जिंदगी सांस लेने की तरह होती है...दिन भर महसूस नहीं होती, दिन महीने साल बीतते जाते हैं. पर कुछ लम्हे होते हैं, गिने चुने से जब हम ठहर कर देख पाते हैं अपने आप को...उस वक़्त की एक एक सांस याद रहती है और किसी भी लम्हे हम उस याद को पूरी तरह जी सकते हैं.
इतना कुछ घटने के बावजूद ऐसा कैसे होता है की कुछ लोग हमें कभी नहीं भूलते...क्या इसलिए की उनकी यादों को ज्यादा सलीके से तह कर के रखा गया है...बेहतर सहेजा गया है...लगभग पचास पर पहुँचती उम्र में कितनी सारी जिंदगी जी है उसने और कितने लोग उसकी जिंदगी में आये गए. कुछ परिवार के लोग, कुछ करीबी दोस्त बने, कितनों को काम के सिलसिले में जाना...कुछ लोगों से ताउम्र खिटपिट बनी रही.
आज शोनाली का ४९वां जन्मदिन है. सुबह उठ कर मेल चेक किया तो अनगिन लोगों की शुभकामनाएं पहुंची थीं, कुछ फूल भी भेजे थे उसके छात्रों ने और कुछ उसके परिचितों ने. घर पर त्यौहार का सा माहौल था, छोटी बेटी शाम की पार्टी के लिए गाने पसंद कर रही थी...खास उसकी पसंद के. वो याद के गाँव ऐसे ही तो पहुंची थी, गीत की पगडण्डी पकड़ के...
घर के थियेटर सिस्टम में गीत घुलता जा रहा था और वो पौधों को पानी देते हुए सोच रही थी की ऐसा क्या था उन डेढ़ सालों में. देखा जाए तो पचास साल की जिंदगी में डेढ़ साल कुछ ज्यादा मायने नहीं रखते. बहुत छोटा सा वक़्त लगता है पर ऐसा क्या था उन सालों में की उस दौर की यादें आज भी एकदम साफ़ याद आती हैं...उनपर न उम्र का असर है न चश्मे के बढ़ते नंबर का.
'न तुम हमें जानो, न हम तुम्हें जानें, मगर लगता है कुछ ऐसा...मेरा हमदम मिल गया...' गीत के बोल शायद किसी अजनबी को सुनाने के एकदम परफेक्ट थे...अजनबी जिसने अचानक से सिफारिश कर दी हो कोई गीत सुनाने की...और कुछ गाने की इच्छा भी हो. देर रात किसी लैम्पोस्ट की नरम रौशनी में, सन्नाटे में घुलता हुआ गीत...'ये मौसम ये रात चुप है, ये होटों की बात चुप है, ख़ामोशी सुनाने लगी...है दास्ताँ, नज़र बन गयी है दिल की जुबां'. आवाज़ में हलकी थरथराहट, थोड़ी सी घबराहट की कैसा गा रही हूँ...अनेक उमड़ते घुमड़ते सवाल की वो क्या सोचेगा, आज पहली ही बार तो मिली हूँ...उसने गाने को कह दिया और गाने भी लगी. दिमाग की अनेक उलझनों के बावजूद वो जानती थी की इस लम्हे में कुछ तो ऐसा ही की वो इस लम्हे को ताउम्र नहीं भूल सकेगी.
उस ताउम्र में से कुछ पच्चीस साल गुज़र चुके हैं, भूलना अभी तक मुमकिन तो नहीं हुआ है...और ये गीत उसे इतना पसंद है की उसकी बेटियां भी उसका मूड अच्छा करने के लिए यही गाना अक्सर प्ले करती हैं. लोग यूँ ही नहीं कहते की औरत के मन की थाह कोई नहीं ले सकता. घर में इतना कुछ हो रहा है, सब उसके लिए कुछ न कुछ स्पेशल कर रहे हैं और वो एक गीत में अटकी कहीं बहुत दूर पहुँच गयी है, पीली रौशनी के घेरे में.
उन दिनों उसने अपने मन के फाटक काफी सख्ती से बंद कर रखे थे...और अक्सर देखा गया है कि प्यार अक्सर उन ही लोगों को पकड़ता है जो उससे दूर भागते हैं. कुछ बहुत खास नहीं था उनके प्यार में....उसे एक लगाव सा हो गया था उससे जो उनके ब्रेक अप के बाद भी ख़त्म नहीं हो पाया था. उसे पता नहीं क्यों लगता था की वो उसे ताउम्र माफ़ नहीं करेगा...इस नफरत के साथ का डर भी उसे लगता था, की वो किसी को प्यार नहीं कर पायेगा जैसा कि उसने कहा था...वो चाहती थी कि उसे किसी से प्यार हो...पर प्यार किसी के चाहने भर से नहीं हो पाता. उसे याद नहीं उसने कितनी दुआएं मांगी थी उसके लिए...जिससे कोई रिश्ता नहीं था अब.
अचानक से उसे महसूस हुआ कि चारो तरफ बहुत शोरगुल हो रहा है...गीत कुछ तीन मिनट का होगा पर इतने से अन्तराल में कितना कुछ फिर से जी गयी वो. उसकी बेटी दूसरा गाना लगा रही थी...'ऐ जिंदगी, गले लगा ले हमने भी, तेरे हर इक गम को गले से लगाया है..है न?'...उसे एक छोटा सा कमरा याद आया जिसमें वो उसे छोड़ के जाने के बाद एक आखिरी बार मिलने आई थी...रिकॉर्डर पर यही गाना बज रहा था.
