तुम्हारी आवाज़ का तिलिस्म
जैसे जंगल में ठहरी हुयी हवा
थोड़ा शोर, थोड़ी खामोशी
जैसे सागर की लहरों का किनारे आना
और पैरों को छूकर चले जाना
जैसे भीड़ में
अचानक मिल जाए कोई पुराना दोस्त
या छत पर आ गिरे
पड़ोसी की काटी हुयी पतंग
कुछ छोटी छोटी खुशियाँ
जिनमें जिन्दगी का लुत्फ़ मिलता है
जैसे जब तुम मेरा नाम लेते हो...
जिनमें जिन्दगी का लुत्फ़ मिलता है
ReplyDeleteजैसे जब तुम मेरा नाम लेते हो...
--बहुत सुन्दर.
बहुत ख़ूब. वाह !
ReplyDeleteबहुत ही बढिया प्रस्तुति..
ReplyDeleteआपके पिछले पोस्ट पर भी गया था, मगर कहने को कोई शब्द नहीं मिले थे.. आपकी उदासी में उदास हो चला था..
या छत पर आ गिरे
ReplyDeleteपड़ोसी की काटी हुयी पतंग
कुछ छोटी छोटी खुशियाँ
जिनमें जिन्दगी का लुत्फ़ मिलता है
जैसे जब तुम मेरा नाम लेते हो...
वाह पूजा .....ऐसे ही लिखती रहो....