हमारे देश में समस्या की जड़ को समाप्त क्यों नहीं करते?
ख़बर आई की अब IIT faculty में भी रिज़र्वेशन लागू होने वाला है। इस मुद्दे पर अलग अलग लोगों ने अपनी राय दी। मुझे तकलीफ सिर्फ़ इस बात से है की ये सरकार के हिसाब से निम्न तबके .लोग, जो की बिना रिज़र्वेशन अपनी सामाजिक और आर्थिक स्थिति नहीं सुधर सकते...इनके लिए सबसे निचली इकाई पार काम क्यों नहीं होता। निचली इकाई यानि स्कूल...प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति को सुधरने की दिशा में कोई काम क्यों नहीं होता। अगर ये अल्पसंख्यक पढाना ही चाहते हैं तो क्यों नहीं स्कूलों में इनकी नौकरी लगायी जा रही रही है। iit जैसे संस्थान की हालत क्यों ख़राब की जा रही है।
मुझे गुस्सा इस बात का भी है की सरकार सही तरीके से कोई काम क्यों नहीं करती, इतनी सारी समितियां बनती हैं पर एक आम आदमी के पास ये तस्वीर क्यों नहीं है की रिज़र्वेशन से कितने प्रतिशत लोगो का फायदा हुआ है। कितने लोगों का नुक्सान हुआ है। क्या वाकई जिन लोगो को रिज़र्वेशन मिलता है वो इसके हक़दार हैं और उनका क्या जिन्हें इसकी कोई जरूरत नहीं है पर फ़िर भी फायदा उठा रहे हैं।
कोई सन्सुस क्यों नहीं हुआ है ताकि ये पता चले की अच्तुअल्ली भारत में SC, ST and OBC जनसँख्या के कितने प्रतिशत हैं। अगर थोडी पारदर्शिता बरती जाए तो इसके ख़िलाफ़ आने वाली कितनी ही कड़वाहटों से बचा जा सकेगा। मैं रिज़र्वेशन के सख्त ख़िलाफ़ हूँ, इसके पीछे कारन ये भी है कि मुझे इसका कोई अंदाजा नहीं है कि इससे कितने लोगों का फायदा हुआ है, अगर हुआ है तो। मैं देखती हूँ कि वो दोस्त जो साथ में पढ़ रहे हैं, कमोबेश एक ही जैसे घरों में पल बढ़ रहे हैं, सिफर इसलिए कि एक कि जाति अलग थी उसे अच्छी जगह admission मिल रहा है। और सिर्फ़ इसलिए कि दूसरा जनरल कातेगोरी का है उसे कहीं एड्मिशन नहीं मिला हालाँकि वह उससे पढने में बेहतर था। तब ये भेद भाव लगता है औरकहीं से न्यायोचित नहीं लगता।
क्या एक बेहतर स्कूल का स्य्स्तेम नहीं बनाया जा सकता जहाँ हर जाति के बच्चों को एक सी अच्छी पढ़ाई मिले, तक अगर ये बच्चे रिज़र्वेशन से भी जाते हैं तो भी पढने में अच्छे भी होंगे और किसी संस्थान का स्तर इनके आने से नहीं गिरेगा। तब कहीं जाके एक सामान समझ कि स्थापना हो पाएगी। ये ऊपर ऊपर रिज़र्वेशन देने से थोड़े कुछ होगा। बैसाखियों पर कब तक चल सकता है कोई भी समाज, चाहे अल्पसंख्यक हो या बहुसंख्यक।main
main kabhi एक स्कूल तो जरूर खोलूंगी। जहाँ पर अच्छी पढ़ाई होगी, चाहे किसी भी समाज, किसी जाति या धर्म या लिंग का हो, वहां हर बच्चे को एक सा पढने लिखने और जीने कि आजादी होगी। एक ऐसी जगह जहाँ हर बच्चे को ये सिखाया जाए कि वह खास है और समाज में उसके सार्थक योगदान की जरूरत है। फ़िर इन्हें किसी पर निर्भर नहों होना पड़ेगा, रिज़र्वेशन पर भी नहीं। ये समझ में अपना स्थान ख़ुद बनायेंगे अपनी लगन और आत्मविश्वास से। एक दिन ऐसा आएगा...मैं लाऊंगी।
अंत में दिनकर की कुछ पंक्तियाँ
मैं न वह जो स्वप्न पर केवल सही करते,
आग में उसको गला लोहा बनाता हूँ,
और उस पर नींव रखता हूँ नये घर की,
इस तरह दीवार फौलादी उठाता हूँ।
मनु नहीं, मनु-पुत्र है यह सामने, जिसकी
कल्पना की जीभ में भी धार होती है,
वाण ही होते विचारों के नहीं केवल,
स्वप्न के भी हाथ में तलवार होती है।
कल्पना की जीभ में भी धार होती है,
ReplyDeleteवाण ही होते विचारों के नहीं केवल,
great lines
u got wide sense for above lines
really appericiable
keep writing
regards
Yaha Reservation ka prayog keval vote bank ke liye kiya jata hai. Isse na to kisi jati ya sampraday ka bhala ho sakta hai or na hi desh ka. Yogya evam saksham vyaktiyon ki sarkari sansthaon me ho rahi kami desh ke bhavishya ki or sanket karti hai. Main aapke vichar se sahmat hun.
