि हम प्यार करते हैं...हमारा अक्स, वो भी एकदम पास आ जाता है.
कुर्सी पर बैठे बुझा तो रहा ही था कि बाबु घने लंबे बाल गए...छे छे इंच काट रही थी कैंची से...किचिर किच किच...हम बेचारे अंधे इंसान...सोच ये रहे थे कि कुणाल को बताये भी नहीं हैं...छोटे बाल देख कर कहीं दुखी न हो जाए...ब्युटिशियन हमारे बाल की खूब तारीफ़ भी किये जा रही थी कि कितने सुन्दर बाल हैं...हम फूल के कुप्पा भी हुए जा रहे थे. हालाँकि बैंगलोर के पानी में बालों की बुरी हालत हो गयी है फिर भी फैक्ट तो है...बाल हमारे हैं खूब सुन्दर...इसके साथ वो हमको बिहार की सुधरी स्थिति पर भी ज्ञान दे रही थी...पार्लर में लोग हिंदी में बात कर रहे थे...ब्युटिशियन हिंदी में बात कर रही थी...आइना में कुछ दिख नहीं रहा था...कुल मिला कर खुश रहने वाली जगह थी. हमको आजकल अक्सर लगने लगा है कि बिना चश्मे के चीज़ें ज्यादा सुन्दर दिखती हैं.
हम तो कहते हैं, हमरी वाली बेटर है बैटमैन से :) |
उसे एक बच्चों की पार्टी के लिए गिफ्ट खरीदना था...तो हम एक टॉय शॉप गए, चार तल्लों की बड़ी सी दुकान जिसमें सिर्फ खिलोने. दो घंटे हम उधर ही अटक गए...एक ठो बैटमैन का बड़ा मस्त सा गुल्लक ख़रीदे...उसमें हम अब अपना पेन सब रखेंगे. घूम फिर के घर आये वापस. कुणाल, साकिब और अभिषेक दस बजे के आसपास घर लौट रहे थे फिर प्लान हुआ कि बाहर खाते हैं तो हम लोग 'खाजा चौक' पहुंचे. जैसा कि एक्सपेक्टेड था पतिदेव को खाने और मेनू से ऊपर बीवी की हेयरस्टाइल में कोई इंटरेस्ट नहीं दिखा...तो बताना पड़ा कि बाल कटाये हैं. कुछ स्पेशियल कोम्प्लिमेंट भी नहीं मिला...हम बहुत्ते दुखी हो जाते लेकिन तक तक एकदम लाजवाब पनीर टिक्का और भरवां तंदूरी मशरूम आ चुके थे...तो उदास होना मुल्तवी कर दिया.
आज छः बजे भोर के उठे हुए हैं...ऐवें मन किया तो पोस्ट चिपकाये देते हैं...वैसे भी वीकेंड में कौन ब्लॉग पढता है.
वीकेंड में भी कई लोग ब्लॉग पढ़ते हैं..
ReplyDelete:)
अच्छी प्रस्तुति
मतलब कई लोग ऑफिस टाइम में ब्लॉग पढते हैं :)
Deleteअधिकतर लोग ऑफिस टाइम में ब्लॉग पढ़ते हैं :)
Deleteई कटिंगवा तो ठीके है मुदा ई घेंट टेढा करके तरघुइयां लुक देके ई एक आखं देखाने वाला चलचित्तर कौन हिंचिस है जी । पोस्टवा त चौचक हईये है । ...फ़ेसबुक पर लईले जा रहे हैं । का कहे ..वीक एंड पर ...अजी वीक एंडवे पर जादे पढा जाता है ...ई इंडिया है बाबू ...आते हैं फ़िन से पलटी मार के
ReplyDeleteचल्चित्तर हम ही खींचे हैं...भोरे भोर और कौनो मिला नहीं तस्वीर हींचे खातीर...और मूड़ी टेढा तो कैमरा देखिये के हो जाता है...घर में सबका इहे हाल है...बाउजी से लेकर भाई तक :)
Deleteऊपर वाले से सख़्त नाराज़गी है हमें। एक हैं पूजा जिनको अपने घने बाल कटाने का शौक है और एक हैं हम जिनकी खोपड़ी बंजर है।बड़ी नाइंसाफ़ी है....। काश! बालों की तासीर लॉन ग्रास जैसी होती तो हम बंगलौर जा के उसी दुकान से पूजा के सारे बाल समेट लाते ..अपने बंजर में ट्रांसप्लांट करने।
ReplyDeleteबालों के मामले में पूजा अमीर हैं आउर हम बेहद ग़रीब। ग़रीबों का दर्द अमीर लोग क्या जानें! दुकान में कटाये और फेंक दिये। सुबुक..सुबुक...सुबुक...
ReplyDeleteक्या कीजियेगा कौशलेन्द्र जी...दुनिया बड़ी बुरी है...उसपर हम तो और :) :)
DeleteThe world is not fair!
जब लेखन में एक प्रवाह हो बातें अपने आसपास की हों
ReplyDeleteतो स्वाभाविक ढंग से अपनी ही लगती है .आपके लेखन का
तानाबाना हमेशा प्रभावित करता है .तारीफ़ नहीं सचमुच
तारीफे काबिल विचारों को रखने का ढंग निराला है .......
हम घर से भी ब्लाग पढ़ते हैं।
ReplyDeleteहमें लगता है बार्बर हमारी शकल बदल देता है :) :) :)
ReplyDeleteई सुनिए मज्जा आ जायेगा :
http://www.youtube.com/watch?v=IUDTlvagjJA
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteइंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।
पति को तो जानते हैं...जब तक बोलेंगे नहीं, नोटिस भी नहीं करेगा कि बाल कटाये हैं.
ReplyDeleteदुनिया के सारे पति क्यूँ एक जैसे होते हैं...:-))
नीरज
पति लोग लगता है फैक्ट्री मेड होते हैं...कस्टमाइज्ड नहीं :) :) इसलिए सारे एक ही जैसी फितरत के होते हैं...आपके कमेन्ट से आपके भुक्तभोगी होने का दर्द टपक रहा है :) :)
Deleteअच्छा है, अब बालों को सजाने सँवारने में कम समय लगेगा।
ReplyDeleteहा हा आहा अरे पूजा गज़ब ढा रही हो यार ... कित्ती बार कहा है ऐसी पिक्चर पोस्ट न किया करो बाबु... दिल बैठ जाता है हमारा :PPP ..... दुनिया के सारे पति एक्से ही होते हैं बच्चा........ बस पत्नियाँ अलग-अलग... छोटे,लम्बे bob कट बालों वाली.... हम्म वीकेंड में जब इक ठौ गज्ज़ब का पोस्ट मिल जाये तब कौन कमबख्त उसे नज़रंदाज़ कर सकता है.. और उस पर तुम्हारा लिखा.... हाह्ह्ह्हह्ह अब कैसे लिख कर बतायें की कित्तनी लम्बी सांस भरी है हमने तुम्हारी इस पोस्टवा पर
ReplyDeletepratibha... bala ki khubsurat lag rahi ho yaar...
ReplyDeleteअरे हम पढते हैं जी आपका ब्लॉग वीकेंड पर!
ReplyDeleteऐसी जुल्फों के संबंध में किसी शायर ने शायद ऐसा ही कुछ लिखा है....
ReplyDeleteउनसे जो पूछा कि निकलता है चाँद किस तरह
झटक के अपनी जु्ल्फों को बोले कि 'यूँ' !
are kantaap!
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