अचानक से उसे महसूस हुआ कि चारो तरफ बहुत शोरगुल हो रहा है...गीत कुछ तीन मिनट का होगा पर इतने से अन्तराल में कितना कुछ फिर से जी गयी वो. उसकी बेटी दूसरा गाना लगा रही थी...'ऐ जिंदगी, गले लगा ले हमने भी, तेरे हर इक गम को गले से लगाया है..है न?'...उसे एक छोटा सा कमरा याद आया जिसमें वो उसे छोड़ के जाने के बाद एक आखिरी बार मिलने आई थी...रिकॉर्डर पर यही गाना बज रहा था.
सीढ़ियों से नीचे देखा तो हर्ष उसकी पसंद के फूल आर्डर कर रहे थे...उसे अपनी ओर देखता पाकर मुस्कुराये और उसे उनपर ढेर ढेर सा प्यार उमड़ आया. जाने किस दुनिया में थी कि फ़ोन की घंटी से तन्द्रा टूटी....
'जन्मदिन मुबारक!' और उसे आश्चर्य नहीं हुआ कि इतने साल बाद भी उसकी आवाज़ पहचान सकती है. उसकी आँखें कोर तक गीली हो गयीं...'तुम्हें याद है आखिरी दिन तुमने कहा था कि मुझसे जिंदगी भर प्यार करोगी?, सच बताओ तुम मुझसे प्यार करती थी?'
'नहीं.......मैं तुमसे प्यार करती हूँ'
उस एक सवाल के बाद कुछ बहुत कम बातें हुयीं...पर आज उसे महसूस हुआ कि उसके दिल में जो सजल के लिए प्यार था वो हमेशा वैसा ही रहा. हर्ष के आने पर, उसकी दोनों बेटियों के आने पर...उन्होंने सजल के हिस्से का प्यार नहीं माँगा...सबकी अपनी जगह बनती गयी...कि उसने कभी सजल को खोया ही नहीं था.
सदियों का अपराधबोध था...बर्फ सा कहीं जमा हुआ...चांदनी सी निर्मल धारा बहने लगी और उसके आलोक में सब कुछ उजला था, निखरा हुआ...उज्वल...धवल...निश्छल.
सदियों का अपराधबोध था...बर्फ सा कहीं जमा हुआ...चांदनी सी निर्मल धारा बहने लगी और उसके आलोक में सब कुछ उजला था, निखरा हुआ...उज्वल...धवल...निश्छल.
रेशमी मुलायम, सुखद स्पर्श.
ReplyDeletesunharee yade......
ReplyDelete.............. मगर एक साथ दो तरह के किरदारों को जीने में सोनाली को कुछ अपराध बोध महसूस नहीं होता......?????? कहानी पढ़कर बहुत से सवालात दिमाग में घूमते रहे. बहरहाल पठनीय कहानी प्रस्तुत करने का आभार.
ReplyDeleteकुछ रेशमी अहसास यादों की धरोहर होते हैं।
ReplyDeleteकुछ एहसास वक्त के साथ धुंधले भले ही हो जाएँ मगर ख़त्म नहीं होते...मौका आने पर उसी शिद्दत से अपनी उपस्थिति दिखाते हैं!
ReplyDeletehi pooja....
ReplyDeletepost reshmi bhi thi aur ek girah bhi lagati si lagi...
par kuch khaas cheezein jahan mujhe saans lene aur zindagi dono kaa pata chala unhein quote kar deti hoon bas...:)
"जिंदगी सांस लेने की तरह होती है"
"वो याद के गाँव ऐसे ही तो पहुंची थी, गीत की पगडण्डी पकड़ के..."
"नहीं.......मैं तुमसे प्यार करती हूँ"
"उन्होंने सजल के हिस्से का प्यार नहीं माँगा...सबकी अपनी जगह बनती गयी..."
:)
aur haan... post se bhi zyada khoobsoorat ....
ReplyDelete"आसमाँ सिमट कर, दो घूंट बन गया है... पैमाने से पूछो उसने क्या जिंदगी जी है!"
aur yeh perfectly complementing pic....:)
हृदय में प्रेम भरा हो तो सबका स्थान बनता जाता है उसमें। हृदय का कोमल हिस्सा सदा अपनों के लिये धड़कता है।
ReplyDeleteब्लॉग का नया रूप आज ही देखा. blue is in these days. कहानी खूबसूरत, उसमें बहते भाव भी, मैं एक सांस में पढ़ गया. एक मित्र ने ओशो का दर्शन साझा किया, कहा शादी के बाद प्यार बंटता है, इश्वर से पूरा प्रेम नहीं हों पता, उसे इस पोस्ट का लिंक भेज रहा हूँ.
ReplyDeleteBest Post...I loved it...
ReplyDeleteआपका लेखन चमत्कारी है...बधाई स्वीकारें...
ReplyDeleteनीरज
Very touching n full of emotions. Feel very good to read such a nice piece of writing.
ReplyDeletepata nahi kya padha, par shyad arse baad kuch aisa padha jo dil ko choo gaya, apke shabd bahut nazuk hai per ahsas bahut andar tak hote hai
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