29 January, 2012

डायरी से कुछ नोट्स

मैं अपने साथ एक कॉपी लिए चलती हूँ आजकल...जब जो दिल किया लिख लेने के लिए...कल दो दिन से ढूंढ रही थी...एकबारगी तो डर भी लग गया कि कहीं प्लेन पर तो नहीं छूट गयी...यूँ तो उसके खोने का अफ़सोस भी बेहद बेहद ज्यादा होता पर इस बार इस अफ़सोस में सिर्फ अपने लिखे के खो जाने का अफ़सोस नहीं होता...कुछ यादें भी बिसर जातीं...जैसे कि धूप में बैठ कर अनुपम को अपना लिखा कुछ पढ़ते हुए देखना...और मन ही मन खुश होना...हल्ला करना कि ये वाला पन्ना मत पढ़ो न...या कि फिर सबसे जरूरी दो पन्ने कि जिसमें अनुपम और स्मृति ने कुछ लिखा है...अनुपम ने लिखा 'anything' और स्मृति ने 'अचार'. क्यूंकि दोनों महानुभावों को जब डायरी थमाई गयी तो दोनों ने पूछा क्या लिखूं...और दोनों के ठीक वही लिखा जो मैंने लिखने को कहा!

घर पर कुणाल ने कहा सब कुछ ऑनलाइन लिख दिया करो...सब यहाँ रखने पर भी कागज़ में कुछ रह जाता है जिसकी खुशबू नहीं जाती...फिर भी...कुछ टुकड़े तो सकेर ही देती हूँ. 

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तुम्हारी खुशबू कैसी थी?
ख़ुशी को अगर bottle किया जा सके तो शायद वैसी कुछ. 
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इश्क के चले जाने के बाद...
जो बाकी रह जाए, वही जिंदगी है. 
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धूप को कैसे लिखते हैं, उसकी सारी गर्मी, सारी खुशबुओं के साथ, और ख़ुशी को? सब अच्छा अच्छा से लगने के अहसास को?
अपने खुद के मिल जाने के अहसास को? इतना प्यार किन शब्दों में समेटूं? कहाँ सहेजूँ, कैसे सकेरूँ? शब्द तो पूरे पड़ते ही नहीं हैं!

कैसा रास्ता था न कि दोस्त हर कदम पर साथ खड़े थे, कि किसी ने एक भी लम्हा तनहा नहीं होने दिया,
कितना प्यार ओह कितना प्यार!
खुदा तेरा शुक्रिया!
२५.१.१२
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उस दिन मुझसे करना बातें
जिस दिन दिल के ज़ख्म भरे हों
वरना इतनी चुप्पी सुन कर
कट जायेंगे सारे टाँके
खुल जाएगा दर्द का गट्ठर
कैसे जियोगे तनहा रातें?

टूट बिखरना, मुझको थामे
साथ मेरे दरिया में बहना
सांस छुटे जब आँख थामना
मर जाने तक थामे रहना

मेरी पेशानी पर रख दो
दो दिन के दो बासी बोसे
मेरी आँखों को कह दो न
तुम मेरे हो, मेरे हो न?

१८.१.१२
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तस्वीरों के उस पार से
एक लड़की मुझे देख कर
किलकती है 
उसकी मुस्कराहट इतनी जेनुइन है
कि मुझे उससे जलन होने लगती है.

१४.१.१२
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जमीन से आसमान तक बहती हुयी नदी थी और उस नदी पर बादलों के बहुत सारे पुल थे. स्केल से खींचा हुआ सीधा समंदर था. सूरज की किरणें उड़ेलीं गयीं थीं बादलों के सारे टुकड़ों पर ज्यों कोई दोशीजा अपने भीगे बदन पर सुनहला पानी डाल रही हो नहाते हुए. 
No wonder, nature is the muse of so many artists. You can never get bored of it. Just when you are just about to begin to think you have seen it all, it bares another of its mysteries. 
प्रकृति की इस नयी अदा पर आज हम क्या कहें!
(कलकत्ता से बंगलोर आते हुए फ्लाईट में)

८.१.१२
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I come back to you the pen the way I come back to you, in pain. At the need to fill an abject vacuum in my life. A vacuum I don't understand myself. 

