view from the windows |
कमरे में फर्श से छत तक शीशे लगे हुए थे, लगता था हवा में झूलता कमरा है. खिड़की के पास खड़े होकर देखती थी तो दूर तक अट्टालिकाएं नज़र आती थी. जमीन पर दौड़ती भागती बहुत सी गाड़ियाँ. शहर में गज़ब की उर्जा महसूस हुयी. रात की फ्लाईट थी तो थक के बाकी लोग दिन में आराम कर रहे थे और मैं शीशे पर कहानियों को उभरते देख रही थी. मुझे दिन में वैसे भी नींद नहीं आती. बंगकोक में जो सबसे पहली चीज़ नोटिस की वो ये कि यहाँ सड़कों से ज्यादा फ़्लाइओवेर हैं. सब कुछ हवा में दौड़ता हुआ...रंग बिरंगी टैक्सी, गुलाबी, नारंगी, हरी...एयरपोर्ट से शहर आते हुए थोड़ी देर में सारी इमारतें अचानक से लम्बी हो गयी दिखती हैं. शहर नए और पुराने का मिश्रण है...मैंने बहुत सालों बाद टीवी अन्टेना देखे, एक छत पर लगभग दर्जनों.
वात फ्रा केव |
वात फ्रा केव के मंदिर पूरे सोने की तरह चमकते हैं, जब हम गए थे तो इत्तिफाक से आसमान भी बहुत सुन्दर था, नीले आसमान में सफ़ेद बदल...फोटो खींचने में भी बहुत मज़ा आया. पूरे मंदिर में बहुत बारीक़ नक्काशी की गयी थी. वहां के बुद्ध मंदिर हमारे तरफ के मंदिर जैसे ही थे...उधर नाग, यक्ष, गरुड़ सबके मूर्तियाँ भी थी. रख रखाव बेहद अच्छा था, बेहद साफ़ सफाई थी. ना केवल मंदिर या महल के परिसर में, बल्कि बाथरूम भी एकदम साफ़ सुथरे. लगा कि काश हमारे यहाँ भी ऐसी साफ़ सफाई होती.
थाई रामायण |
मंदिर की दीवारों पर थाई रामायण के भित्तिचित्र बने हुए थे...वैसे तो हमारी रामायण जैसी ही थी पर वहां की पेंटिंग्स में आदमी और राक्षस के बीच में अंतर करना मुश्किल था हमारे लिए...सबके बड़े बड़े दाँत और सींग थे, जैसा कि आप इस तस्वीर में देख रहे हैं ;)
मुझे लोग भी अच्छे लगे...चूँकि बहुत सारी जगह भाषा समझ नहीं आती थी तो मुस्कुरा के काम चलाना पड़ता था. पहली बार महसूस हुआ कि कैसे मुस्कराहट हर भाषा में समझी जाती है :) जिस दिन पहुंचे उस दिन खाना ढूँढने में जो मुश्किल हुयी, हम ठहरे पूर्ण शाकाहारी और उधर शाकाहार का सिस्टम ही नहीं है...यहाँ तक कि चिप्स भी मिलते हैं तो कोई मछली वाले, कोई चिकन वाले...आलू के चिप्स का नाम निशान नहीं. ब्रेड में भी भांति भांति के पशु, पक्षी, कीड़े, मकोड़े...हाँ वहां फल बहुत मिलते थे तो पहली सुबह लगभग फल खा के ही काम चलाना पड़ा. शाम होते पंजाबी रेस्तोरांत मिल गया...तो फिर तीन दिन आराम से गुजरे.
अच्छी जगह है बंगकोक, रहने और घूमने के हिसाब से ज्यादा महँगी भी नहीं है. वीसा पहले से करना जरूरी नहीं है...पहुँचने पर मिल जाता है...ऑन अरैवल वीसा. मेरा वक़्त अच्छा गुज़रा...कुछ और कहानियां बंगकोक की, किस्तों में सुनाउंगी :)
तीन दिन के लिए ही गए थे पर घर आते साथ लगा There is no place like home. छुट्टियाँ मनाने के बाद घर खास तौर से और अच्छा लगता है :)
''छुट्टियाँ मनाने के बाद घर खास तौर से और अच्छा लगता है'', लेकिन कहानियां सुनना-सुनाना, उससे भी अच्छा.
ReplyDeleteआनन्दमयी सप्हान्त की बधाईयाँ, सच में घर जैसा कुछ भी नहीं।
ReplyDeleteसही बात है बैंकाक न महंगा है न मुंहचचिढ़ा, मुझे तो कलकत्ते सा लगा था.
ReplyDelete.
ReplyDeleteपसंद आयी आपकी यात्रा-प्रस्तुति.
ऐसे देश में आमिष-भोजियों के बीच शाकाहारियों द्वारा केवल 'मुस्कान' ही बाँटी जा सकती है.
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ओहो तो जे बात थी , बैंकॉक घूमाई चल रही थी ..हम भी किस्तों का इंतज़ार करेंगे जी
ReplyDeleteबैंकॉक वाकई खूबसूरत शहर है. आपके यात्रा वृतान्त का इन्तेज़ार रहेगा.
ReplyDeleteमनोज
aapki manorankak yatra ka snasmaran mujhe bhi bangkok jaane ko lalayit ka rahi hai. Bahut achha
ReplyDeleteबैंकाक की वर्चुअल यात्रा कराने का शुक्रिया।
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हंसी का विज्ञान।
ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेखा,टोना-टोटका।
बैंकाक की यात्रा कराने का शुक्रिया।
ReplyDeletewaise tumhare fotoes se hamne kuch kuch andaza laga liya tha wahan ka.....magar padhkar jyada jaan gaye.
ReplyDeleteअच्छा लगा यात्रा वर्णन .. भाषा भी सरल बिना किसी बनावट के.. बहुत खूब..
ReplyDeleteअच्छा लगा यात्रा वर्णन .बैंकाक की यात्रा कराने का शुक्रिया।
ReplyDeleteबढ़िया वर्णन..अच्छा बैंकाक का पूरा नाम पता है आपको?..अगर नही तो विकी करियेगा..मजेदार लगेगा :-)
ReplyDeleteबैंग्कोक जाने के पहले जो रिसर्च की थी तब पता चला था कि इस शहर के नाम गिनिस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकोर्ड है...सबसे लंबा नाम है इसका. in short Krung Thep Maha Nakhon means 'City of angels'. जाने के पहले मालूम नहीं था...तुम्हारी मेमोरी कैपसिटी कितने टेराबाईट की है अपूर्व? कितना कुछ मालूम रहता है तुम्हें.
ReplyDeleteअच्छा लगा यात्रा वर्णन .इतना सुंदर वृतांत, इतना सुंदर चित्रण वाकई में क्या खूब वर्णन है.... वाह वाह वाह एक सांस में पढ़ता ही चला गया...
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