बहुत पुरानी बात है...
दो आँखें हुआ करती थीं
बीते बरस
उनपर कई मौसम आये और गए
जिस दिन से तुम नहीं आये
रात का काजल
आँखों में फैलता चला गया
और बेमौसम बारिश होने लगी
जो नदी बरसाती हुआ करती थी
अब सालों भर बहने लगी
आँखों का काला रंग भी
पानी में घुल के फीका पड़ने लगा
जो दिखते थे सारे रंग
जिंदगी से रूठ कर चले गए
बहार को आँखों ने पहचाना नहीं
वो इंतज़ार करते बूढ़ी हो गयी
सुनते हैं कि बरसों की थकन से
उसकी आँखें मर गयी थीं
मगर ये कभी पता ही नहीं चला
उस सरफिरी, उदास लड़की का क्या हुआ?
अच्छे शिल्प में रची गई विचारोत्तेजक कविता।
ReplyDeleteUf!Kitna dard samete hue hai ye rachana! Padhte hue raungte khade ho gaye!
ReplyDeleteअच्छी लगी यह कविता।
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ReplyDeleteविरह प्रतीक्षा पीड़ा ही है,
ReplyDeleteआँखे भी अनवरत बही हैं,
मन में जिसका रूप बसाया,
देखो, वह निष्ठुर न आया।
जीवन पर क्यों रूठ, कहीं अटका अटका सा,
वर्तमान को भूल, कहीं भटका भटका सा।
बहुत हुआ अतिप्रिय, अब तुमको उठना होगा,
छूट गया वह छोड़ पुनः अब जुटना होगा,
नहीं कोई अपना जीवन इतना भी भर ले,
वह अपना क्यों जो अपनों से जीवन हर ले।
beautiful expression ..
ReplyDeletevirh pratiksha ka.marmik varnan...dil ko choo gaya.
ReplyDeleteएक अलग ही अन्दाज़ की बहुत ही सुन्दर और मार्मिक कविता।
ReplyDeleteपंजाब हो या फिर बाकि देश यानि भारत वर्ष..... हर जगह किसी न किसी रूप में आज पर्व का माहोल है ...... शुभकामनाएं ......
ReplyDeleteahsaason ke sab rang bahate rahe aur us ladki ki jGAH WO EK KAVITA BAN GAYEE
ReplyDeleteye to bata do kya hua us baavari ladki ka
ReplyDeleteye to bata do kya hua us baavari ladki ka
ReplyDeleteसुना है भीड़ में गोगल्स में उसकी आँखे गुम है
ReplyDeleteBeautiful lines.....
ReplyDeletebahut acchi rachna Puja.
ReplyDeleteजिस दिन से तुम नहीं आये
रात का काजल
आँखों में फैलता चला गया
और बेमौसम बारिश होने लगी
जो नदी बरसाती हुआ करती थी
अब सालों भर बहने लगी
आँखों का काला रंग भी
पानी में घुल के फीका पड़ने लगा
Bahut khoob.
pooja aapki virah wali aapki kavita acchhi lagi. aap dushyant kumar ki fan hain ye jaan kaf khushi hui..unhi ki shabdon me kahen to ho kahin bhi aag lekin aag janlni chaihiye.
ReplyDeleteamar anand
manzilaurmukam.blogspot.com
amaranand07@gmail.com
दो नैनन में पिया मिलन की आस.
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना
ReplyDeletethis one is also very touching..kha se likhti hai aese sabdo ko...kya hua us sarfiri ladki ka..kabhi u hi bataya maione,wo to sarfiri thi apne aap me dubti chali gai.........
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