18.12.11
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Those that can smile with a broken heart are those that know how to plant white Lillies in the fault lines that have formed. 
18.11.11
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The memory of that day has started to blur around the edges. There are some fuzzy characters, a little sound wave that echoes off the walls of memory. A peeled wallpaper here, a coffee machine token there. Air is still dense with cigarette smoke seen through burning, red eyes. The day passes in a jiffy and all that remains of that memory is relegated to black&white. The only thing that remains lifelike in that portrait is a caption written in green ink at the bottom white portion of the photograph.
'His eyes are brown'.
12.11.11
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14 comments:

  1. कोई ऐसा मोबाइल खरीद लीजिये जिसमें हिन्दी टाइप कर सकें, जो over the air आपके लैपटॉप पर पहुँच जाये ताकि बार बार कॉपी पेस्ट न करना पड़े। मॉडल? आईफोन 4S, पूर्ण संतुष्टि।

    कोई विचार छूटता नहीं है, गाड़ी में चलते समय आपका ब्लॉग पढ़ कमेंट भी कर देता हूँ।
    दो स्थानों पर पोस्टें लिखीं - एक अस्पताल में गर्दन की सिकाई कराते समय, एक अत्यन्त उच्चस्तरीय बैठक के समय।

    कोई विचार छूटना भी नहीं चाहिये, यदि वह आपके लिये महत्वपूर्ण हो।

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    1. @प्रवीण जी...अच्छा हुआ आपने iphone 4s की बात की...सोच ही रही हूँ इस फोन के बारे में...यहाँ 45 हज़ार का पड़ता है...आपको लगता है अपने दाम को justyfy कर पता है फोन? इसी ख्याल में उलझी हूँ कि फोन इतना महंगा लेना चाहिए या नहीं।

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    2. प्रवीण भईया तो मुझे एक 4S गिफ्ट करने वाले हैं..है न भईया :):)

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    3. हाँ अभिषेक, घर आओ, देते हैं।

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  2. वैसे आपको apple के 4s कि जरूरत नही है, क्यूँ कि इससे आपकी जिंदगी से शब्दों कि महक गायब सी हो जायेगी..
    आप जब भी 'anything' या फिर 'अचार' शब्दों को देखती होगी. तो ज़ाहिर सी बात है,. आप उन लम्हों को फिर से
    जी लेती होगी. technolgy का प्रयोग सही है. लेकिन एक limit तक ही. और आप से अच्छा इस चीज़ को कौन समझ सकता है.

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    1. सहमत हूँ... :) :) apple4s की जरूरत तो है पर कई अन्य इस्तेमाल हैं उसके...ऐसी जगह जहां कॉपी न हो साथ में फोन पर लिखना ही काम आता है, हालांकि ऐसा बहुत कम हुआ है कि मेरे पास लिखने को कागज़ कलम न हो। कागज़ में खुशबू तो होती है है :)

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  3. डायरी के कुछ अजीज पन्ने मेरे पास भी थे
    ....... प्रवाहित कर दिया !

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    1. कैसे प्रवाहित कर दिया...मेरा तो दिल ही ना माने...बहुत पत्थर करना पड़ा होगा खुद को।

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  4. बड़े खूबसूरत नोट्स हैं!! :)
    बहुत दिनों से तो मैं अपने साथ सादे कागज़ रखता हूँ...उसमे ही लिखता हूँ..बहुत कुछ लिखता हूँ..मुझे याद है एक मेरी डायरी थी जो ट्रेन के अपर बर्थ पे छूट गयी थी, कितनी सारी बातें यादें उस डायरी के साथ चली गयी..बहुत ज्यादा याद आती है उस डायरी की...

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    1. मुझे याद है, तुमने एक बार पहले भी कहा है...सादे कागज साथ रखने की बात :)
      मेरी भी एक डायरी 10th के समय खो गयी थी...उसमें तीन साल की कविता वगैरह लिखी हुयी थी...बहुत रोयी थी उसके लिए।

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  5. apke bhav jitni bhi baar pado lagta hae kam hae...bahut hi sunder likhti hae aap....ese hi likhti rahe aur apke kagaz ki khusbu mahkti rahe...

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  6. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......

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  7. डायरी लिखना और उसे सम्हाल कर रखना आसान नहीं होता |
    खाली समय में उसे पढाने पर मन हल्का हो जाता है और समय ठहरता सा लगता है |
    बहुत सुन्दर भाव लिए रचना |
    आशा

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