---------फेड इन------
अक्स दर अक्स स्याह होते अँधेरे में घुल जाओ...जैसे मौत के पहले वाले पहर धीमे से पलकें बंद कर रही हूँ और तुम्हारी आँखों का जीवंत भूरा रंग गहराते जा रहा है, जैसे तुमने अभी माथे को चूमा हो और हौले से तुम्हारे होठ बिसरते जा रहे हों...जैसे मैं जानती हूँ कि अब लौट के आना नहीं होगा. नाउम्मीदी की एक गहरी खाई है जिसमें गिर के उठना नहीं होता...क़यामत.
फेड टु ब्लैक मेरा पसंदीदा 'फेड' है, इसे मैं सबसे ज्यादा इस्तेमाल करती हूँ इससे खूबसूरत अंत हो नहीं सकता...मृत्यु का सबसे खूबसूरत चित्रण है अन्धकार. मुझे 'कट्स' ज्यादा पसंद नहीं हैं...वो किसी रिश्ते की शुरुआत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उनमें एक बचपना होता है, एक काबू में ना आने वाली उश्रृंखलता होती है...कट्स एक बागी उम्र का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसमें बहुत सारे फ्रेम्स जरूरी होते हैं लाइफ के...और हर शॉट जिंदगी का एक जरूरी हिस्सा होता है, दोस्त, प्यार, करियर, शौक़...बहुत कुछ. इस उम्र और इस कट में किसी भी लम्हे पर ज्यादा देर ठहरना नहीं हो पाता, सब कुछ लम्हे भर में होता है, स्पीड डेटिंग जैसा.
मैं थोड़ी ओल्ड फैशंड हो जाती हूँ अक्सर...फेड का इस्तेमाल करने वाली फिल्में एक ठहरे हुए वक़्त के जैसी होती हैं. कुछ वैसी ही जैसे मैं तुम्हें याद करती हूँ...हमेशा क्रोस फेड करते हुए, एक फ्रेम से दूसरे फ्रेम में घुलते हुए, तन्हाई के दो लम्हों को जोड़ते हुए...किसी शाम का तुम्हें याद करना, याद के चेहरे पर सूरज की जाती हुयी धूप और किसी सुबह के कोहरे में लिपट कर तुम्हें याद करना, याद के चेहरे पर कोहरे का भीगापन, माथे पर गिरती लटों में पानी की नन्ही बूँदें अटकी हुयीं...कंप्यूटर स्क्रीन पर ये दोनों चेहरे आसपास धुंधलाते हुए होते हैं और मैं सोचती रहती हूँ कि किस चेहरे को ज्यादा पसंद करती हूँ.
मुझे फोरेवर या हमेशा जैसा कुछ पर यकीन नहीं होता...देखती आई हूँ कि सब कुछ बदलता रहता है, प्यार भी बढ़ता घटता रहता है जीवन में आई और प्राथमिकताओं के साथ. मुझे कुछ भी हमेशा सा नहीं चाहिए तुमसे, हाँ इतना जरूर चाहूंगी कि किसी रोज़ अचानक से मत चले जाना...कि बस, आज के बाद हम नहीं मिलेंगे जैसा कुछ. ये नहीं बर्दाश्त होगा मुझसे कि आदत सी पड़ी हो और तुम ना हो एक बौखलाई सी सुबह. तो हलके से 'फेड टु ब्लैक' मेरी जिंदगी से फेड आउट कर जाना...अक्स दर अक्स, लम्स दर लम्स, लम्हा दर लम्हा. एक एक पल करके मुझसे दूर जाना...एक एक कदम करके...मुझे थोड़ा वक़्त देना...जब मैं रातों को रोऊँ कि तुम नहीं रहोगे उस वक़्त अपने कंधे पर रो लेने देना मुझे. जैसे हम पूरी जिंदगी धीमे धीमे मौत की तरफ बढ़ते हैं...वैसे ही. अचानक से मत जाना...मर जाउंगी.
--------फेड टु ब्लैक-------
हमेशा एक सा कायम रहने वाला अहसास.
ReplyDeleteसब कुछ धीरे धीरे स्याह हो जाता है, जीवन में। अंधकार से प्रारम्भ और वहीं अंत।
ReplyDeleteBahot hi khoobsoorat likha he ..:)
ReplyDeleteItani sundar bhavanae aapane likhi he ki barbar padhane ka man karata he..
क्रोस फेड करते ज़िन्दगी यों ही बीत जायेगी.
ReplyDeleteदेखती आई हूँ कि सब कुछ बदलता रहता है, प्यार भी बढ़ता घटता रहता है जीवन में आई और प्राथमिकताओं के साथ... waah
ReplyDeleteapni yah rachna vatvriksh ke liye bhejen rasprabha@gmail.com per parichay tasweer blog link ke saath
http://urvija.parikalpnaa.com/
वाह! फेड टु ब्लैक के लम्हों में छिपे जिंदगी और मौत के इतने सारे शेड्स!
ReplyDeletetumhara andaaz hamesha dil ke bahut kareeb lagta hai puja....sachmuch kisi ka achaanak jana tod deta hai.
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