26 April, 2011

जो ऐसा मौसम नहीं था

वो ऐसा मौसम नहीं था 
कि जिसमें किसी की जरुरत महसूस हो 
वो ठंढ, गर्मी, पतझड़ या वसंत नहीं था
मौसम बदल रहे थे उन दिनों

तुम आये, तुम्हारे साथ 
मौसमों में रंग आये
मुझसे पूछे बगैर
तुम जिंदगी का हिस्सा बने

तुमने मुझसे पूछा नहीं
जिस रोज़ बताया था 
कि तुम मुझसे प्यार करते हो
मैंने भी नहीं पूछा कि कब तक 

यूँ नहीं हुआ कि तुम्हारे आने से
बेरहम वक़्त की तासीर बदल गयी
यूँ नहीं हुआ कि मैं गुनगुनायी
सिर्फ मुस्कराहट भर का बदलाव आया 

तुमने सोलह कि उम्र में
नहीं जताया अपना प्यार 
और मैं इकतीस की उम्र में
नहीं जता पाती हूँ, कुछ भी 

शायद इसलिए कि
हम बारिशों में नहीं भीगे
जाड़ों में हाथ नहीं पकड़ा 
गर्मियों में छत पर नहीं बैठे 

जब पतझड़ आया तो
पूछा नहीं, बताया 
कि तुम जा रहे हो 
और मैं बस इतना कह पायी 

कुबूल है, कुबूल है, कुबूल है 

22 comments:

  1. वाह ! जब कविता दिल तक उतरती जाती है तो इसके सिवा कोई शब्द नहीं निकलता.

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  2. इश्क मुकम्मल ही हो ऐसी कोई शर्त इसमें होती तो नहीं..

    Beautifully written..!!

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  3. कोई शर्त होती नही प्यार मे……………बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति।

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  4. ise rachana ne jhakjhor kar rakh diya........
    behatreen lekhankee misal.......

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  5. bahut khubsurat rachna dil ko hila kar rakh diya

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  6. रिश्‍ते जनम जनम के.

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  7. रिश्‍ते जनम जनम के.

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  8. जब पतझड़ आया तो
    पूछा नहीं, बताया
    कि तुम जा रहे हो
    और मैं बस इतना कह पायी

    कुबूल है, कुबूल है, कुबूल है
    Ye kaisi vidambana hai!

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  9. Jab har shart manzur ho...yehi ishq ki tabiyat h aur yehi dastur bhi...behad khubsurat :)

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  10. unconditional love... very rare to find. beautiful poem..

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  11. badtle mausam ke saath kayam rahte rishte......

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  12. प्यार चीज़ ही ऐसी है....
    चाह कर भी भूल नहीं सकते....
    और जिस से प्यार है, उसे रोक भी नहीं सकते...
    क्यूंकि प्यार तो किसी को बाँधने का नाम नहीं...
    प्यार तो बांटने का नाम है....
    किसी के इश्क मैं उम्र गुज़ार देने का नाम है...
    ये जानते हुए भी को वो नहीं आएगा..
    इंतज़ार करें जाने का नाम है....
    इसलिए सही कहा आपने...
    साथ दे दो, या जुदाई दे दो....
    बस तेरे प्यार मैं,
    सब, कबूल है, कबूल है, कबूल है...

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  13. और मैं बस इतना कह पायी
    कुबूल है, कुबूल है, कुबूल है --- इसे प्यार की इंतहा कहती है...खूबसूरत...

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  14. जब पतझड़ आया तो
    पूछा नहीं, बताया
    कि तुम जा रहे हो
    और मैं बस इतना कह पायी

    कुबूल है, कुबूल है, कुबूल

    बहुत ही उम्दा कविता धन्यवाद...

    कभी हमारे ब्लॉग में भी पधारे..

    मुझे प्रोत्साहन की जरुरत है..

    नया जो हूँ

    avinash001.blogspot.com

    तुम्हारी अनकही बातें
    है ....

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  15. निःशब्द, कविता में इतनी पीड़ा उतार पाना सीखना है हमें।

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  16. socha tha bahur kuchh kahunga filhal itna hi kahta hoon, kya baat hai.

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  17. ऐसी प्रेम कविता जहाँ मुक्ति का बंधन है...बधाई.

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  18. This comment has been removed by the author.

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  19. क्या कहूं शब्द ही नहीं हैं , शायद होना भी नही चाहिए ,वास्तव में प्रेम की संवेदना की पराकाष्ठा को छूती हुई ये कविता है|

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  20. जब पतझड़ आया तो
    पूछा नहीं, बताया
    कि तुम जा रहे हो
    और मैं बस इतना कह पायी

    कुबूल है, कुबूल है, कुबूल है

    awesome...
    http://shayaridays.blogspot.com

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  21. kavita ki aakhiri pankti- sone pe suhaga

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