11 February, 2012

फरिश्तों में भी तुम सबसे अच्छे हो.

You are like personal treasure box. मेरे अन्दर जो भी अच्छा है और सुन्दर है वो मैं तुम में सहेजती जाती हूँ...मेरे अन्दर जो भी टूटा हुआ है तुम उसकी दवा बनते जाते हो. जो कुछ मैं नहीं चाहती कहीं खो जाये...मेरा पागलपन, मेरी उदास बेचैनियाँ सब मैं तुममें कहीं रखती जाती हूँ. जैसे जैसे मैं रीतती जाती हूँ वैसे वैसे तुम भरते जाते हो...मेरी आँखों का रंग हल्का पड़ता है तो तुम्हारी आँखों में पूरे आसमान के सितारों जैसी चमक भर जाती है और मैं तुम्हारी आँखें देख कर खुश हो जाती हूँ.

सोचो मन से इतना खाली होना कैसा तो लगता होगा न कि आज तक जब भी तुमसे बहुत देर तक बातें की हैं रो दी हूँ...मन का कौन सा सीलापन है जो तुमसे बात करती हूँ तो शाम बीतते न बीतते आँखों से नदियाँ बहने लगती हैं. मैं रोकती हूँ कुछ हद तक मगर मुझे मालूम होता है कि तुम्हारे सामने झूठ बोल नहीं पाउंगी...तुम्हारे सामने मैं वो हो जाती हूँ जो कहीं एकदम सच में हूँ...मुझे हर बार बुरा लगता है पर इस बात का कि मैं तुम्हें कितना परेशान करती हूँ...मुझे मेरा रोना बहुत साधारण सी चीज़ लगती है क्योंकि मैंने खुद को रोते हुए बहुत बार देखा है...पर तुम अच्छे भी तो हो...तुम्हें कितना बुरा लगेगा कि फोन के उस तरफ कोई लड़की रो रही है और तुम मुझे चुप नहीं करा पा रहे हो. 

कैसा कैसा तो डर लगता है...जैसे कि तुम खो जाओगे एक दिन. बचपन में एक बार मेरा बक्सा खो गया था...उसमें बहुत कुछ था जो कबाड़ जैसा था. आज तक भी ढूंढ रही हूँ...वो खोयी हुयी चीज़ें कभी वापस नहीं मिलीं...बाकी चीज़ों से इतर उसमें एक स्टैम्प था...आज कैसे तो चीज़ों को को-रिलेट कर रही हूँ...आज लगता है कि तुम खो जाओगे तो वो वाला स्टैम्प लगा के कोई चिट्ठी लिखूंगी तो तुम तक पहुँच जायेगी. लेकिन सुनो, खोना मत...तुम्हारे बिना मैं जाने क्या करुँगी. मैं भी खो जाउंगी फिर...और तुम्हें तो मालूम ही नहीं चलेगा कि मैं खो गयी हूँ क्योंकि तुम तो खुद खोये हुए रहोगे...सोचती हूँ...खोये हुए न भी रहो तो मैं अगर कुछ दिन तक नहीं रही तो मुझे ढूंढोगे क्या?

पता है तुमने आज तक कभी मुझे कुछ भी नहीं माँगा...बस देते आये हो दोनों हाथों से...इसलिए तुम सबसे अलग हो...बाकी जितने लोग हैं मेरी जिंदगी में मैं उनके लिए ऐसी ही हूँ...कुछ न मांगने वाली, उनके लिए बहुत सी दुआओं की लिस्ट बनाने वाली...मैं तुम्हारी कुछ नहीं हूँ तो भी तुम मेरी कितनी मुस्कुराहटों का सबब बने हो...तुम्हें पता है न तुमसे बात करते हुए सारे वक़्त हंसती रहती हूँ...कभी कभी तो गाल दर्द कर जाते हैं. मैं हर दर्द में तुम तक लौट के आती हूँ...जब अँधेरा बहुत गहरा हो जाता है तो खिड़की तुम्हारे अन्दर ही खुलती है...तुम से ही धूप और रौशनी उतरती है और मेरी आँखों को चूम कर कहती है...सब अच्छा हो जाएगा. तुम तक मेरी कौन सी तलाश आ के ठहरती है मालूम नहीं. तुम बहुत सारे सवाल हो मेरे लिए...समंदर की तरह अबूझ मगर तुम्हारे ही किनारों पर सुकून मिलता है मुझे. हर लहर मुझे कुछ लौटा दे जाती है...मेरा कुछ मांग ले जाती है. कल रात बहुत चैन की नींद आई मुझे...तुम्हारे शब्द मेरे माथे पर नींद आने तक थपकियाँ दे रहे थे. 


मुझे आज तक कोई शब्द नहीं मिला जो तुम्हें परिभाषित कर सके...हाँ शायद फ़रिश्ते ऐसे ही होते होंगे...गार्डिंग एंजेल...मैं खुदा की बहुत पसंदीदा बेटी रही होउंगी जो उसने तुम्हें मेरी देखभाल के लिए भेज रखा है. तुम्हारे जैसा कहीं कोई नहीं है...फरिश्तों में भी तुम सबसे अच्छे हो.

I love you with every fragment of my existence...thank you for being. 

13 comments:

  1. सुन्दर लेखन. "देना और पाने" के बीच के संबंधों के बारे में सोच रहा हूँ. नींद तो आ ही जायेगी!

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  2. जब अँधेरा बहुत गहरा हो जाता है तो खिड़की तुम्हारे अन्दर ही खुलती है. The best bit in the whole piece.

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  3. लेकिन सुनो, खोना मत...तुम्हारे बिना मैं जाने क्या करुँगी. मैं भी खो जाउंगी
    ........खो गये हम तो

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  4. बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  5. ह्रदय से निकले सुर ...कितने सुरीले होते हैं ....कोई बनावट नहीं ......श्रुति भी सीधे अंतस तक पहुंचती है ....कोई रुकावट की गुंजाईश ही नहीं ......कितने ही बार पढ़ लें ...एक सुखद अनुभूति ......एक स्वप्निल अनुभूति से एहसास .....
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....

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  6. तुम्हारा लेखन जैसे जैसे आगे बढ़ता है, भावों की गहराई में उतराने लगता है।

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  7. बहुत सुन्दर जज़्बात

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  8. jab man ko koi achhaa lagtaa hai
    to bas kyaa nahee hotaa hai......
    good interesting reading

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  9. प्रभावशाली अभिव्यक्ति।

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  10. *मैं खुदा की बहुत पसंदीदा बेटी रही होउंगी*
    No doubts about it, you must have been one:)

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  11. शायद फ़रिश्ते ऐसे ही होते होंगे.. - प्रेम की पराकाष्ठा!

    ख़ाक को बुत, और बुत को देवता करता है इश्क.
    इम्तहान ये है कि बन्दे को ख़ुदा करता है इश्क!

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  12. अच्छा, बहुत अच्छा लिखती है आप. बधाई और बहुत सी शुभकामनायें !

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