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तू तो है ही चिंदी...हमेशा तो सोलिड कलर्स पहनना पसंद था तुझे...तेरी वो जर्मन ब्लू शर्ट कितने दिन तक मेरी फेवरिट रही थी..फिर वो काई कलर की...नेवी ब्लू...ब्लैक...मैरून...रेड...बटर कलर...कितनी अच्छी अच्छी शर्ट्स थीं तेरे पास. मुझे तू हमेशा ऐसे ही याद आता है...प्योर कलर्स में...सिंगल शेड...और कितनी अच्छी चोइस थी तेरी और तेरी मम्मी की...तू कितना अच्छा, भला लड़का टाइप लगता था. कभी तेरी शर्ट पर एक क्रीज भी नहीं देखी...तुझे भी मेरी तरह आदत थी. कितना भी आयरन करके, तह लगा के रखा हुआ हो कुछ...पहनने के जस्ट पहले आयरन करेंगे ही. पहली बार तुझे चेक शर्ट में देखा...बड़ा अच्छा लग रहा है...डिफरेंट, क्लासिक...बात क्या है, कोई लड़की पटानी है? पक्का किसी ने कहा है न कि तू चेक में अच्छा लगता है...अब बता न...देख वरना मार खायेगा बहुत...और सुन...कितना भी तेरे पास चेक शर्ट्स पड़े हों, मुझसे मिलने प्लेन शर्ट पहन के आया कर...क्यूँ...अरे पगलेट...बेस्ट फ्रेंड है तू न मेरा...बचपन से...और चेक शर्ट मेरी वीकनेस है, जानता तो है तू...तेरे से प्यार होने का अडिशनल लफड़ा नहीं चाहिए हमको अभी लाईफ में...ओके?
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शाम का वक़्त है...आज कुछ ऐसी चीज़ों में उलझी कि खाना खाना भूल गयी...शाम हो गयी तो थोड़ा घर का सामान लेने बाहर निकली हूँ...आज बहुत दिन बाद बड़ी शिद्दत से एक सिगरेट पीने की ख्वाहिश जागी है...कोने से खोज कर मार्लबोरो का पैकेट निकालती हूँ...सिगरेट इज इन्जुरियस टू हेल्थ...हाँ हाँ...जानती हूँ बट सो इज लव...दज इट कम विद अ वार्निंग? बड़े आये तुर्रम खां...मेरी बला से! घर में रहो तो मौसम बड़ा ठहरा हुआ लगता है पर सड़क पर टहलने निकल जाओ तो दिखता है कि गुलमोहर को प्यार हुआ है और वो इश्क के रंग में डूबा है पूरी तरह...अमलतास और कई सारे रंग के फूल हैं...हलके गुलाबी...बैगनी...सफ़ेद... कुल मिला कर बेहद खूबसूरत नज़ारा है. मुझे कोलनी की सारी सड़कें याद हैं...कहाँ कैसे पेड़ हैं...किधर वो घर हैं जिनके आगे दरबान खैनी लगाते मिल जायेंगे...कहाँ बच्चे रोड पर साइकिल की प्रैक्टिस करते हैं शाम को...किधर सीनियर सिटिज़न लोग हैं...सब.
मैं एक खाली सी सड़क पर हूँ...इधर कम लोग दिखते हैं...मैंने पहली सिगरेट सुलगाई है...हेडफोन पर किसी की आवाज़ है...पर मैं आवाज़ से बहुत दूर चली आई हूँ...कुछ देर तक आवाज़ मुझे पुकारती रहती है...मैं लौट कर आती हूँ और हँसती हूँ...कि मेरी जान वाकई...कभी कभी लगता है कि जिंदगी के धुएं में उड़ जाने से ज्यादा खूबसूरत रूपक हो ही नहीं सकता...अब आवाज़ का लहजा सख्त हो जाने की कोशिश करता है और मैं अपनी बेस्ट फ्रेंड के प्यार पर हँस पड़ती हूँ...अच्छा सुन न...जाने दे न...अच्छा मूड है, कौन सा रोज सिगरेट पीती हूँ...डांट मत न...ओकेज्नाली न...तो आज कौन सा ओकेजन है...वो गुस्से में भरी पूछती है...मैं मुस्कुराती हूँ बस.
