But whoever said she's gone ? How can she ever, till you survive... may be even after that ... who knows ! कौन सा ऐसा पल होता है जब माँ नहीं होती हमारे साथ ?
देखो! माँ तुम्हारी इस खुशी में भी खिल खिला रहीं है. तुम्हे पढ़ कर सोचा था कि तुम "अपनी favourite हो." अब पता चला कि तुम तो माँ कि favourite हो. तुम्हे खुश करने के लिए दुपट्टा भी तम्हारे favourite कलर का ही पहना है तस्वीर में.
मीत जी से सहमत हूं। जब तक आप हैं और जब आप नहीं भी हैं, तब भी माँ रहेंगी। और जब उन्होंने एक इतनी ज़िंदादिल बेटी को जन्म दिया है, तो उनके न होने का सवाल ही नहीं उठता। कभी लिखा था, आज मन किया कि फिर से बाँटूं। http://merekavimitra.blogspot.com/2008/02/blog-post_14.html
कभी कभी ये यकीन ही नहीं होता ....कि माँ वास्तव मे हमसे दूर हैं . भूख लगती हैं तो माँ कि याद आती हैं ...मुंह से तो निकल भी पड़ता हैं कि माँ भूख लगी . फिर निश्चिंत हो जाते कि माँ तो अब ले ही आएगी ... यही हाल होता जब प्यास लगती ...जब नींद नहीं आती .....कोई दुःख होता ..... माँ ही तो हैं .....जो इस बेगाने संसार मे अपनी हैं .... उसके यूँ रूठ के चले जाने का दुःख वर्णनीय नहीं हैं ....... माँ से ये कहने की ज़रूरत नहीं कि "माँ I LOVE YOU.."
http://www.orkut.com/Profile.aspx?uid=9638840610503603656 aapke vichar bahut achchhe lage ...
माँ शरीर से जा सकती है, मन से नहीं। उनके सपनों को पूरा करके उन्हें ज़िंदा रखें।
ReplyDeleteBut whoever said she's gone ? How can she ever, till you survive... may be even after that ... who knows ! कौन सा ऐसा पल होता है जब माँ नहीं होती हमारे साथ ?
ReplyDeleteदेखो! माँ तुम्हारी इस खुशी में भी खिल खिला रहीं है.
ReplyDeleteतुम्हे पढ़ कर सोचा था कि तुम "अपनी favourite हो." अब पता चला कि तुम तो माँ कि favourite हो.
तुम्हे खुश करने के लिए दुपट्टा भी तम्हारे favourite कलर का ही पहना है तस्वीर में.
मीत जी से सहमत हूं। जब तक आप हैं और जब आप नहीं भी हैं, तब भी माँ रहेंगी। और जब उन्होंने एक इतनी ज़िंदादिल बेटी को जन्म दिया है, तो उनके न होने का सवाल ही नहीं उठता।
ReplyDeleteकभी लिखा था, आज मन किया कि फिर से बाँटूं।
http://merekavimitra.blogspot.com/2008/02/blog-post_14.html
कभी कभी ये यकीन ही नहीं होता ....कि माँ वास्तव मे हमसे दूर हैं .
ReplyDeleteभूख लगती हैं तो माँ कि याद आती हैं ...मुंह से तो निकल भी पड़ता हैं कि माँ भूख लगी .
फिर निश्चिंत हो जाते कि माँ तो अब ले ही आएगी ...
यही हाल होता जब प्यास लगती ...जब नींद नहीं आती .....कोई दुःख होता .....
माँ ही तो हैं .....जो इस बेगाने संसार मे अपनी हैं ....
उसके यूँ रूठ के चले जाने का दुःख वर्णनीय नहीं हैं .......
माँ से ये कहने की ज़रूरत नहीं कि "माँ I LOVE YOU.."
http://www.orkut.com/Profile.aspx?uid=9638840610503603656
aapke vichar bahut achchhe lage ...
मैं भी इसी बात से रोज जूझ रहा हूँ कि क्या माँ सच में चली गई.
ReplyDeleteआपकी मनःस्थिती से पूर्णतः वाखिब हूँ. बस, क्या कहूँ, जान लिजिये वो यहीं कहीं हैं आपके आसपास-आपको तरक्की करते देख कर खुश होती हुई.
१०१ पोस्ट के लिये हार्दिक बधाई. बस, लिखते रहें. माँ को यह माईल स्टोन पोस्ट समर्पित कर बहुत पावन कार्य किया है. इससे बेहतर शतक तो कोई हो ही नहीं सकता.