एक साल हो गया आज
सुबह ब्राह्मण भोजन करा दिया
दान दक्षिणा भी दे दी
पर भगवान के सामने सर नहीं झुकाया
आज भी नाराज हूँ उनसे मैं
काश तुम होती मम्मी
तो देखती
की तुम्हारी बेटी बड़ी हो गई है
और खाना बहुत अच्छा बनाने लगी है
कहते हैं ब्राह्मण को जो खिलाओ
वो ऊपर वाले को मिलता है
पर संतोष नहीं हुआ
काश तुम्हें बिठा के खिला पाती
तुम देख पाती
तुमने जितना सिखाया
मैंने याद रखा है
सब कुछ
छौंक से ले कर
मसालों तक
काश तुम होती मम्मी
तो अभी कुछ दिन और मेरा बचपन रहता
काश तुम होती मम्मी
तुम्हारी बेटी को एक साल में
बड़ी नहीं होना पड़ता...
सुबह ब्राह्मण भोजन करा दिया
दान दक्षिणा भी दे दी
पर भगवान के सामने सर नहीं झुकाया
आज भी नाराज हूँ उनसे मैं
काश तुम होती मम्मी
तो देखती
की तुम्हारी बेटी बड़ी हो गई है
और खाना बहुत अच्छा बनाने लगी है
कहते हैं ब्राह्मण को जो खिलाओ
वो ऊपर वाले को मिलता है
पर संतोष नहीं हुआ
काश तुम्हें बिठा के खिला पाती
तुम देख पाती
तुमने जितना सिखाया
मैंने याद रखा है
सब कुछ
छौंक से ले कर
मसालों तक
काश तुम होती मम्मी
तो अभी कुछ दिन और मेरा बचपन रहता
काश तुम होती मम्मी
तुम्हारी बेटी को एक साल में
बड़ी नहीं होना पड़ता...
मां तो जहां भी होगी हमेशा दुआएं देगी।
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी याद है ! शायद माँ किसी भी उम्र में साथ छोड दे , तब तक इंसान बड़ा नही हो पाता ! अनुभव से कह रहा हूँ ! आपके दिल की भावनाएं समझ पा रहा हूँ ! कृपया मुझे क्षमा करना ! अब मुझे ऐसा लग रहा है की मैंने आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचायी है ! मुझे मालुम नही था ! माँ को कोई कभी भी नही भुला पाता ! पर उनकी सीख पर अमल करना ही सबसे बड़ी याद होगी ! उनके साथ बिताये सुखद क्षणों को याद करिए , आपको और उनको भी अच्छा लगेगा !
ReplyDeleteमाँ हमेशा साथ रहती है .वह आपके साथ हर वक्त है .
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना।
ReplyDeletebahut din pehley aapki pehli post MAA per hi padhi thii..aaj bhi vahi asar hua..nishabd!!!!
ReplyDeleteमां, धरती पर भगवान का रूप, नहीं, उससे भी बढ़ कर। भगवान तो शायद कभी बच्चों की परीक्षा लेने के लिए कष्ट देता भी हो
ReplyDeleteकाश तुम होती मम्मी
ReplyDeleteतो अभी कुछ दिन और मेरा बचपन रहता
मेरा बचपन
मेरा बचपन
मेरा बचपन
मां के साथ अपने रिश्ते को लेकर मैं बचपन से ही बेहद भावुक रहा हूं। और शायद यही वजह है कि जब भी कभी मैं मां के बारे में कहीं कुछ देखता हूं तो ज़रूर पढ़ता हूं। आपका लिखा भी पढ़ा और यकीन मानिए अभिभूत हो गया। दिल को छू लेनेवाली रचना। मेरी शुभकामनाएं।
ReplyDeleteकाश तुम होती मम्मी
ReplyDeleteतुम्हारी बेटी को एक साल में
बड़ी नहीं होना पड़ता...
बहुत बड़ी बात लिखी तुमने। आगे भी ऐसा ही लिखते रहो।
बहुत खूब...
ReplyDeleteताबिश ने भी कहा-
एक मुद्दत से मेरी मां सोई नहीं ताबिश,
मैंने एक बार कहा था, मुझे डर लगता है।
बहुत ज्यादा भावुक कर दिया. बहुत मर्मस्पर्शी रचना. माताजी की याद को नमन!!
ReplyDeleteloved every bit of it... i dont think there would be anyone not moved by these lines... my heartfelt condolences...
ReplyDeleteसुन्दर। मर्मस्पर्शी!
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी
ReplyDeleteतुम देख पाती
ReplyDeleteतुमने जितना सिखाया
मैंने याद रखा है
सब कुछ
छौंक से ले कर
मसालों तक
काश तुम होती मम्मी
तुम्हारी बेटी को एक साल में
बड़ी नहीं होना पड़ता...
