20 October, 2008

रचना...


एक लम्हे को

खोला मैंने

उससे निकला

आधा चाँद

एक टुकड़ा बादल

थोड़ी सी बारिश

हवा का एक झोंका

माथे पर झूलती लटें

आंखों में चमकते सितारे

थोड़ा अँधेरा

मैंने एक आकाश बिछाया

उसमे ये सारा सामन रख दिया

बाँध दी पोटली

बस एक लम्हा

बन गई कविता


उस कविता से

निकली

एक छटांक हँसी

एक कतरा आँसू

चुटकी भर खुराफात

मुट्ठी भर ख्वाब


ये सब मिल गए

बन गई

मैं

20 comments:

  1. wah jawab nahi

    baut khub

    ban gayi me
    regards

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  2. एक कतरा आँसू


    चुटकी भर खुराफात


    मुट्ठी भर ख्वाब




    ये सब मिल गए


    बन गई

    bahut sunder

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  3. पूजाजी, आप की एक छटांक हँसी और चुटकी भर खुराफात ही बहुत है. बहुत ही अच्छा और सहज लिखती है, सीधा दिल में उतर जाता है. लिखती रहिये. हमें आप से बहुत उम्मीदें है.

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  4. ये सब मिल गए

    बन गई

    मैं

    वाह यह मैं बनने की परिभाषा भी बहुत दिल को भायी ..सुंदर और अदभुत है आपकी लिखी यह रचना

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  5. एक लम्हे को


    खोला मैंने


    उससे निकला


    आधा चाँद


    एक टुकड़ा बादल


    थोड़ी सी बारिश


    हवा का एक झोंका


    माथे पर झूलती लटें


    आंखों में चमकते सितारे



    aapke banne ki dastaan bahut hi dilchasp hai puja, bahut hi khoosbsurat ehsaas ko milkar bani hain aap, kya aap khwab hain?

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  6. वाह ! वाह ! वाह ! बहुत ही सुंदर.क्या बात कही है आपने.

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  7. ये सब मिल गए

    बन गई

    मैं

    सुंदर लाजवाब, अद्भुत ! जवाब नही आपका और म्हारी आत्मा प्रशन्न हुई ! और शुभकामनाएं !

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  8. बहुत सुंदर लिखा है. वाह!

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  9. मैं की इतनी सुंदर परि‍भाषा-
    एक छटांक हँसी, एक कतरा आँसू, चुटकी भर खुराफात, मुट्ठी भर ख्वाब,ये सब मिल गए, बन गई मैं।
    लाजवाब लि‍खा है आपने। शुभकामनाऍ।

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  10. कभी कभी तुम मुझे चकित कर देती हो...की इस उम्र में तुम कुछ चीजे कैसे पकड़ती हो...वो भी इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में .रोजमर्रा की कवायदों के बीच ..


    इक लम्हे में ही उम्र गुजार देने वाली लड़की हो तुम ........

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  11. अद्भुत रचना के लिए बधाई!

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  12. कैसे चंद शब्दों में एक प्यारी कविता गढ़ दी। मैं अचम्भित हो कर रह गया। और मन को बहुत भा गई।
    एक छटांक हँसी
    एक कतरा आँसू
    चुटकी भर खुराफात
    मुट्ठी भर ख्वाब
    ये सब मिल गए
    बन गई
    मैं

    अदभुत।

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  13. बहुत जबरदस्त अभिव्यक्ति..वाह!!

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  14. उस कविता से
    निकली
    एक छटांक हँसी
    एक कतरा आँसू
    चुटकी भर खुराफात
    मुट्ठी भर ख्वाब
    ये सब मिल गए
    बन गई
    मैं
    सुंदर से भी सुन्दरतम अभिव्यक्ती ! बस नमन करने की इच्छा है आपको ! स्वीकारे !

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  15. aaj aapki pyaari muskaan ke saath aapki kavita bhi dil me utar gayi...bahut sundar

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  16. वाह वाह वाह
    लम्हे से थोडा-थोडा निकाला, उसे सहेजा फिर आसमान में रख दिया। कितना अच्छा ख्याल है, आपकी कल्पनाएं और खुले आसमान में उडें मेरी यही कामना है।

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  17. CHAND PADTE HUA GULZAR SAHEB KA ASHAS MIL GAYA.AATMA KI SHABDO NE BHEGGO DIYA.CHAND KE KAYE AUR PEHLO H UNHE BH DIKHAOO
    SUNIL KANDOLA
    ZEE NEWS NOIDA

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