ReplyDeleteसरकार यदि ईमानदार हो जए तो यह नौबत ही नही\आए।बढिया विचार प्रेषित किए हैं।
ReplyDeletemain kabhi एक स्कूल तो जरूर खोलूंगी। जहाँ पर अच्छी पढ़ाई होगी, चाहे किसी भी समाज, किसी जाति या धर्म या लिंग का हो, वहां हर बच्चे को एक सा पढने लिखने और जीने कि आजादी होगी।
ReplyDeleteईश्वर आपको इस पुण्य कार्य में मदद दे ! और आप अपने प्रयास में सफल हों ! जहाँ तक आपके रिजर्वेशन की चिंता का सवाल है
तो हम सबको बुरा तो अवश्य लगेगा ! पर ये राजनीती का प्रसाद है जो कोई सी भी पार्टी आए , इस अभिशाप से बच नही पायेगी ! और बड़ा मुश्किल है इस से अब निकलना ! आपने पिछले दिनों राजस्थान की ताजा हालत देखी होगी जिसमे देहली - मुम्बई ट्रेन तक बंद कर दी गई थी ! पीडा जो आपकी है वही हम सबकी है ! पर हकीकत जो है सो है ! आपने बहुत उम्दा विषय उठाया ! इसके लिए धन्यवाद !
main kabhi एक स्कूल तो जरूर खोलूंगी। जहाँ पर अच्छी पढ़ाई होगी, चाहे किसी भी समाज, किसी जाति या धर्म या लिंग का हो, वहां हर बच्चे को एक सा पढने लिखने और जीने कि आजादी होगी।
ReplyDeleteachchhaa Vichaar. Yah sankalp banaa rahe.
aapkey irade bahut nek hai. aapko kamyabi mile yahi prarathna hai. achcha likha hai aapney-
ReplyDeletemain kabhi एक स्कूल तो जरूर खोलूंगी। जहाँ पर अच्छी पढ़ाई होगी, चाहे किसी भी समाज, किसी जाति या धर्म या लिंग का हो, वहां हर बच्चे को एक सा पढने लिखने और जीने कि आजादी होगी। एक ऐसी जगह जहाँ हर बच्चे को ये सिखाया जाए कि वह खास है और समाज में उसके सार्थक योगदान की जरूरत है। फ़िर इन्हें किसी पर निर्भर नहों होना पड़ेगा, रिज़र्वेशन पर भी नहीं। ये समझ में अपना स्थान ख़ुद बनायेंगे अपनी लगन और आत्मविश्वास से। एक दिन ऐसा आएगा...मैं लाऊंगी।
maine aapney blog per ek lekh- kitna ladaeiyan ladeingi ladkiyan- likha hai. us per aapki rai mere liye badi mahatavpurn hogi.
http//www.ashokvichar.blogspot.com
aapke vichhar bahut ek hai, lekin voto ki rajneeti ke aage kuchh nahi kiya ja sakta.
ReplyDeletelikhane me aapke vichar bahut spashtata ke sath ubhar kar samne aate hai. aap kafi sensitive lagati hai.
pooja sahi keh rahi hain aap
ReplyDeleteyeh vakiy mein ek dukhad aur kadwa vishay hai. chinta bhi hoti hai par humare samvidhan mein sanshodhan hone amivary hain. dekhte hai kya hota hai
दरअसल अब हमारे देश को एक ऐसे मोडल की जरुरत है जिसमे एक जैसी शिक्षा सभी स्कूलों में हो ,गरीब बच्चो के लिए १२ तक मुफ्त शिक्षा हो ,उन्हें किताबे उस वक़्त तक के लिए उपलब्ध करायी जाये जब तक वे अपनी शिक्षा प्राप्त कर ले उसके बाद वे पुस्तके जमा कर दे ताकि ये चेन बनी रहे .
ReplyDeleteजो गरीब विधार्थी योग्य हो उन्हें कॉम्पिटिशन के लिए भी मुफ्त सुविधा कुछ ख़ास चुनिन्दा सेंटर पर उपलब्ध हो.यानी की शिक्षा में सब सुविधा बिना किसी जात पात के भेदभाव के .उसके बाद किसी भी नौकरी में आरक्षण न हो .
अंगरेजों के जमाने में होता था ना किसी खास रोड में भारतीय नही चल सकते थे वो अंग्रेजों के लिये रिजर्वड रहती थी बस कुछ उसी ढर्रे पर चलने की कोशिश की जा रही है। वोट और कुर्सी के चक्कर में देश की ऐसी तेसी करने में लगे हैं, भाषा के लिये माफी।
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