हवा में वसंत की गंध है...प्यार करना है तो वसंत कह लो...तारीफ करनी है तो बहार. एक वक़्त था मुझे सिगरेट के धुएं से अलर्जी थी...बर्दाश्त नहीं कर पाती थी...इसलिए कभी तबियत से स्मोकिंग की नहीं, कभी एकदम ही मूड ख़राब हुआ तो खुद को तकलीफ देने के लिए पिया करती थी...वक़्त के साथ क्या कुछ बदल जाता है...बस नहीं बदला है तो सिगरेट का ब्रैंड...आज भी मार्लबोरो...अल्ट्रा माइल्ड्स.
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कॉन्वेंट की ड्रेस काफी स्मार्ट हुआ करती थी...शोर्ट ब्लू एंड ब्लैक चेक स्कर्ट और व्हाइट शर्ट...मोज़े एकदम करीने से नीचे मोड़े हुए...बस स्टैंड पर वेट करती हुयी अच्छी लगती होउंगी इसका अंदाज़ बाइक पर तफरी करते लड़कों से लग जाता था. उसमें से एक मुझे बेहद पसंद था...भूरी आँखें थी उसकी और अक्सर मिलिट्री प्रिंट के ट्राउजर्स पहनता था. आँखें तो उसकी बहुत बाद में देखी थीं...वो प्रिंट मेरी आज भी सबसे पसंदीदा प्रिंट में से एक है...दोस्त चिढाती थीं मुझे कि मैं लड़कों को उनके कपड़ों से नाम देती हूँ...ब्लैक टी शर्ट, मिलिट्री प्रिंट, येलो चेक्स, वाईट एंड ब्लू...मैं उनपर हँसती थी कि मैं कपड़ों में देखती हूँ तो वैसे ही नाम देती हूँ...तुम लोग क्या बिना कपड़ों के देखती हो...उसके बाद एक झेंपा हुआ सन्नाटा था और फिर किसी ने मुझे किसी के नाम के बारे में नहीं चिढ़ाया. मुझे आज भी लड़के मेरी पसंद के कपड़ों में ही याद रहते हैं...मेरी यादें ब्लैक एंड वाईट नहीं होतीं.
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धुआं फूंकते हुए ऊपर देखती हूँ...हलके नीले आसमान में पेड़ की शाखों की कैनोपी है...ब्लू चेक शर्ट...मैं अपने को-रिलेट करने की क्षमता पर खुद ही मुस्कुराती हूँ...लेफ्ट के आर्च पर बोगनविलिया में कुछ फूल आये हैं...जैसे उसकी हलकी मुस्कान...क्यूट...मैं फिर मुस्कुराती हूँ...मेरी सहेलियां मेरे प्यार में गिरने पड़ने से परेशान रहती हैं...उसे बताती तो कहती...फिर से? इसलिए उसे बताया नहीं...फोन चुप है...गाने ख़त्म...इयरफोन अब बस म्यूट करने के काम आ रहा है...सारा शोर... सारा दर्द...सारे लोग...मैं अक्सर बिना गानों के हेडफोन लगा के घूमती हूँ...ऐसे में अपने मन के गाने बजते हैं...अपनी दुनिया होती है...एकदम चुप...सिगरेट का धुआं जैसे शांत कमरे में ऊपर जा रहा है...गिरह गिरह खुलता हुआ...ये दूसरी सिगरेट ख़त्म हुयी...आखिरी का आखिरी कश. दो सिगरेट के बाद मिंट...ज़बान पर घुलता हुआ...जैसे फीके होते आसमान में उभरता अहसास...किसी चेक शर्ट से प्यार हो गया है मुझे.
बेहद भावुक ,और नास्तोलजिक ...कलम पर सुंदर पकड़ |
ReplyDeleteaaye haaye..wari jau chech shirt pe. mast likha hai.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है !
ReplyDeletepratibha....gajab yar....tumhare pyar se muje pyar ho gaya...love u
ReplyDeleteरंगों को खाँचे में सजाना !!!!!
ReplyDelete..सिगरेट इज इन्जुरियस टू
ReplyDeleteहेल्थ...हाँ हाँ...जानती हूँ बट सो इज लव...दज इट कम विद अ वार्निंग?
मेरी यादें ब्लैक एंड वाईट नहीं होतीं.......
बहुत बेहतरीन....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
सोलिड क्रश है यार ....
ReplyDeletepado eak baar nahi baar baar .....aapki kalm se hmae pyyar ho gaya hae
ReplyDeleteवैसे इस पेड़ कि जगह कोई चेक ही होना चाहिए था. वैसे तो मैं सुट्टा लेता नहीं.. लेकिन आपको ज्वाइन करने के लिए एक बार सुट्टा ले सकता हू.
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