23 February, 2012

चाँद मवाली. रोक के रास्ता. रोज सताए


काँधे पर
ऊँगली भर काला
दाग पड़ा है

चाँद ने कल फिर
'रुक जाओ' की
जिद पकड़ी थी

गुस्सा हुआ था
रो के खुद ही
चुट्टी काटी

रूठ के मुझसे
ओढ़ के बादल
छुपा हुआ है

चाँद मवाली
रोक के रास्ता
रोज सताए

महबूब के घर की
पिछली गली में
हाथ पकड़ ले

किससे ज्यादा
प्यार है तुमको
उससे/मुझसे?

न माने ना
हाँ बोलू ना
चुप मर जाऊँ

इश्क मुसीबत
तेरे कारण
बुद्धू आशिक

मैंने तो
पहले ही कहा था
चाँद बुझा दो

सब तेरी गलती
जो उसको
प्यार हुआ है

रात परेशां
सुन सुन कर
ये सारे झगड़े

सूरज भी तो
मिला हुआ है
चाँद की साइड

चाँद औ सूरज
रस्साकशी
खेलेंगे एक दिन

हम उल्का की
पीठ पे बैठ
दूर निकलेंगे

अबकी बार
मिलो मुझसे तो
अकेले मिलना

4 comments:

  1. हा हा हा, बहुत ही मजेदार, चाँद को पूरा जीवन्त रूप दे ढेर सारी बातें भी कर डालीं..

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  2. Wah! Wah ! Wah!

    Bahut sundar....

    चाँद ने कल फिर
    'रुक जाओ' की
    जिद पकड़ी थी

    गुस्सा हुआ था
    रों के खुद ही
    चुट्टी काटी
    ye panktiyan bahut achchi lagi, khaas kar antim pankti" Chutti kaati"

    ReplyDelete
  3. चाँद औ सूरज
    रस्साकशी
    खेलेंगे एक दिन
    wah:)

    ReplyDelete

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