एक लम्हे को
खोला मैंने
उससे निकला
आधा चाँद
एक टुकड़ा बादल
थोड़ी सी बारिश
हवा का एक झोंका
माथे पर झूलती लटें
आंखों में चमकते सितारे
थोड़ा अँधेरा
मैंने एक आकाश बिछाया
उसमे ये सारा सामन रख दिया
बाँध दी पोटली
बस एक लम्हा
बन गई कविता
उस कविता से
निकली
एक छटांक हँसी
एक कतरा आँसू
चुटकी भर खुराफात
मुट्ठी भर ख्वाब
ये सब मिल गए
बन गई
मैं
wah jawab nahi
ReplyDeletebaut khub
ban gayi me
regards
एक कतरा आँसू
ReplyDeleteचुटकी भर खुराफात
मुट्ठी भर ख्वाब
ये सब मिल गए
बन गई
bahut sunder
पूजाजी, आप की एक छटांक हँसी और चुटकी भर खुराफात ही बहुत है. बहुत ही अच्छा और सहज लिखती है, सीधा दिल में उतर जाता है. लिखती रहिये. हमें आप से बहुत उम्मीदें है.
ReplyDeleteये सब मिल गए
ReplyDeleteबन गई
मैं
वाह यह मैं बनने की परिभाषा भी बहुत दिल को भायी ..सुंदर और अदभुत है आपकी लिखी यह रचना
एक लम्हे को
ReplyDeleteखोला मैंने
उससे निकला
आधा चाँद
एक टुकड़ा बादल
थोड़ी सी बारिश
हवा का एक झोंका
माथे पर झूलती लटें
आंखों में चमकते सितारे
aapke banne ki dastaan bahut hi dilchasp hai puja, bahut hi khoosbsurat ehsaas ko milkar bani hain aap, kya aap khwab hain?
वाह ! वाह ! वाह ! बहुत ही सुंदर.क्या बात कही है आपने.
ReplyDeleteये सब मिल गए
ReplyDeleteबन गई
मैं
सुंदर लाजवाब, अद्भुत ! जवाब नही आपका और म्हारी आत्मा प्रशन्न हुई ! और शुभकामनाएं !
bahut khub
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा है. वाह!
ReplyDeleteमैं की इतनी सुंदर परिभाषा-
ReplyDeleteएक छटांक हँसी, एक कतरा आँसू, चुटकी भर खुराफात, मुट्ठी भर ख्वाब,ये सब मिल गए, बन गई मैं।
लाजवाब लिखा है आपने। शुभकामनाऍ।
कभी कभी तुम मुझे चकित कर देती हो...की इस उम्र में तुम कुछ चीजे कैसे पकड़ती हो...वो भी इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में .रोजमर्रा की कवायदों के बीच ..
ReplyDeleteइक लम्हे में ही उम्र गुजार देने वाली लड़की हो तुम ........
अद्भुत रचना के लिए बधाई!
ReplyDeletepyaari baat...
ReplyDeleteकैसे चंद शब्दों में एक प्यारी कविता गढ़ दी। मैं अचम्भित हो कर रह गया। और मन को बहुत भा गई।
ReplyDeleteएक छटांक हँसी
एक कतरा आँसू
चुटकी भर खुराफात
मुट्ठी भर ख्वाब
ये सब मिल गए
बन गई
मैं
अदभुत।
बहुत जबरदस्त अभिव्यक्ति..वाह!!
ReplyDeleteउस कविता से
ReplyDeleteनिकली
एक छटांक हँसी
एक कतरा आँसू
चुटकी भर खुराफात
मुट्ठी भर ख्वाब
ये सब मिल गए
बन गई
मैं
सुंदर से भी सुन्दरतम अभिव्यक्ती ! बस नमन करने की इच्छा है आपको ! स्वीकारे !
aaj aapki pyaari muskaan ke saath aapki kavita bhi dil me utar gayi...bahut sundar
ReplyDeletesimply wow!!!
ReplyDeleteवाह वाह वाह
ReplyDeleteलम्हे से थोडा-थोडा निकाला, उसे सहेजा फिर आसमान में रख दिया। कितना अच्छा ख्याल है, आपकी कल्पनाएं और खुले आसमान में उडें मेरी यही कामना है।
CHAND PADTE HUA GULZAR SAHEB KA ASHAS MIL GAYA.AATMA KI SHABDO NE BHEGGO DIYA.CHAND KE KAYE AUR PEHLO H UNHE BH DIKHAOO
ReplyDeleteSUNIL KANDOLA
ZEE NEWS NOIDA