बहुत ही गहरा, बहुत ही दर्द भरा, पूजा यह कविता उन तक जरूर पहुँची होगी और उन्होंने आपको आकर जरूर प्यार लिया होगा.
काश तुम होती मम्मी
ReplyDeleteतो देखती
की तुम्हारी बेटी बड़ी हो गई है
और खाना बहुत अच्छा बनाने लगी है
" very touching and senstive.."
Regards
आपने तो संजीदा कर दिया... कुछ नही कहूँगा
ReplyDeleteमाँ की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता, क्या ब्राम्हण? क्या भगवान? पर ज़िन्दगी चलते रहने का नाम है!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कविता, माँ अपनी संतानों से दूर होकर भी कभी दूर नहीं होती।
ReplyDeleteसुरत (गुजरात) में खाली पड़े बड़े बड़े होर्डिंग्स पर बिज्ञापन कंपनी वाले एक संदेश लिख देते थे। संदेश कुछ यूं था
" बा ज्यारे आंसू आवता त्यारे तू याद आवती, अने आजे तू याद आवे छे ने आंसू आवे छे"
आशा है आप अर्थ समझ गई होंगी।
क्या कहूँ बस इतना कहूँगा ...उस मां में कोई बात होगी जिसने इतने बड़े दिल वाली लड़की को जन्म दिया ओर ऐसे संस्कार दिये ....यू अरे जेम ऑफ़ अ पर्सन पूजा ......गोड ब्लेस यू
ReplyDeleteभावुक करती रचना। सच में भावुक कर दिया। क्या कहूँ...।
ReplyDeleteखूबसूरत रचना, बहुत मर्मस्पर्शी
ReplyDeleteकाश तुम होती मम्मी
ReplyDeleteतो अभी कुछ दिन और मेरा बचपन रहता
काश तुम होती मम्मी
तुम्हारी बेटी को एक साल में
बड़ी नहीं होना पड़ता...
बहोत ही भावोक्ता भरी और मर्मस्पर्शी बात लिखी है आपने आँखें नम हो गई.
अर्श
दीपावली पर्व की आपको और आपके परिजनों को हार्दिक शुभकामना .
ReplyDeleteपरिवार व इष्ट मित्रो सहित आपको दीपावली की बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteपिछले समय जाने अनजाने आपको कोई कष्ट पहुंचाया हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ !
पूजा जी आपने तो हमें रुला ही दिया. हम तो वो बदनसीब हें जिसने माँ को बचपन में ही खो दिया. और बच्चे जब अपनी माँ को पुकारते थे तो मेरे दिल में एक पीड़ायुक्त सवाल उठता था कि मैं किसे माँ कह कर पुकारूँ? आज १८ साल बाद भी मुझे जबतब माँ की कमी महसूस होती है .
ReplyDeleteकाश तुम होती मम्मी
ReplyDeleteतुम्हारी बेटी को एक साल में
बड़ी नहीं होना पड़ता...
I don't know what made you write this, but this describes all your pain.
I am not expressing any sympathies because that is(I think) some sort of disrespect,your courage is reflected in your writings, Bravo!!
काश तुम होती मम्मी
ReplyDeleteतुम्हारी बेटी को एक साल में
बड़ी नहीं होना पड़ता...
यही तो है कविता। लिखती रहें।
काश तुम होती मम्मी
ReplyDeleteतो देखती
की तुम्हारी बेटी बड़ी हो गई है
और खाना बहुत अच्छा बनाने लगी है.........
aapki yah label itna bhahuk he ki aakho se aashu aa jaye di.......
इतना दर्द इतनी कशिश ....प्यार कि प्यास .....सच बताऊँ मुझे रोना सा आ गया जब आपकी कवितायें पढ़ी ....माँ से बढ़कर कोई नही
ReplyDeleteइतनी मर्मस्पर्शी कविता लिखी है आपने!
ReplyDeleteमाँ तो हमेशा ही याद आती थी, और हम कोशिश करते थे उनकी यादों में ना रोने की.. मगर आज आपकी कविता ने माँ की याद में रुला दिया.. काश माँ होती और बचपन भी जीता रहता..
आँखें नाम कर गयी आप की "बातें" ... "रचना" नहीं कहूँगी, क्यूंकि जानती हूँ की यह रचना से बहुत अधिक है... लगा की माँ से किया गया सीधा संवाद है...
ReplyDeleteखुश रहिये...हमेशा
Puja aapne rula diya.Aur janti hain jab kishi ko padhne se rona aaye ya dekhne par rona aaye iska matlab he ki aur kujh bhi isse acha nahi hosakta ...........Maa rahe to bachpan....sahi he
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