कुछ गीत ऐसे होते हैं कि सुनकर जैसे दिल में कोई हूक सी उठने लगती रहती है। बरसों पुराने कुछ बिछडे लोग याद आने लगते हैं, कुछ जख्म फ़िर से हरे हो जाते हैं।
कुछ ऐसा ही है बाज़ार का ये गाना "देख लो आज हमको जी भर के"। हालात, वक्त और बिछड़ने का अंदाज़ जुदा होने के बावजूद सुनते ही कोई पहचानी गली याद आ जाती है, गीली आँखें याद आती हैं, और एक शहर जैसे जेहन में साँसे लेने लगता है फ़िर से।
इश्क होता ही ऐसा है, गुज़र कर भी नहीं गुज़रता, वहीँ खड़ा रहता है। जब कोई ऐसा गीत, कोई ग़ज़ल पढने को मिलती है तो जैसे एक पल में मन वहीँ पहुँच जाता है। जहाँ जाना तो था पर लौट कर आना नहीं था। वो आखिरी कुछ लम्हे जब वक्त को रोक लेने कि ख्वाहिश होती है, किसी को आखिरी लम्हे तक ख़ुद से दूर जाते देखना, अपनी मजबूरियां जानते हुए, ये जानते हुए कि वो हँसते खिलखिलाते पल अब कभी नहीं आयेंगे।
वो आखरी मुलाकात...कुछ ऐसी बातें जो कही नहीं जा सकीं, एक खामोशी, एक अचानक से आई हुयी दूरी...और वही कम्बक्त वक्त को रोक लेने कि ख्वाहिश।
पूजा जी क्या बात है । बहुत ही चुनिन्दा गीत आप लेखर आयी । बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteपूजा जैसे कहा है न, इश्क को अगर अंजाम तक ले जाना न हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा.
ReplyDeleteयह ग़ज़ल तो मेरी भी पसंदीदा ग़ज़ल में से है. इसे फिर से एहसास करवाने के लिए शुक्रिया. आभी अभी एक ग़ज़ल लिखी है अपने ब्लॉग पर, पढियेगा ज़रूर.
इत्तेफाक़न !
ReplyDeletePooja ji aapke pas hai kya yeh song agar hai to pls mujhe rohittripathi60@gmail.com par mail kar de.. dhanyawaad
ReplyDeleteवाह!! कितनी सुन्दरता का के साथ गीत पेश किया है..वैसे भी यह मेरा एक प्रिय गीत है. आभार.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया .अच्छा लगता है यह मुझे भी :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर ! शुभकामनाएं !
ReplyDeleteवाह। इस गाने की याद दिलाने और उसे सुनाने के लिए शुक्रिया।
ReplyDeleteबहुत सुंदर शुक्रिया.
ReplyDeleteअरे वाह ! इतना सुंदर गीत ! मजा आगया !
ReplyDeleteधन्यवाद !
लगता है आजकल इसी मूड का चलन है.. दिल कि बात पर भी डा. साहब कुछ ऐसे ही दिख रहे हैं.. आपके यहां भी कुछ ऐसा ही है और भी 2-3 ब्लौग पर कुछ ऐसा ही दिखा.. मेरा भी आजकल कुछ ऐसा ही मूड है और बस इसी मूड के कारण कुछ भी नहीं लिख रहा हूं..
ReplyDeleteखैर बाजर सिनेमा के इस गीत को ही नहीं बल्की सभी गीतों को मैं बहुत पसंद करता हूं.. धन्यवाद इसे सुनाने के लिये..
धऱ गए मेहंदी रचे
ReplyDeleteदो हाथ जल में दीप
जन्म जन्मों ताल सा िहलता रहा मन
ज्यों िकसी शैवाल सा िहलता रहा मन
http:\\www.ashokvichar.blogspot.com
देख लो आज हमको जी भर के ! क्या बात है!
ReplyDeleteसही है...बस एक बहाना चाहिए होता है यादों की गलियों में जाने के लिए! ये गीत एक खूबसूरत बहाना है!
ReplyDeleteदेख लो आज हमको जी भर के
ReplyDeleteएक खूबसूरत बहाना है
धन्यवाद इसे सुनाने के लिये..
GEET BAHUT HI MARMIK H. PRANTU YOU TUBE KE SONG REGULAR NAHI CHLATE. RUK RUK KAR KCHLTE H. KYA ISKA BHI KOI HAL BATA SAKOGE.
ReplyDeleteABHAR
RAMESH SACHDEVA
hpsdabwali07@gmail.com
09896081327
आपकी कविताए और लेख पढकर पुराने दिनों में लौट गया । बहुत ही सजीव चित्रण किया है पहली मुलाकात और बारिशें और सवाल जिनके जवाब नहीं और खास तौर पर आखिरी मुलाकात ने तो आँखों में पानी ला दिया। ऐसे खूबसूरत ब्लाग की रचयिता को बधाई।
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